जनवरी:- जाने जनवरी माह का कृषि कैलेंडर से ,खेती किसानी के कार्य
साल का सब से ठंडा महीना जनवरी का होता है. इस महीने लोहड़ी व मकर संक्रांति जैसे पारंपरिक तीजत्योहार भी होते हैं. जनवरी के महीने में तापमान बहुत ज्यादा गिर जाने की वजह से पाला पड़ने लगता है, जिस का असर फसलों पर भी पड़ता है. पाले के नुकसान से बचने के लिए शाम के समय खेतों के आसपास आग जला कर धुआं करें. इस से तापमान बढ़ जाता है और पाले का असर कम पड़ता है.
फसलोत्पादन –
गेहूँ –
- गेहूँ में दूसरी सिंचाई बोआई के 40-45 दिन बाद कल्ले निकलते समय और तीसरी सिंचाई बोआई के 60-65 दिन बाद गांठ बनने की अवस्था पर करें।
- गेहूं इस मौसम की खास फसल है. उस का खास ध्यान रखना होता है. 25 से 30 दिन के अंतर पर गेहूं में सिंचाई करते रहें. इस समय सिंचाई अच्छी पैदावार के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि इस माह गेहूं के पौधों में शिखर जडें़ और कल्ले फूटते हैं. जनवरी के आखिरी सप्ताह तक हलकी मिट्टी वाली जमीन में यूरिया भी दे सकते हैं.
- गेहूँ की फसल को चूहों से बचाने के लिए जिंक फास्फाइड से बने चारे अथवा एल्यूमिनियम फास्फाइड की टिकिया का प्रयोग करें।
- दीमक का प्रकोप बारानी इलाकों में होने की संभावना बनी रहती है. ऐसी स्थिति में क्लोरोपाइरीफास को 2 लिटर पानी में 20 किलोग्राम रेत के साथ मिलाएं और गेहूं की खड़ी फसल में बुरकाव कर के सिंचाई कर दें. जौ में भी दीमक और पाले से बचाव के लिए गेहूं की तरह ही उपाय करें.
चना
- फूल आने के पहले एक सिंचाई अवश्य करें।
- फसल में उकठा रोग की रोकथाम के लिए बुआई से पूर्व ट्राइकोडरमा 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर 60-75 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर भूमि शोधन करना चाहिये।
मटर
- मटर में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) जिसमें पत्तियों, तनों तथा फलियों पर सफेद चूर्ण सा फैल जाता है, की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर घुलनशील गंधक 80%, 2.0 किग्रा 500 – 600 लीटर पानी में घोलकर 10-12 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें।
राई-सरसों
- राई-सरसों में दाना भरने की अवस्था में दूसरी सिंचाई करें।
- माहू कीट पत्ती, तना व फली सहित सम्पूर्ण पौधे से रस चूसता है। इसके नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर डाइमेथोएट 30% ई.सी. की 1. 0 लीटर मात्रा 650 – 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
शीतकालीन मक्का
- जनवरी माह का कृषि कैलेंडर के अनुसार खेत में दूसरी निराई-गुड़ाई, बोआई के 40-45 दिन बाद करके खरपतवार निकाल दें।
- मक्का में दूसरी सिंचाई बोआई के 55-60 दिन बाद व तीसरी सिंचाई बोआई के 75-80 दिन बाद करनी चाहिए।
शरदकालीन गन्ना
- आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें।
- जनवरी माह का कृषि कैलेंडर के अनुसार गन्ना को विभिन्न प्रकार के तनाछेदक कीटों से बचाने के लिए प्रति हेक्टेयर 30 किग्रा कार्बोफ्युरॉन 3% सी0 जी0 का प्रयोग करें
सब्जियों की खेती
■आलू, टमाटर तथा मिर्च में पिछेती झुलसा से बचाव हेतु अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करें.
■मटर में फूल आते समय हल्की सिंचाई करें. आवश्यकतानुसार दूसरी सिंचाई फलियां बनते समय करनी चाहिए.
■गोभीवर्गीय सब्जियों की फसल में सिंचाई, गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें.
■टमाटर की ग्रीष्मकालीन फसल के लिए रोपाई कर दें.
■जायद में मिर्च तथा भिण्डी की फसल के लिए खेत की तैयारी शुरू कर दें.
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