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मिलेट:-स्वस्थ रहना है तो अपने खान-पान में शामिल करें मिलेट्स? पढ़े क्या होता है मिलेट्स और क्यों कहा जाता है इसे सुपर फूड्स?

मिलेट:-स्वस्थ रहना है तो अपने खान-पान में शामिल करें मिलेट पढ़े क्या होता है? मिलेट और क्यों कहा जाता है इसे सुपर फूड्स?




मिलेट क्या है ?
मिलेट एक प्रकार का अनाज है। जिसे लघु धान्य भी कहते है मिलेट में दो तरह के अनाज आते हैं। एक मोटा अनाज और दूसरा छोटे दाने वाले अनाज। दोनों poaceae फैमिली के अंतर्गत आते हैं।
सामान्य तौर पर मिलेट से लोगों को बाजरा का ध्यान आता है। इसका कारण यह है कि बाजरा मिलेट में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।
अनाज को तीन श्रेणी में रखा गया है।
Normal Grains : कई लोगो का मत है कि इनका लगातार सेवन करते रहने से भविष्य में कई तरह की बीमारियों की सम्भावना रहती है।जैसे – गेहूं ,चावल।
Neutral Grains : ये मोटा अनाज कहलाता है। इनके सेवन से शरीर में न कोई बीमारी होती है और न ही कोई बीमारी हो तो वह ठीक होती है। यह शरीर को स्वस्थ रखता है। ये अनाज ग्लूटेन मुक्त होते हैं।
जैसे – बाजरा ,ज्वार ,रागी और प्रोसो।
Positive Grains : पॉजिटिव ग्रेन्स के अंतर्गत छोटे अनाज आते हैं। इन्हें सिरिधान्य भी कहा जाता है।
जैसे – कंगनी ,सामा ,सनवा ,कोदो -कुटकी,रागी छोटी कंगनी
Neutral grains और positive grains को संयुक्त रूप से मिलेट कहा जाता है।
ये अनाज कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं | ये अनाज आकार में बहुत छोटे होते हैं। पॉजिटिव मिलेटस फाइबर से भरपूर होते हैं। इन्हें पकाने से पहले 6 से 8 घंटे पानी में भिगोकर रखना होता है ताकि उनके फाइबर नरम हो सके। इन मिलेट को मिक्स करके नहीं पकाया जाता। पॉजिटिव मिलेट के अंतर्गत छः मिलेट आते हैं ।
■Foxtail Millet ( कंगनी )
■Little Millet ( सामा , कुटकी )
■Barnyard Millet ( सांवा , सनवा )
■Kodo Millet ( कोदो )
■ Browntop Millet ( छोटी कंगनी ,हरी कंगनी )
■Finger Millet(रागी)

ये कोई नया अनाज है या इंपोर्टेड अनाज नहीं है। ये सब देशी अनाज हैं और सदियों से देश से लोग इनके गुणों से वाकिफ हैं. पचास-साठ साल पहले तक हिंदुस्तान के लोग इन अनाजों को पैदा करते थे, इन्हें खाते थे और स्वस्थ रहते थे। साठ के दशक में आई हरित क्रांति ने देश के लोगों के सामने चावल की थाली परोस दी। लोग गेहूं की नरम-नरम मीठी चपाती खाकर स्वयं को धन्य महसूस करने लगे।इनके स्वाद और मिठास के सामने मोटे अनाज फीके नजर आने लगे। देश की बड़ी आबादी का पेट भरने के लिए लोग गेंहू-चावल पैदा करने लगे और यही दो अनाज लोगों का मुख्य आहार बन गया
विभिन्न प्रकार के मिलेटस 
Finger Millet / रागी



रागी को मडुआ और नाचनी नाम से भी जाना जाता है। इसे इंग्लिश में Finger Millet कहते हैं। यह राई के दाने की तरह गोल ,गहरे भूरे रंग का ,चिकना दिखता है।आयरन से भरपूर रागी रेड ब्ल्ड सेल्स में हीमोग्लोबिन का उत्पादन करने के लिए एक जरूरी ट्रेस मिनरल है। इसमें कैल्शियम और पोटेशियम की मात्रा भी सबसे ज्यादा होती है। रागी कैल्शियम का बेहतरीन श्रोत है। 100 ग्राम रागी से 344 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता है।

