हरा फुदका :-भिंडी को इस कीट से छुटकारा दिलाएं
भिंडी की फसल सब्जी उत्पादक किसानों की पहली पसंद होती है और इससे सब्जी उत्पादक किसानों को काफि लाभ भी होता है। भिंडी की खेती करने वाले किसान सबसे ज्यादा वायरस से फैलने वाले यलो वाइन मोजेक से परेशान होते है फिर नम्बर आता है हरा फुदका जो कि अभी कई किसानों का सर दर्द बना हुआ है।
आइए आज की कड़ी में हम इसी कीट के बारे में बात करते है।
यह कीट हरे रंग का 3 - 5 मि.मी. लम्बा वेलनाकार कीट होता है। भिंडी की फसल में यह कीट बहुत ज्यादा क्षति पहुंचाता है। फसल को नुकसान होने से बचाएं।
इस कीट का प्रकोप पौधो के प्रारम्भिक वृद्धि अवस्था के समय से होता है। शिशु एवं वयस्क पौधे की पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है। प्रभावित पत्तियां पीली होकर ऊपर की ओर मुड़कर कटोरा नुमा आकार की हो जाती है। अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां मुरझा कर सूख जाती हैं।
नियंत्रण के उपाय
जैविक नियंत्रण
⭕ एक लीटर, आठ दस दिन पुराना गौ मूत्र का छः लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गौमूत्र जितना पुराना होगा उतना ही फायदेमंद होगा। 10 दिनों के अंतराल पर फसल पर गौमूत्र का छिड़काव करते रहें।
⭕ नीम आधारित कीटनाशकों जैसे निम्बीसिडीन निमारोन, इको नीम या बायो नीम में से किसी एक का 5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर सांयकाल में या सूर्योदय से एक दो घंटे पहले पौधों पर छिड़काव करें। घोल में सैम्पू या डिटर्जेंट मिलाने पर दवा अधिक प्रभावी होती है।
⭕ 5 से 10 पीली स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ स्थापित करें।
रसायनिक नियंत्रण
⭕ रासायनिक नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यू जी @ 14 ग्राम 120 लीटर पानी के साथ या थायामेथोक्साम 25% डब्ल्यू जी @ 40 ग्राम 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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