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औषधि:-आइए जाने हींग के औषधीय गुणों के बारे में।

 
औषधि:- आइए जाने हींग के औषधीय गुणों के  बारे में।

हींग की कई प्रजातियाँ होती हैं। हींग का पौधा (Heeng Plant/Tree) 1.5-2.4 मीटर ऊँचा, सुंगधित होता है। यह कई वर्षों तक हरा-भरा रहता है। इसका तना कोमल होता है। तने में ढेर सारी डालियां होती हैं। इसके तने और जड़ में चीरा लगाकर राल या गोंद प्राप्त किया जाता है, जिसे हींग कहते है।



हींग के तने और जड़ के कटे हुए भाग से रस निकलता रहता है। इसे जमा कर लिया जाता है। कुछ समय बाद इस भाग को थोड़ा और काट दिया जाता है। इससे निचले भाग से रस झड़ने लगता है। इसे भी जमा किया जाता है। पहली बार काटने के तीन महीने बाद, दूसरी बार चीरा लगाया जाता है।

इसकी जड़ गोंद तथा गन्धयुक्त होती है। इसके गोंद को मार्च से अगस्त के महीने में निकाला जाता है। शुद्ध हींग सफेद, स्फटिक के आकार का, 5 मि.मी. व्यास के गोल या चपटे टुकड़ों में होती है। हींग निकालने के लिए इसका चार वर्ष पुराना पौधा (heeng plant) श्रेष्ठ माना जाता है। इसे पीस कर पाउडर बनाया जाता है।


यहां हींग से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Hing/Asfoetida Powder in hindi) में लिखा गया है ताकि आप हींग से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।



अन्य भाषाओं में हींग के नाम (Name of Hing in Different Languages)
हींग का वानस्पतिक नाम Ferula narthex Boiss. (फेरुला नार्थेक्स) है और यह Apiaceae (एपिएसी) कुल का है। हींग को अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Hindi – हींग
English (Hing In English) – तिब्बतन ऐसैफेटिडा (Tibetan assafoetida), Asafoetida (ऐसैफिटिडा)
Tamil (Hing/Asafoetida In Tamil) – पेरुगियम (Perungiyam), पेरुंगायम (Perungayam)
Sanskrit – सहस्रवेधि, जतुक, बाह्लीक, हिंगु, रामठ, हिंगुका
Urdu – हिंग (Hing), हींग (Heeng)
Kannada – हींग (Hing), हिंगु (Hingu)
Gujarati – वधारणी (Vadharani), हींग बधारणी (Hing badharani)
Telugu – इंगुर (Ingur), इंगुरा (Ingura)
Bengali – हिंगु (Hingu), हींग (Hing)
Punjabi पंजाबी – हिंगे (Hinge), हींग (Hing)
Marathi – हींग (Hing)
Malayalam – करिक्कयम (Karikkayam), कयम (Kayam), रुगायम (Rungayam)
Arabic – हल तीत् (Hal tith), हिलतुत (Hiltut)
Persian – अगेंजह (Angezah), अंगुजा (Anguza)

हींग के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of (Asafoetida) Hing in Hindi)

आप हींग (hing benefits) का औषधीय प्रयोग इन तरीकों से कर सकते हैंः-


पीलिया में लाभदायक हींग का प्रयोग (Benefits of Hing in Fighting with Jaundice in Hindi)

हींग को जल में घिसकर आंख में काजल की तरह लगाने से पीलिया रोग में लाभ होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

कान दर्द में फायदेमंद हींग का प्रयोग (Hing Benefits to Cure Ear Pain in Hindi)

हींग, तुम्बरु तथा सोंठ के काढ़ा बना लें। इसे सरसों के तेल में पका लें। इसे 1-2 बूंद की मात्रा में कान में डालें। इससे कानदर्द, कान में सनसनाहट तथा कान में घाव आदि में लाभ होता है।
स्वर्जिका क्षार, सूखी मूली, हींग, काली मिर्च, सोंठ तथा शतपुष्पा के काढ़ा को तेल को पका लें। इसे 1-2 बूंद की मात्रा में कान में डालें। इससे कान में सनसनाहट, बहरापन तथा कान बहने आदि रोगों में लाभ (hing ke fayde) होता है।
हिंग्वादि तेल को 1-2 बूंद कान में डालने से कर्णशूल (कान के दर्द) ठीक होता है।
हींग को पानी में घिसकर गुनगुना करके 1-2 बूंद कान में डालने से कान के रोग ठीक होते हैं।