फाइबर से भरपूर होने की वजह से रागी को पेट में पचने में समय लगता है, जिससे व्यक्ति को काफी देर तक भूख नहीं लगती और वजन बढ़ने की संभावना भी कम हो जाती है। हालांकि इसके ग्लाइसेमिक इंडेक्स को लेकर विशेषज्ञों के बीच विरोधाभास है। कुछ का कहना है कि इसका GI 40 है जबकि कुछ विशेषज्ञ इसका GI 104 बताते हैं। यह लिवर और पेट को स्वस्थ रखने में सक्षम है।
Pearl Millet ( बाजरा )

बाजरा की खेती राजस्थान, गुजरात ,पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में होती है।बाजरा या पर्ल मिलेट की खेती प्री-हिस्टोरिक समय से की जा रही है। यह दुनिया में अनाज के मामले में 6वें नंबर पर आता है। यह सूखा क्षेत्रों में उच्च तापमान में भी आसानी से उगाया जाता है। पर्ल या बाजरा प्रोटीन ,आयरन ,कैल्शियम ,फाइबर ,थाइमिन और नियासिन का बढ़िया श्रोत है। इसमें कॉपर ,मैग्नीशियम, सेलेनियम ,जिंक ,फोलिक एसिड और एमीनो एसिड भी मौजूद है।
इसके सेवन से शरीर मजबूत बनता है , हड्डियां मजबूत होती है , खून की कमी पूरी होती है ,कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है, कैंसर की सम्भावना कम होती है ,कब्ज की समस्या ठीक होती है। अस्थमा में भी इसके सेवन से राहत मिलता है और इसमें मौजूद फाइबर आपकी डेली कैलेारी की संख्या को बढ़ाए बिना आपको भरा हुआ महसूस कराएगा।

अगर आप रोजाना भी बाजरा खाएं, तो कोई नुकसान नहीं है। बल्कि इसके सेवन से टाइप 2 डायबिटीज के साथ कई तरह के कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। जिसको थायराइड की समस्या हो उन्हें प्रतिदिन बाजरा नहीं खानी चाहिए |
राजगिरा (Amaranth)

अन्य प्रकार के बाजरा की तरह यह भी प्रचीन अनाज है। बस अंतर इतना है कि कुछ एक साल में इसे लोकप्रियता मिलना शुरू हुई है। आमतौर पर राजगिरा का इस्तेमाल व्रत और उपवास में फलाहार के रूप में करते हैं, लेकिन वजन घटाने के इसके फायदों के बारे में लोगों को कम जानकारी है। इसमें फाइबर, मैग्रीशियम, प्रोटीन , फास्फोरस और आयरन से भरपूर है।
राजगिरा में मैंगनीज अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जिसकी एक सर्विंग ही आपकी दैनिक पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करने के लिए काफी है। यह ट्रेस मिनरल मास्तिष्क के काम में सुधार कर न्यूरोलॉजिकल स्थितियों से बचाने के लिए बहुत अच्छा है। इसमें मौजूद प्रोटीन और फाइबर की मात्रा मांसपेशियों में निर्माण और पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है।
Sorghum / Indian Millet ( ज्वार ) 

ज्वार की कई प्रजाति की खेती की जाती है। जिनमें से अधिकतर पशु के चारे के लिए उगाई जाती है। ज्वार की एक प्रजाति sorghum bicolor खाने के काम आती है। ज्वार भी कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें मौजूद विटामिन बी, मैग्रेशियम, फ्लेवोनॉइड, फेनोलिक एसिड और टैनेन पाए जाते हैं।
विटामिन बी मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने और बालों व त्वचा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए जरूरी है, जबकि मैग्नेशियम हड्डी और ह्रदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।इसे डायबिटीज को मेंटेन रखने के अलावा वेट मैनजेंमट करने के लिए अच्छा अनाज बताया जाता है।
इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए इसे सालों भर खाया जा सकता है। इसमें मौजूद फाइबर आंत के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है इसकी रोटी ज्यादा पसंद की जाती है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और फाइबर होने के कारण इसके सेवन से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह ग्लूटेन मुक्त अनाज है और आसानी से उपलब्ध हो जाता है |
Proso Millet / चेना

प्रोसो को हिंदी में चेना के नाम से जाना जाता है। चेना फाइबर से भरपूर ग्लूटेन मुक्त मिलेट है। इसमें विटामिन B 6 ,जिंक,आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस जैसे मिनरल्स तथा एमिनो एसिड मौजूद होते हैं। इसके सेवन से खून की कमी नहीं होती ,वजन नियंत्रित रहता है ,डायबिटीज का खतरा कम जाता है , मानसिक व्याधियों से बचाव होता है तथा ह्रदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलता है।
Foxtail Millet  / कंगनी

