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कृषि सलाह-केंचुआ/गोबर खाद के साथ रासायनिक उर्वरक का उपयोग कैसे करें

 
कृषि सलाह- केंचुआ / गोबर खाद के साथ रासायनिक उर्वरक का उपयोग कैसे करें।


विदित है कि गोधन न्याय योजना, राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के अंतर्गत संपूर्ण प्रदेश में स्थापित गौठान परियोजना का संचालन किया जा रहा है। जिसके तहत ग्राम स्तर पर गौठानों का गठन किया गया है जिसमें दिन में पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई हैं और पशुओं के चारा उत्पादन एवं ग्रामीण आजीवका से संबंधित विभिन्न योजना चलाये जा रहे है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने से, जैविक खेती को बढ़ावा, ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर रोजगार के नए अवसर, गौ-पालन एवं गौ-सुरक्षा को प्रोत्साहन के साथ-साथ पशु पालकों एवं स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से स्वालंबी बनाया जा रहा है।


इस संबंध में आवश्यक है कि संचालक, अनुसंधान सेवायें, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के द्वारा प्रेषित टीप को अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए जिससे कृषक बंधु गोबर खाद एवं केंचुआ खाद का उपयोग करके रासायनिक उर्वरकों में अपनी निर्भरता को भी कम कर सके।

छत्तीसगढ़ की प्रमुख रबी फसलों में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन

केंचुआ / गोबर खाद के साथ रासायनिक उर्वरक का उपयोग कैसे करें

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वर्तमान में राज्य स्तर पर दो महत्वपूर्ण परियोजनायें संचालित की जा रही है।
1. नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी
2. गौधन न्याय योजना


1. नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी :
इस योजना के तहत राज्य में पशुधन के प्रबंधन हेतु गौठान परियोजना का संचालन किया जा रहा है। जिसके तहत ग्राम स्तर पर गौठानों का गठन किया गया है जिसमें दिन में पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई हैं और पशुओं के चारा उत्पादन एवं ग्रामीण आजीवका के संबंधित विभिन्न योजना चलाये जा रहे है । जिसमें घुरवा प्रबधंन के अंतर्गत जानवरों के मलमूत्र द्वारा जैविक खाद बनाने की योजना कार्यरत है। जिसके तहत वृहद स्तर पर जैविक खाद निर्माण/तैयार किया जा रहा है। गोबर खाद में औसतन नत्रजन की 0.5 प्रतिशत फास्फोरस 0.3 प्रतिशत तथा पोटाश 0.5 प्रतिशत लगभग होता है।

2. गौधन न्याय योजनाः


इस योजना के तहत राज्य में विभिन्न पशुपालकों से शासन द्वारा 2 रूपये प्रतिकिलो की दर से गोबर खरीदी का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिससे वृहद मात्रा में ग्राम स्तर पर गोबर एकत्र हो रहा है। जिसका उपयोग गोबर खाद एवं केंचुआ खाद बनाने में किया जा रहा है । औसतन केंचुआ खाद में नत्रजन 1 प्रतिशत, फास्फोरस 0.5 प्रतिशत तथा पोटाश 0.8 प्रतिशत लगभग होता है।
उपरोक्त दोनों योजनाओं से राज्य स्तर पर वृहद मात्रा में जैविक खाद तैयार हो रहे है जिसका छत्तीसगढ़ के कृषक अपने खेत में उपयोग कर न केवल मृदा के स्वास्थ्य को सुधार सकते है बल्कि अपने उत्पादन लागत को भी कम कर सकते है। इस तरह कृषक बंधु गोबर खाद एवं केंचुआ खाद का उपयोग करके रासायनिक उर्वरकों में अपनी निर्भरता को भी कम कर सकते है तथा जिसका सीधा लाभ उनके उत्पादन लागत में देखने को मिलता है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न परियोजना परिणाम ये बताते है कि जिन जगहों पर रासायनिक खाद के साथ-साथ गोबर/ केंचुआ खाद का उपयोग किया जाता है वहां 25-50 प्रतिशत तक रासायनिक उवरकों के उपयोग में कमी लाई जा सकती है, और फसल की लागत को भी कम करके कुल आय में वृद्धि की जा सकती है।

1.00 क्विंटल केंचुआ खाद के उपयोग से लगभग 1.00 किलोग्राम नत्रजन, 0.5 किग्रा फास्फोरस,
0.8 किग्रा पोटाश तथा अन्य आवश्यक सूक्ष्म तत्व प्रदाय किया जा सकता है। इसी तरह 1 क्विंटल गोबर/कम्पोस्ट खाद के उपयोग से लगभग 0.5 किलोग्राम नत्रजन, 0.25-0.3 किग्रा फास्फोरस, 0.4-0.5 किग्रा पोटाश तथा अन्य आवश्यक सूक्ष्म तत्व प्राप्त होते हैं ।

उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए किसानों की सुविधा हेतु रासायनिक उर्वरक एवं गोबर / केंचुआ खाद कितनी मात्रा में डालना चाहिए उसकी एक तालिका निम्नलिखित है:-



नोटः 
■कम्पोस्ट एवं केंचुआ खाद में उपस्थित पोषक तत्व व नमी की मात्रा के आधार पर उपरोक्त खाद एवं उर्वरक की मात्रा परिवर्तनशील है।

 ■उपरोक्त तालिका के अनुसार विभिन्न रबी फसलों में सामान्यतः कृषको द्वारा रासायनिक खाद में डी.ए.पी. का अधिक उपयोग किया जाता है।इसलिए डी.ए.पी. उर्वरको आधार मानकर गणना की गई है। 

■यदि अधिक उपलब्धता के आधार पर गोबर एवं केंचुआ खाद की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है । उसी अनुपात में रासायनिक उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है। जिससे न केवल अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है बल्कि मृदा स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार देखने को मिलता है। 

■गोबर/कम्पोस्ट खाद के उपयोग हेतु वर्तमान में बाजार में FYM Applicator उपलब्ध है जिससे फसल के बीज के साथ ही गोबर की खाद को बोवाई के साथ दिया जा सकता है। जिससे उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ जाती है।

साभार
(आर.के. बाजपेयी)
संचालक अनुसंधान सेवायें
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय
एवं
छत्तीसगढ़ शासन
कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा
जैव प्रौद्योगिकी विभाग
मंत्रालय,महानदी भवन, अटल नगर, जिला -रायपुर (छ0ग0)

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