हींग के सेवन से खांसी और दमा का इलाज (Hing Benefits in Fighting with Cough and Respiratory Disease in Hindi)

हींग को जल में पीसकर गुनगुना कर लें। इसे छाती पर लगाने से दमा, कुक्कुरखांसी, फेफड़े की सूजन में लाभ होता है।


हींग का प्रयोग दिलाये मासिक धर्म के दर्द से दिलाये (Hing Beneficial to Get Relief from Menstrual Pain in Hindi)

महिलाओ में मासिक धर्म के के दौरान होने वाले दर्द में या मासिक धर्म के अनियमित रूप से होने जैसी समस्याओ के लिए आप हींग का प्रयोग कर सकते है, क्योंकि इसमें पाये जाने वाले औषधि तत्व मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द के साथ -साथ अन्य तकलीफों को भी कम करने में मदद करते है।

दांत दर्द से राहत दिलाने में लाभकारी हींग का गुण (Hing Beneficial to Treat Toothache in Hindi)

अगर आप दांत दर्द से परेशान हैं और चाहते है कि घर पर ही कुछ ऐसा मिल जाये जिससे दांत के दर्द को कम किया जा सके तो हींग का उपयोग आपके लिए एक अच्छा उपाय हो सकता है, क्योंकि हींग में दर्दनिवारक गुण के साथ -साथ एन्टीबैक्ट्रिअल का भी गुण पाया है जो कि दांत दर्द कम कम करने में मदद करती है।


पेट दर्द से राहत दिलाने में सहायक हींग (Hing Beneficial to Get Relief from Colic in Hindi) Abdominal Pain

कोलिक दर्द के लिए हींग का प्रयोग सबसे जाना -पहचाना उपचार है। हींग का उपयोग कोलिक दर्द में मदद करता है क्योंकि इसमें दर्द निवारक की क्रियाशीलता पायी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार भी हींग में वातानुलोमक का गुण होता है जो कि कोलिक दर्द को कम करने में मदद करता है।


कैंसर से शरीर की रक्षा करने में लाभकारी हींग (Hing Beneficial to Prevent Body from Cancer in Hindi)

हींग के औषधीय गुण शरीर की कैंसर से रक्षा करने में मदद करते है। हींग में कैंसर रोधी क्रियाशीलता पायी जाती है जो कि कैंसर को फैलने से रोकती है।


हींग चूर्ण करे कीड़े के काटने का उपचार (Benefit of Hing to Treat Insect Bite in Hindi)

यदि आप पेट में कीड़ो की समस्या से परेशान है तो हींग का उपयोग आपको इस समस्या को दूर करने में मदद कर सकता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार इसमें कृमिघ्न का गुण पाया जाता है।


निमोनिया के इलाज में हींग का उपयोग (Benefit of Hing to Treat Pneumonia in Hindi)

निमोनिया की समस्या में हींग का सेवन फायदेमंद होता है क्योंकि हींग में कफ को शांत करने के साथ -साथ एंटी बैक्ट्रियल गुण भी होता है जो कि निमोनिया के लक्षण को कम करने में मदद करते है।


बच्चों की काली खांसी में हींग के फायदे (Hing Beneficial to Treat Whooping Cough in Hindi)

काली खांसी को नियंत्रित करने में भी हींग का उपयोग फ़ायदेमंद होता है, क्योंकि हींग में कफ को शांत करने के साथ -साथ एंटी बैक्ट्रियल गुण भी होता है जो कि काली खांसी के लक्षणो को कम करने में मदद करती है।


पेट के रोग में करें हींग का सेवन (Benefits of Asafoetida (Perungayam) Powder for Abdominal Disease in Hindi)

