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सफलता की कहानी:-रागी की खेती से बढ़ी बोतल्दा के कृषक बोधीलाल पटेल की आमदनी

सफलता की कहानी:-रागी की खेती से बढ़ी बोतल्दा के कृषक बोधीलाल पटेल की आमदनी


5711.00 रु. प्रति क्विंटल की दर से कुल 6,30,000 रु. भुगतान राशि प्राप्त हुई |

कृषक श्री बोधीलाल पटेल पिता स्व.श्री मनीराम पटेल ग्राम - बोतल्दा, विकासखण्ड - खरसिया, जिला- रायगढ़ (छ.ग.) का निवासी है| ग्राम- बोतल्दा खरसिया- सक्ती मुख्य मार्ग में नेशनल हाईवे से लगा हुआ है |

कृषक के पास कुल 14.00 हेक्टेयर जमीन है | जिन पर मेरे द्वारा वर्ष 2020-21 में खरीफ़ में धान की खेती तथा रबी में 2 हेक्टेयर में, सरसों, उड़द, मूंग,हल्दी, अरबी एवं सब्जी की खेती तथा 4 हेक्टेयर में गेंहूँ की खेती की गयी थी जिससे मुझे गेहूं फसल से औसतन उपज 30 क्विंटल प्रति हे. के हिसाब से कुल 120 क्विंटल उपज प्राप्त हुआ | जिसका मुझे 1700 रु. प्रति क्विंटल की दर से कुल 2,04,000 रु. प्राप्त हुई |

कृषि विभाग खरसिया द्वारा आयोजित प्रशिक्षण मिलेट मिशन (रागी क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम) से प्रेरित होकर रबी वर्ष 2021-22 में मैंने 4 हेक्टेयेर रकबा में गेंहूँ के बदले रागी की 2 हेक्टेयेर क्षेत्र में रोपा एवं 2 हेक्टेयेर क्षेत्र में छिड़कावा विधि से खेती प्रारंभ किया | जिसका बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत छ.ग. राज्य बीज प्रक्रिया केंद्र चपले में पंजीयन भी कराया था | कृषि विभाग खरसिया द्वारा 30 किलो रागी बीज नगद एवं 10.00 किग्रा. बीजग्राम (SMSP) योजना के तहत 50% अनुदान पर रागी बीज की VL मंडुवा – 352 C-1 किस्म प्राप्त किया था | खरपतवारनाशी की जानकारी नही होने के कारण हाथ से ही निंदा नियंत्रण का कार्य किया |

कुछ एक खेत में तना छेदक कीट-व्याधि की समस्या भी देखने को मिली थी | जिसके नियंत्रण के लिए बाईफेन्थ्रिन रासायनिक दवाई का 1 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से स्प्रे किया गया था, जिससे काफी हद तक तना छेदक कीट की समस्या का समाधान हो गया |


रागी की फसल को कृषि विभाग के अधिकारीयों के सलाह के अनुसार 15-20 दिनों के अन्तराल में हल्की सिंचाई की गयी थी | लगभग 120 दिनों में फसल पकने के उपरांत मेरे द्वारा हार्वेस्टर से रागी फसल का कटाई कार्य किया गया | रागी की नर्सरी की तैयारी से रोपाई कार्य एवं फसल कटाई से बिक्री तक रोपा में लगभग 37715 रु. तथा बोता में 25465 रु. प्रति हेक्टेयर लागत आयी थी |

कृषि विभाग खरसिया से अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा पूरे फसल चक्र तक रागी खेत का सतत निरीक्षण भ्रमण एवं मार्गदर्शन किया गया, साथ ही साथ बीच- बीच में कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ से कृषि वैज्ञानिक, बीज प्रक्रिया केंद्र चपले से सम्बंधित अधिकारी/कर्मचारी एवं राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी द्वारा भी रागी खेत का निरीक्षण कर मार्गदर्शन मिलता रहा | आस-पास के किसानों में रागी की खेती के प्रति जागरूकता लाने के लिए उनको भी समय-समय पर कृषि विभाग द्वारा खेत भ्रमण कराया जाता रहा |

1 हेक्टेयर रागी की खेती के लिए 2 ट्रैक्टर गोबर खाद, 7.5 क्विंटल वर्मी खाद एवं 3 बोरी यूरिया, 1 बोरी डी.ए.पी. एवं ½ बोरी पोटाश रासायनिक उर्वरक का उपयोग किया गया था | रागी की फसल में बोता में निंदा नियंत्रण की आवश्यकता पड़ी  

फसल कटाई प्रयोग 

कृषि विभाग एवं बीज निगम के अधिकारीयों द्वारा लगभग कम से कम 20 क्विंटल प्रति हे. उपज आ जाने का आश्वासन रागी खेत के निरीक्षण के दौरान दिया गया था, किन्तु फसल कटाई होने पर जो उपज प्राप्त हुआ उसका मुझे भी अंदाजा नहीं था, क्योंकि मेरे द्वारा पहली बार रागी का फसल लगाया गया था, मेरे ही गाँव के अन्य कृषक मित्रों एवं कृषि विभाग खरसिया की नजर भी मेरे रागी फसल के उपज का बेसब्री से इंतजार था, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा फसल कटाई प्रयोग करने पर रोपा विधि से रागी की औसतन उपज 32.5 क्विंटल /हे. एवं छिटकवा बिधि से औसतन उपज 21.25 क्विंटल /हे. प्राप्त हुआ | जिसका  5711 रु. प्रति क्विंटल की दर से कुल 6,30,000 रु. भुगतान राशि प्राप्त हुई |



खरपतवारनाशी की जानकारी नही होने के कारण हाथ से ही निंदा नियंत्रण का कार्य किया |

कुछ एक खेत में तना छेदक कीट-व्याधि की समस्या भी देखने को मिली थी | जिसके नियंत्रण के लिए बाईफेन्थ्रिन रासायनिक दवाई का 1 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से स्प्रे किया गया था, जिससे काफी हद तक तना छेदक कीट की समस्या का समाधान हो गया |



रागी की फसल को कृषि विभाग के अधिकारीयों के सलाह के अनुसार 15-20 दिनों के अन्तराल में हल्की सिंचाई की गयी थी |लगभग 120 दिनों में फसल पकने के उपरांत मेरे द्वारा हार्वेस्टर से रागी फसल का कटाई कार्य किया गया | रागी की नर्सरी की तैयारी से रोपाई कार्य एवं फसल कटाई से बिक्री तक रोपा में लगभग 37715 रु. तथा बोता में 25465 रु. प्रति हेक्टेयर लागत आयी थी |



कृषि विभाग खरसिया से अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा पूरे फसल चक्र तक रागी खेत का सतत निरीक्षण भ्रमण एवं मार्गदर्शन किया गया, साथ ही साथ बीच- बीच में कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ से कृषि वैज्ञानिक, बीज प्रक्रिया केंद्र चपले से सम्बंधित अधिकारी/कर्मचारी एवं राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी द्वारा भी रागी खेत का निरीक्षण कर मार्गदर्शन मिलता रहा |आस-पास के किसानों में रागी की खेती के प्रति जागरूकता लाने के लिए उनको भी समय-समय पर कृषि विभाग द्वारा खेत भ्रमण कराया गया|

रागी फसल प्रदर्शन का लघु चलचित्र


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