सरसों की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं
पूसा बोल्ड
यह किस्म 130 से 135 दिन में पक्का तैयार हो जाती है | इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है | वर्ष 1985 में अधिसूचित,सिंचित एवं बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म, पौधे मध्यम कद के, पत्तियां मध्यम आकार की व मध्यम हरी होती हैं। फलियां मोटी व हरी होती हैं जो पकने पर सुनहरी भूरे रंग की हो जाती है। शाखाएं फलियों से लदी हुई होती है। इसके दाने मोटे होते हैं जिनमें तेल की मात्रा 42 प्रतिशत तक होती है।
पूसा जय किसान [बायो-902]
130 से 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है | यह किस्म वर्ष 1994 में अधिसूचित, सिंचित एवं बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म, सफेद रोली, विल्ट व तुलासित रोगों का प्रकोप अन्य किस्मों की अपेक्षा कम होता है। किस्म टिश्यू कल्चर द्वारा टी-59 से विकसित की गई है। यह रोग रोधी है। दानों में तेल की मात्रा 38-39 प्रतिशत तक होती है। इसके तेल में इरूसिक एसिड व लिनोलिक एसिड की मात्रा कम होने के कारण तेल से असंतृप्त-वसीय अम्ल कम होती है। इसलिए इसका तेल खाने के लिए अधिक उपयुक्त होता है। यह टी-59 (वरूणा) का विकल्प है।
लक्ष्मी आर एच 8812
140 से 145 दिन में पक कर तैयार होती है इसकी पैदावार 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है| वर्ष 1997 में अधिसूचित सामान्य बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म, पौधों की ऊंचाई 160 सेमी, पत्तियां छोटी व पतली होती हैं। तना मोमरहित, फलियां मोटी, दाना काला, फलियां पकने पर चटकती नहीं है।
डी एम आर 601
यह किस्म 137 से 145 दिन में पक कर तैयार होती है जिसकी पैदावार 20 से 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है यह किस्म वर्ष 2010 में अधिसूचित है। जो प्रमुख रूप से पंजाब/हरियाणा व राजस्थान आदि हेतु उपयुक्त है। पौधों की ऊंचाई सामान्यताः 161 से.मी. से 210 से.मी. भी रहती है।
रोहिणी
यह किस्म में 140 से 145 दिन में पक कर तैयार होती है इसकी पैदावार 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है | समय पर बुवाई हेतु उपयुक्त यह किस्म पाला प्रतिरोधी है इसका दाना सामान्य आकार का होता है तथा इसमे सामान्यतः तेल की मात्रा 40-42 प्रतिशत तक
होती है।
पूसा मस्टर्ड 26
यह किस्म 115 से 137 दिन में पक कर तैयार होती है इसकी पैदावार 16 से 18 क्विटल प्रति हेक्टेयर तक है | वर्ष 2011 में अधिसूचित किस्म, यह किस्म, राजस्थान में देरी से सिंचित क्षेत्र में बुवाई हेतु उपयुक्त है। किस्म आडी गिरने व झड़ने के प्रति रोधी है। यह सफेद रोली रोग, चेपा कीट के प्रति सहन शील होन के साथ-साथ उच्च तापमान रोधी। पौधों की ऊंचाई 160-195 सेमी रहती है।
पूसा मस्टर्ड 28
यह किस्म 107 से 110 दिन में पक कर तैयार होती है जिसकी पैदावार 16 से 18 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक है | वर्ष 2012 में अधिसूचित यह किस्म सिंचित क्षेत्र में जल्दी बुवाई हेतु उपयुक्त है। यह किस्म आडी गिरने व झड़ने के प्रति रोधी है। इस किस्म में सफेद रोली रोग का प्रकोप कम होता है। इस किस्म में तेल की मात्रा 40-42.80 प्रतिशत होती है। यह किस्म लवणीयता के प्रति सहनशील है।
स्रोत :- © श्री मुकन्द राम जी भट्टी
सहायक कृषि अधिकारी राजियासर
तहसील सूरतगढ़ जिला श्रीगंगानगर
कृषि विभाग राजस्थान
© लाखन सिंह सत्तावन
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