द्विरुत्तरहिंग्वादि चूर्ण (हिंगु 1 भाग, वचा, चित्रकमूल, कूठ, सज्जीक्षार, वायविडंग) लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे पेट फूलना, हैजा, पेट दर्द, हृदय रोग, गैस की समस्या आदि में लाभ (heeng benefits) होता है।
हिंग्वादि चूर्ण (हींग 1 भाग, वचा 2 भाग, विड नमक तीन भाग, सोंठ चार भाग, जीरा, पुष्करमूल तथा कूठ) का सेवन करें। इससे तिल्ली बढ़ने, पेट के रोग, अपच, हैजा और पेट की गैस की समस्या में लाभ होता है।
भोजन के पहले जल या मधु के साथ 1-2 ग्राम कीक मात्रा में हिंग्वादि चूर्ण का सेवन करें। इससे गैस बनना, कमर के बाजू में दर्द होने की समस्या आदि रोग में फायदा होता है। इस चूर्ण में बिजौरा नींबू के रस की भावना देकर बनाई गई गुटिका का प्रयोग अधिक फलदायक (hing ke fayde) होता है।
1-3 ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण (सोंठ, मरिच, पिप्पली, अजमोदा, सेंधा नमक, सफेद तथा कृष्ण जीरक) लें। सभी बराबर मात्रा में होनी चाहिए। इसके आँठवें भाग में घी में भुनी हुई हींग मिला लें। इसे भोजन के पहले कौर के साथ खाना चाहिए। यह पाचन विकार को ठीक करके गैस को खत्म करता है।
1-2 ग्राम हिंग्वादियोग (घी में भुनी हींग 1 भाग, बनाय 3 भाग, एरण्ड तेल 9 भाग तथा लहसुन का रस 27 भाग) का सेवन करें। इससे गैस की समस्या तथा पेट के अन्य रोगों में लाभ होता है।
बिजौरा नींबू का रस 5 मि.ली., घी में भुनी हुई हींग 65 मि.ग्रा., अनार का रस 50 मि.ली., विड लें। इन सबको कांजी के साथ मिलाकर पीने से पेट में बने गैस के गोले में लाभ होता है।
बला, पुनर्नवा, एरण्ड, बृहती द्वय तथा गोक्षुर के 10-30 मि.ली. काढ़ा में 125 मि.ग्रा. हींग, बनाय तथा नमक मिला लें। इसे पीने से गैस के कारण होने वाले दर्द से तुरंत आराम होता है।
हरड़, सौवर्चल लवण, यवक्षार, हींग, सैंधव तथा जीरा के चूर्ण को कांजी के साथ सेवन करने से गैस का दर्द ठीक होता है।
एरण्ड एवं जौ के 10-30 मि.ली. काढ़ा में 250 मि.ग्रा. हींग, सौवर्चल नमक तथा 5 मि.ली. नीबू का रस मिला लें। इसे पीने से गैस का दर्द ठीक होता है।
अजवायन, हींग, बनाय, यवक्षार, सौवर्चल लवण तथा हरड़ चूर्ण को कांजी के साथ पीने से गैस का दर्द ठीक (benefits of heeng) होता है।
हींग, अम्लवेतस, काली मिर्च, आंवला, अजवायन, यवक्षार, हरड़ तथा बनाय लें। इन सभी का बराबर भाग ले कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-2 ग्राम मात्रा में कांजी मिलाकर पीने से गैस के कारण होने वाले तेज दर्द में लाभ होता है।
बराबर मात्रा में पर्पट क्षार तथा हींग को मिला लें। इसे पीसकर वटी बनाकर जल के साथ सेवन करें। इससे गैस के दर्द में शीघ्र लाभ होता है।
सोंठ तथा एरण्ड मूल के 10-30 मि.ली. काढ़े में 250 मि.ग्रा. हींग तथा सौवर्चल मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक होता है।
बराबर मात्रा में काला नमक, हींग तथा सोंठ चूर्ण को (3-5 ग्राम) गुनगुने जल के साथ सेवन करें। इससे कमर, पीठ तथा हृदय में होने वाले दर्द में लाभ (hing ke fayde) होता है।
भोजन के पहले अथवा बीच में, आसव-अरिष्ट अथवा छाछ या गर्म जल के साथ 1-2 ग्राम हिंग्वादि चूर्ण का सेवन करें। इससे गैस के गोले ठीक होते हैं। इसके साथ ही इससे कफ के कारण पेट फूलने, हृदय (छाती) दर्द, पेशाब करने में दर्द, बाजू में दर्द, गुदा में दर्द, गर्भाशय में दर्द में भी फायदा मिलता है। इसके अलावा पेशाब की कठिनाई, पेट फूलना, पीलिया, अरुचि, हिचकी, लीवर व तिल्ली बढ़ना, सूखी खाँसी, गले के दर्द, कब्ज तथा बवासीर आदि रोगों में लाभ (hing benefits) होता है।
2-4 ग्राम हिंग्वष्टक चूर्ण का सेवन सुबह भोजन से पहले सेवन करने से पाचन ठीक होता है, और गैस खत्म होता है।
Benefits of hing in stomach problem