फॉक्सटेल मिलेट अर्थात कंगनी एक पॉजिटिव मिलेट है। कंगनी प्राचीन फसलों में से एक है। दक्षिण भारत में इसकी खेती की जाती है। इसकी पौष्टिकता और इसे खाने से होने वाले फायदों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। यह पीले रंग का छोटा दाना होता है। इसमें फाइबर की मात्रा अच्छी होती है। यह प्रोटीन का भी बहुत अच्छा श्रोत है। इसमें एमिनो एसिड्स, प्लांट कंपाउंड्स ,विटामिन्स और कई मिनरल्स होते हैं।
इसे बीटा कैरोटीन का मुख्य श्रोत माना जाता है। इसे नर्वस सिस्टम के लिए सुपर फ़ूड कहा जाता है। यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जाता है | यह बुखार में दिया जाये तो बुखार ठीक होता है। ह्रदय सम्बन्धी बीमारी ,डायबिटीज ,पेट सम्बन्धी समस्या ,रक्तहीनता ,जोड़ों के दर्द , भूख की कमी , मूत्र विसर्जन के समय जलन , जलने से होने वाले घाव इत्यादि सभी परेशानी में कंगनी का सेवन करना चाहिए। इससे ये सभी समस्याएं ठीक होती हैं। इसे पकाने से पहले 6 से 8 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखना होता है |
Little Millet / लिटिल मिलेट / कुटकी


कुटकी भी एक पॉजिटिव मिलेट है।इसे बहुत आसानी से उगाया जा सकता है| इसे उगाने के लिए न ज्यादा गर्मी और न ज्यादा सर्दी की आवश्यकता होती है। सभी सिरिधान्य अपने पोषक तत्व , एमिनो एसिड तथा प्लांट कंपाउंड्स के आधार पर विशेष गुण को धारण करते हैं। यह प्रोटीन ,फाइबर और आयरन का बहुत बढ़िया श्रोत है |

कुटकी / सामा के सेवन से डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है। यह ह्रदय के लिए भी अच्छा अनाज है। माइग्रेन में इसके सेवन से आराम मिलता है। यह एसिडिटी , अजीर्ण ,खट्टा डकार जैसी समस्या से छुटकारा दिलाता है। इसे हार्मोन का संतुलन बनाये रखने के लिए अच्छा बताया जाता है। इसके सेवन से पुरुष और महिलाओं दोनों के प्रजनन तंत्र स्वस्थ होते हैं। नपुंसकता और बांझपन से भी यह बचाता है।
Kodo Millet / कोदो मिलेट

कोदो मिलेट को हिंदी में कोदो या केद्रव कहते हैं। यह पांच पॉजिटिव मिलेट में से एक है। कोदो मिलेट भी छोटा अनाज होता है। यह लाल रंग का होता है। औषधीय गुणों से भरपूर कोदो कफ और पित्त दोष को शांत करता है।
कोदो मिलेट को ब्लड प्यूरीफायर कहा जाता है।
 यह डायबिटीज ,हार्ट डिजीज , कैंसर और पेट सम्बन्धी समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। कोदो मिलेट को लिवर और किडनी के लिए अच्छा अनाज बताया जाता है। किडनी सम्बंधित रोगो में इसका सेवन औषधि की तरह कार्य करता है। इसके सेवन से कई तरह के बैक्टीरियल ग्रोथ ख़त्म होते हैं। इसमें एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। ग्लूटेन मुक्त कोदो नर्वस सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है। इसे पकाने से पहले 6 से 8 घण्टे भिगाने की आवश्यकता होती है।
Barnyard Millet / सांवा

बार्नयार्ड को हिंदी में सांवा या सनवा कहते हैं। यह बार्नयार्ड के नाम से ज्यादा प्रचलित है। यह पांच पॉजिटिव मिलेट में से एक है। यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है। 45 से 60 दिन के अंदर यह काटने के लिए तैयार हो जाता है। प्रोटीन और आयरन की मात्रा बार्नयार्ड में अन्य अनाज से ज्यादा है। इसके सेवन से खून की कमी दूर होती है ,शरीर मजबूत बनता है। डायबिटीज , हार्ट डिजीज ,कैंसर में खाने लायक यह अनाज है। इसके सेवन से शरीर के अंदरूनी अंगों को ताकत मिलती है। यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है। इसे भिगोकर अम्बलि , खिचड़ी ,डोसा ,इडली ,उपमा आदि बनाया जा सकता है।
Browntop Millet / हरी कंगनी







