कीट नियंत्रण-चने की इल्ली के रोकथाम के कुछ कारगर उपाय।
सुजीत सुमेर एम एस सी (कृषि) मौसम विज्ञान द्वितीय वर्ष इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ. ग.)
डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ. ग.)
दलहनी फसलों में चने का खास स्थान है। यह रबी की मुख्य फसलों में से एक है। कुल दलहनी फसलों के करीब 27 फीसदी रकबे पर चने की खेती की जाती है। कुल दलहनी फसलों के उत्पादन का करीब 33 फीसदी भाग चने का होता है। भारत में करीब 250 लाख हेक्टेयर रकबे में दलहनी फसलें बोई जाती हैं व हर साल इन का उत्पादन करीब 130 लाख टन होता है।
पहचान
फल भेदक कीट(इल्ली)
(हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा) :
इस कीड़े की मादा पत्तियों की निचली सतह पर हलके पीले रंग के खरबूजे की तरह धारियों वाले अंडे देती है. 1 मादा अपने जीवनकाल में करीब 500 से 1000 तक अंडे देती है. ये अंडे 3 से 10 दिनों के अंदर फूट जाते हैं और उन से चमकीले हरे रंग की सूडि़यां निकलती हैं. शुरू में सूडि़यां चने की पत्तियों, कलियों और फूलों की खाती हैं, बाद में ये विकसित हो रही चने की फली के अंदर घुस कर दानों को खा जाती हैं. फली खोखली होने पर पीली पड़ कर सूख जाती है, जिस से पैदावार पर सीधा असर पड़ता है। यह एक बहुभक्षीय कीट है। यह दलहनी फसलों के अतिरिक्त, अन्य फसलों को भी हानि पहँचाती है।
जीवन चक्र
जीवन चक्र: मादा शलभ एक-एक करके अंडे पत्ती की ऊपरी सतह पर देती है। मादा शलभ अपने जीवन काल में 160 अंडे देती है सम्पूर्ण इल्ली अवस्था 11 दिनों की तथा शंखी अवस्था 5-9 दिनों की होती है।
फसल की किस अवस्था मे लगता है ये कीट
चने की फसल लगने के 20 दिन से एक माह की अवस्था पर चने की फसल पर इल्लियों का प्रकोप होना प्रारंभ हो गया। फसल पर इल्लियों के आ धमकने से किसान चिंता बढ़ जाती है।
क्योंकि सबसे अधिक इल्लियां ही चने की फसल को नुकसान पहुंचाती है। इसका नियंत्रण बेहद जरूरी है। आज की कड़ी में इन इल्लियों से छुटकारा पाने के तरीको के बारे में हम जानेंगे।
जैविक नियंत्रण
स्प्रिंकलर से करे सिंचाई
■पौधों पर फूल आने के बाद स्प्रिंकलर से सिंचाई करें।
■ फल बेधक के निगरानी व नियंत्रन के लिए फेरोमोंन जाल 10 जाल/ एकड़ लगाये
■ वयस्क कीड़ो को आकर्षित करने व मारने के लिए प्रकाश जाल @ 1 प्रति हेक्टेयर लगाये।
■ फल बेधक के नियंत्रण के लिए 10/ एकड़ पक्षी पर्चेस को कीटभक्षी पक्षियों को आमत्रित करने के लिए लगाये।
■ फल बेधक के नियंत्रण के लिए परजीवी कीड़ो जैसे कि- ट्राइकोग्रामा व ब्रकोन की प्रजातियो का 50000/* एकड़ खेत मे छोड़ना चाहिए ।
■ फल बेधक के लार्वा को मारने के लिए नुक्लियेर पोलीहायड्रॉसीस वायरस का 250 लार्वा* एक़ुलेंत का छिड़काव करना चाहिए ।
■ बेसिलस थुरिंजींसीस का 600 ग्राम/ एकड़ की दर से उपयोग करना चाहिए ।
रासायनिक नियंत्रण
■ क्लोरेंट्रेनिलीप्रोल 18.5% एस सी 60 मि ली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे
■ लैमडॉ साइहैलोथरिन 5% इ सी 120 मि ली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे
■फ्लुबेन्ड़ामाईट 20 डब्लू जी 40 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।
■ सयंट्रेनिलिप्रोल 10.26 ओ डी 350 - 400 मि ली की दर से छिडकाव करे
■ इंडोसाकार्ब 15.5 एस सी 160-180 मि ली* की दर से छिड़काव करे ।
■Emamectin Benzoate 1.5% + fipronil 3.5%SC knock out नॉक आउट 20 ml प्रति पंप या 500 ml प्रति हेक्टेयर
■Thiamethoxam12.6%SC + Lamdacyhalothrin 9.5% SC
Lock down लॉक डाउन 6-8 ml प्रति पंप या 150 से 200 ml प्रति हेक्टेयर।
किसी भी एक कीटनाशक के साथ साथ मे 30 ml सील जी SIL G प्रति टैंक प्रभावी नियंत्रण हेतु।🙏
प्रकाश प्रपंच बिना किसी खर्च के बनाये
■प्रकाश प्रपंच का एक बहुत ही आसान तरीका है जिसका उपयोग किसान भाई आसानी से कर सकते है।
■3फीट पर गड्ढा खोदकर इसमें पानी के साथ घासलेट मिलाकर डालें।
■इसके ऊपर बल्व लगाएं ताकि रात में प्रौढ़ कीट आकर्षित होकर आसपास आकर गड्ढे में गिरकर मर जाएंगी।
देशी व रसायनिक उपायो को अपनाकर किसान अपनी फसल को इल्लियों से सुरक्षित रख सकते हैं।
तकनीक प्रचारक
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