#गोरख_इमली
#खुरासानी_इमली
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अगर आप इन्हें #आम समझ रहे हैं तो गलती कर रहे हैं,,, ये हैं मांडव की इमली,,, मांडवगढ़ में इनके सैकड़ो वृक्ष हैं,,
कुछ पेड़ तो इतने मोटे हैं कि उनको तने के अंदर से खोखला करके अंदर दो-चार आदमी के रहने लायक #रूम बनाया जा सकता है,,
पहले कुछ लोगों ने ऐसा किया भी है,,,आज भी अफ्रीका में वनवासी यही करते हैं,,
यहाँ #मांडवगढ़ में सैकड़ो #वनवासी महिलाएं टोकरियों में ये इमलियाँ और अलग से निकालकर इनके बीज बेचती दिखाई दे जाएंगी,,,
कुछ जगहों पर #खुरासानी इमली भी कहते है,, हठयोग के आचार्य गुरु गोरखनाथ जी योग ध्यान का प्रचार करने के लिए अफ्रीका तक गए थे,, वहां के वनों में इसकी बहुतायत है,, वहीं से वे इसके बीज लेकर आए और मांडवगढ़ में बिखेर दिए,,इसीलिए इसे #गोरखइमली भी कहा जाता है,,,
नाथ सम्प्रदाय के साधु सिद्धि के लिए गोरखइमली के वृक्षों के नीचे साधना करते हैं,,,जो तीव्र फलदायी होती है,,
अद्भुत है ईश्वर की बनाई सृष्टि भी,,,
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