ब्रॉउनटॉप एक पॉजिटिव मिलेट है। इसका ऊपरी परत ब्राउन रंग का होता है , इसलिए इसे ब्रॉउनटॉप कहा जाता है। इसके गुण कंगनी से मिलते जुलते हैं इसलिए इसे हरी कंगनी और छोटी कंगनी भी कहा जाता है। यह हल्का हरे रंग का होता है। फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर ब्रॉउनटॉप ग्लूटेन मुक्त अनाज है। इसमें विटामिन B 17 भी होता है जो इसे कैंसर से रक्षा करने लायक अनाज बनाता है। डायबिटीज ,ह्रदय रोग से बचाव करने के साथ साथ यह पेट सम्बन्धी सभी समस्याओं को ठीक करता है। यह हर प्रकार के एडिक्शन को ठीक करने में मदद करता है।
 मिलेट के प्रयोग में क्या सावधानी रखें –
■इसे पकाने से पहले 6 से 8 घंटे के लिए भिगो दें।
■एक दिन में एक ही तरह का मिलेट खाएं।
■इन्हें मिक्स करके नहीं पकाना चाहिए।
■सभी मिलेट को बदल – बदल कर खाये।
■इनका आटा तैयार करने से पहले इसे भिगोकर धूप में सुखा लें।
मिलेट्स क्यों हैं?इतने खास
भारत, नाइजीरिया समेत एशियाई और अफ्रीकी देशों में उपजाए जाने वाले छोटे, गोल और पूर्ण अनाज मिलेट कहलाते हैं. ये प्राचीन अनाज हैं. दूसरी फसलों के मुकाबले ये बहुत कम पानी में पैदा हो सकती हैं और कीटाणुरोधी होती हैं. अलग-अलग शोधों से पता चलता है कि मिलेट खाने से ब्लड में शुगर की मात्रा कम होती है. हर रोज सिर्फ पचास ग्राम कांगनी मिलेट (फॉक्सटेल मिलेट) खाकर बारह सप्ताह में आप शुगर लेवल कम कर सकते हैं. इससे न सिर्फ शुगर लेवल में कमी होती है, बल्कि ट्राग्लासेराइड और कॉलेस्ट्रॉल लेवल में भी कमी होती है.

मिलेट ग्लूटेन फ्री होते हैं लिहाजा इसका इस्तेमाल कर आप डायरिया और अपच की समस्या से बच सकते हैं. ये एंटी-एसिड होते हैं और टाइप-2 डायबिटीज रोकने में मदद करते हैं. मोटे अनाज ब्लड प्रेशर कम करते हैं. साथ ही, गैस्ट्रिक अल्सर, कॉलोन कैंसर के खतरे को कम करते हैं. मोटे अनाज कब्ज, पेट बढ़ना और मोटापा भी कम करते हैं. मिलेट्स के पोषक तत्वों के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे. मिलेट में फाइबर के अलावा, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं.
मिलेट्स को खाने के लिए कैसे तैयार करें
मिलेट्स को चावल और आटा दोनों की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. चावल की तरह इस्तेमाल करने के लिए मिलेट को करीब 12 घंटे के लिए पानी में छोड़ दें. फिर साफ करके उसमें छह गुना पानी मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं. पानी जब खत्म हो जाए तो उसे गर्म ही परोसें. दूसरा तरीका है, पत्ता गोभी, फूल गोभी, भिंडी, बीन्स, करेला, आलू, केला आदि को छोटे-छोटे टुकड़े में काट लें और सबको मिलाकर सब्जी की तरह अधपका तैयार करें फिर उसमें फूला हुआ मिलेट मिलाकर चार गुने पानी में तैयार करें।
हां, थोड़ा नमक डालना न भूलें. मिलेट्स का आटा, गेहूं के आटे में मिलाकर रोटी तैयार करें. मिलेट्स के आटे से आप इडली आदि भी बना सकते हैं. जीवन शैली से पैदा हुई बीमारियों से लोग परेशान हैं और प्राचीन संस्कृति की ओर लौट रहे हैं. खान-पान की संस्कृति में बदलाव आ रहा है. देश में मोटे अनाज की मांग बढ़ रही है. इसलिए मोटे अनाज का उत्पादन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

