#गुच्छी #मशरूम: ₹30000 किलो बिकने वाला यह मशरूम का ज़ायका बेहद #लज़ीज़ होता है!
#मार्कुला_एस्क्यूपलेंटा
यूं तो #दुनिया में बहुत सी #वैरायटी के मशरूम हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा गुच्छी मशरूम की हो रही है मशरूम दो तरह के होते हैं एक नॉर्मल जिसमें आमतौर पर बटन मशरूम होते हैं जबकि दूसरा मेडिसिनल पर्पज वाले जिसमें गुच्छी जैसी मशरूम की प्रजातियां शामिल हैं.
इसे स्थानीय भाषा में गुच्छी नाम से जाना जाता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत काफी ज्यादा है. जानकार बताते हैं कि यह #मधुमक्खी के छत्ते जैसी टोपी के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है. सेन्ट्रल एवं वेस्टर्न हिमालयी क्षेत्र के स्थानीय लोग इस मशरूम का इस्तेमाल कई सालों से #स्वास्थ्यवर्धक आहार के रूप करते आ रहे हैं. लैटिन भाषा में इसे #मोर्सेला एस्कुलेन्टा या मोरेल मशरूम के नाम से जाना जाता है. यह मशरूम #हिमांचल प्रदेश, #उत्तराखंड के उच्च #हिमालयी #क्षेत्रों में खुद ही उगते हैं. वहीं कुमाऊ की दारमा #घाटी, #गढ़वाल की नीती घाटी में यह मशरूम मार्च में उगते हैं और अप्रैल एवं जून के महीने में स्थानीय लोग इन्हें तोड़ना शुरू कर देते हैं. यह #कश्मीर की घाटी में भी उगती है.
हिमालय के #पहाड़ी और #जंगली इलाकों में जब आसमानी बिजली गिरता है तो उसी समय कुदरत की कोख से एक दिव्य औषधीय मशरूम की जन्म होता है जिसे हम गुच्छी के नाम से जानते हैं।इसके उगने का समय #सितम्बर से #दिसम्बर तक होता है। हिमालय के तराई में रहने वाले लोगों के लिए यह संजीवनी के समान है। इस सब्जी की खासियत यह है कि यह जिस जगह पर एक जगह पैदा हो जाती है वहां दोबारा से नहीं होती है, जिस वजह से लोगों को इसे खोजने में काफी समय लगता है।
₹30000 से अधिक कीमत में बिकने वाला गुच्छी (#Gucchi) जो एक प्रकार का जंगली मशरूम है जिसे पकाने के लिए भी काफी जद्दोजहद करना पड़ती है. हालांकि दिल के रोगों के लिए कारगर मानी जाती है. वहीं कई प्रकार के #पौषक तत्व इसमें होते हैं, जिस वजह से यह इतनी महँगी होती है. विटामिन से भरपूर गुच्छी की सब्जी बनाने का भी एक ख़ास तरीका होता है.
ये है वैज्ञानिक नाम
गुच्छी को हिमालय और जम्मू कश्मीर की पहाड़ियों से वहां के लोग अपनी जान खतरे में डालकर लाते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है, जो जंगली मशरूम की एक प्रजाति है. जो यहाँ पहाड़ों में खुद ब खुद उग आती है. कई महीनों के मेहनत के बाद इसे जमा कर मार्किट में भेजा जाता है. गुच्छी को बारिश में एकत्रित करने के बाद सुखाया जाता है, फिर सर्दी में इसका उपयोग किया जाता है.
कई तत्व से भरपूर
सबसे लज़ीज पकवान
गुच्छी की सब्जी काफी लज़ीज़ तरीके से बनती है, जिसमें ड्राय फ्रूट्स, सब्जियों और देशी घी का उपयोग होता है. बेहद दुर्लभ क़िस्म की इस सब्ज़ी की विदेश में अच्छी डिमांड रहती है. अक्सर लोग गुच्छी की सब्जी को लेकर मज़ाक करते हैं कि इस सब्जी को खाने के लिए आपको लोन भी लेना पड़ सकता है. इसके नियमित सेवन से दिल सम्बंधित बीमारियां नहीं होती है. हिमालय के पहाड़ों में वहां स्थानीय निवासी इसे बड़ी मुश्किल से खोजते हैं. जिसके बाद सुखाकर इसे बाजार में लाया जाता है. जो विभिन्न वैरायटी में होती है। अगर आपने कभी इसका स्वाद लिया हो या इससे जुड़ी कोई जानकारी हो तो अवश्य साझा करें।
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