समसामयिक सलाह:-धान की नर्सरी अवस्था में फसल को स्वस्थ रखने
धान की खेती हमारे छत्तीसगढ़ की प्रमुख खेती है धान की खेती करने वाले किसान इस बात को अच्छी तरह से जानते है कि निश्चित अवधि पर सही कार्य नही किया जाए तो आगे चलकर फसल की उपज पर इसका काफी प्रभाव पड़ता है।
आज की कड़ी में हम बताएंगे कि धान की नर्सरी अवस्था पर क्या-क्या काम किये जा सकते है जिससे फसल स्वस्थ रहे।
⭕ धान बुआई के 12 -14 दिन बाद एक किलो यूरिया प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से सप्ताह के अंतराल पर छिड़काव करें।
⭕ धान की नर्सरी में पीलेपन के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे - फफूंदी जनित बीमारियां, रस चूसक कीट, पोषक तत्वों की कमी आदि। पौधों को ध्यान पूर्वक देखकर इसका प्रबंधन करें। धान नर्सरी की क्यारियों की सिंचाई शाम को दिन डूबते समय करें।
⭕नर्सरी उखाड़ने के एक सप्ताह पहले नाइट्रोजन उर्वरकों की पूरी मात्रा का प्रयोग कर लें, ताकि नर्सरी का आधार मजबूत हो सके।
⭕ नर्सरी उखाड़ने से पहले क्यारी को पानी से भर लें, ताकि पौध की जड़ न टूटे। पौध को आराम से उखाड़ा जाए।
⭕ कमजोर बीमार और अन्य किस्मों के पौधों को हटा दें।
⭕ पौधों को किसी मुलायम रस्सी पांच से आठ सेंटीमीटर व्यास वाले सुविधाजनक बंडलों में बांध लें और उनकी जड़ को पानी में डुबोकर रखे।
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