यदि आपके पास भी मिलेट्स से जुड़ी जानकारी हो तो मुझसे अवश्य साझा करें।

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धान की खेती में खरपतवार का रसायनिक नियंत्रण धान की फसल में खरपतवारों की रोकथाम की यांत्रिक विधियां तथा हाथ से निराई-गुड़ाईयद्यपि काफी प्रभावी पाई गई है लेकिन विभिन्न कारणों से इनका व्यापक प्रचलन नहीं हो पाया है। इनमें से मुख्य हैं, धान के पौधों एवं मुख्य खरपतवार जैसे जंगली धान एवं संवा के पौधों में पुष्पावस्था के पहले काफी समानता पाई जाती है, इसलिए साधारण किसान निराई-गुड़ाई के समय आसानी से इनको पहचान नहीं पाता है। बढ़ती हुई मजदूरी के कारण ये विधियां आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं है। फसल खरपतवार प्रतिस्पर्धा के क्रांतिक समय में मजदूरों की उपलब्धता में कमी। खरीफ का असामान्य मौसम जिसके कारण कभी-कभी खेत में अधिक नमी के कारण यांत्रिक विधि से निराई-गुड़ाई नहीं हो पाता है। अत: उपरोक्त परिस्थितियों में खरपतवारों का खरपतवार नाशियों द्वारा नियंत्रण करने से प्रति हेक्टेयर लागत कम आती है तथा समय की भारी बचत होती है, लेकिन शाकनाशी रसायनों का प्रयोग करते समय उचित मात्रा, उचित ढंग तथा उपयुक्त समय पर प्रयोग का सदैव ध्यान रखना चाहिए अन्यथा लाभ के बजाय हानि की संभावना भी रहती है। डॉ गजेंद्र चन्

समसामयिक सलाह-" गर्मी व बढ़ती उमस" के साथ बढ़ रहा है धान की फसल में भूरा माहो का प्रकोप,जल्द अपनाए प्रबंधन के ये उपाय

  धान फसल को भूरा माहो से बचाने सलाह सामान्यतः कुछ किसानों के खेतों में भूरा माहों खासकर मध्यम से लम्बी अवधि की धान में दिख रहे है। जो कि वर्तमान समय में वातारण में उमस 75-80 प्रतिशत होने के कारण भूरा माहो कीट के लिए अनुकूल हो सकती है। धान फसल को भूरा माहो से बचाने के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने किसानों को सलाह दी और अपील की है कि वे सलाह पर अमल करें। भूरा माहो लगने के लक्षण ■ गोल काढ़ी होने पर होता है भूरा माहो का प्रकोप ■ खेत में भूरा माहो कीट प्रारम्भ हो रहा है, इसके प्रारम्भिक लक्षण में जहां की धान घनी है, खाद ज्यादा है वहां अधिकतर दिखना शुरू होता है। ■ अचानक पत्तियां गोल घेरे में पीली भगवा व भूरे रंग की दिखने लगती है व सूख जाती है व पौधा लुड़क जाता है, जिसे होपर बर्न कहते हैं, ■ घेरा बहुत तेजी से बढ़ता है व पूरे खेत को ही भूरा माहो कीट अपनी चपेट में ले लेता है। भूरा माहो कीट का प्रकोप धान के पौधे में मीठापन जिसे जिले में गोल काढ़ी आना कहते हैं । ■तब से लेकर धान कटते तक देखा जाता है। यह कीट पौधे के तने से पानी की सतह के ऊपर तने से चिपककर रस चूसता है। क्या है भू

सावधान -धान में (फूल बालियां) आते समय किसान भाई यह गलतियां ना करें।

  धान में फूल बालियां आते समय किसान भाई यह गलतियां ना करें। प्रायः देखा गया है कि किसान भाई अपनी फसल को स्वस्थ व सुरक्षित रखने के लिए कई प्रकार के कीटनाशक व कई प्रकार के फंगीसाइड का उपयोग करते रहते है। उल्लेखनीय यह है कि हर रसायनिक दवा के छिड़काव का एक निर्धारित समय होता है इसे हमेशा किसान भइयों को ध्यान में रखना चाहिए। आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बताएंगे कि धान के पुष्पन अवस्था अर्थात फूल और बाली आने के समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो। सुबह के समय किसी भी तरह का स्प्रे धान की फसलों पर नहीं करें कारण क्योंकि सुबह धान में फूल बनते हैं (Fertilization Activity) फूल बनाने की प्रक्रिया धान में 5 से 7 दिनों तक चलता है। स्प्रे करने से क्या नुकसान है। ■Fertilization और फूल बनते समय दाना का मुंह खुला रहता है जिससे स्प्रे के वजह से प्रेशर दानों पर पड़ता है वह दाना काला हो सकता है या बीज परिपक्व नहीं हो पाता इसीलिए फूल आने के 1 सप्ताह तक किसी भी तरह का स्प्रे धान की फसल पर ना करें ■ फसल पर अग