जरबेरा के एक एकड़ की खेती से होती है 15 लाख की सालाना आमदनी!
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रंग बिरंगे जरबेरा की खेती किसानों के लिए समृद्धि का रास्ता खोल रहा है। हाल के दिनों में यूपी-बिहार समेत भारत के अन्य राज्यों में भी जरबेरा की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। मैं पर्सनली दस से अधिक जरबेरा उत्पादक किसानों को जानता हूं जो इसके खेती से पूरी तरह से संतुष्ट हैं ।
जरबेरा अफ्रीकन मूल का एक फूल है जो कि कई रंगों का होता है। जरबेरा की तिन-चार खूबियां किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होती है ।पहला तो इसका पौधा काफी आसानी से लगने वाला होता है दूसरा एक बार लगा देने के बाद अगले दो या तीन सालों तक आप इससे उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं तिसरा कि इसमें सालों भर फूल आते हैं और आखिरी यह की इसके फूल सात-आठ दिनों तक आसानी से जीवित रहते हैं।
हालांकि जरबेरा की खेती खुले में ना करके पॉलीहाउस में करना बेहतर माना जाता है. पॉलीहाउस में खेती करने से फूल की गुणवत्ता काफी बेहतर रहती है जिससे इसे अधिक दाम अर्जित होते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि हर राज्य के उद्यान विभाग इसकी खेती को प्रोत्साहित कर रही है और इस पर तकरीबन 50% तक अनुदान दे रही है. पहले टाइम जरबेरा लगाने में अच्छा खासा लागत लगता है लेकिन फिर अगले दो-तीन सालों तक आप आसानी से इनकम भी प्राप्त कर सकते हैं।
घाटी की सौदा साबित हो चुकी परंपरागत खेती छोड़कर फूलों की खेती खासी आय का जरिया साबित हो सकती। किसान 1 एकड़ से 15 लाख रुपए से अधिक का मुनाफा कमा रहे हैं।
8 से 10 रुपये में बिकता है फूल
- इस फूल की एक स्टिक की औसत कीमत लगभग 8 से 10 रुपये होती है। शादियों के सीजन में इसका डिमांड बहुत बढ़ जाता है।
जरबेरा फूलों की खेती बेड पर होती है। इसके लिए यहां सिंचाई का पुख्ता प्रबंध करना होता है। स्प्रिंकलर विधि के तहत इन फूलों की सिंचाई होती है। जरबेरा के फूल हर रंग के होते हैं।
© लवकुश
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