दाँतों के रोग में फायदेमंद हींग का उपयोग (Benefits of Hing to Treat Dental Disease in Hindi)

हींग को थोड़ा गर्म कर लें। इसे जिस दांत पर कीड़े लगे हों वहां लगाकर थोड़ी देर के लिए दबा लें। इससे कीड़े नष्ट होने लगते हैं।

हींग के प्रयोग से पेचिश का इलाज (Hing (Asafoetida) Powder Benefits to Stop Dysentery in Hindi)

हींग, अपांप्म तथा खदिर सार चूर्ण को मिलाकर चने के समान (लगभग 250 मि.ग्रा.) वटी (गोली) बना लें। इसे जल के साथ सेवन करने से पेचिश में शीघ्र लाभ होता है।

सामान्य प्रसव कराने में मदद पहुंचाता है हींग का सेवन (Perungayam Benefits in Getting Normal Pregnancy in Hindi)

2 ग्राम शमी चूर्ण, 500 मिग्रा हींग तथा 1 ग्राम बनाएं मिलाकर कांजी के साथ पीने से सामान्य प्रसव होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

मैनिया में करें हींग का इस्तेमाल (Benefits of Asafoetida for Mania Disease in Hindi)

हींग, हींग के पत्ते, छोटी इलायची, ब्राह्मी तथा चोर पुष्पी के काढ़ा तथा पेस्ट लें। इसे घी (पुराना घी बेहतर होगा) में पका लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मैनिया रोग ठीक (hing ke fayde) होता है।
तीव्र उन्माद (मैनिया) रोग से पीड़ित व्यक्ति को बकरे के 25-50 मि.ली. मूत्र में 125 मिग्रा हींग मिलाकर पिलाना चाहिए।

दाद में फायदेमंद हींग का इस्तेमाल (Asafoetida Benefits to Treat Ringworm in Hindi)

अनेक लोग दाद के परेशान रहते हैं। दाद की समस्या में हींग के प्रयोग से फायदे मिलते हैं। हिंग को पीसकर दाद पर लगाएं। दाद ठीक होता है।

नहरूआ रोग में फायदेमंद हींग का उपयोग (Benefits of Asafoetida for Bala Disease in Hindi)

कपूर तथा हींग को मिलाकर पीस लें। इसे नहरुआ (स्नायुक) पर बांध देने से लाभ होता है। आप इस रोग में हींग को उपयोग में लाने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

बेहोशी ठीक करता है हींग (Asafoedia (Perungayam) in Beneficial in Unconsciousness Condition in Hindi)

आप किसी व्यक्ति को बेहोशी की अवस्था से होश लाने के लिए हींग का इस्तेमाल कर सकते हैं। 100 मि.ली. कांजी में 1 ग्राम सौवर्चल नमक, 125 मि.ग्रा. हींग, सोंठ, एक ग्राम मिर्च लें। इसके साथ ही 1 ग्राम पिप्पली मिलाकर मात्रानुसार पिलाने से लाभ होता है।

Hing benefits in Unconsciousness condition

बुखार उतारता है हींग का उपयोग (Benefits of Asafoetida for Fever in Hindi)

हींग, निम्बू फल के गुदे तथा पीपर को गोमूत्र में पीसकर काजल की तरह लगाने से बुखार ठीक होता है।
अजवायन, हरड़, हींग, चित्रक, सोंठ, यवक्षार, सज्जी क्षार, सफेद जीरा, पीपर, हरड़, बहेड़ा, आँवला, सौवर्चल तथा सेंधा नमक को बराबर मात्रा में पीस लें। इसे 1-2 ग्राम मात्रा में सेवन करने से बुखार ठीक (hing ke fayde) होता है।


हींग के उपयोगी भाग : Beneficial Part of Heeng (Asafoetida) in Hindi
आप हींग के इन भागों का उपयोग कर सकते हैंः-

हींग के पत्ते
हींग चूर्ण

हींग का इस्तेमाल कैसे करें? : How to Use Heeng (Asafoetida) in Hindi?

चूर्ण – 1-2 ग्राम

यहां हींग से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Hing/Asfoetida Powder in hindi) में लिखा गया है ताकि आप हींग से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में हींग का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

हींग के नुकसान : Hing (Asafoetida) Side Effects
हींग के उपयोग से ये नुकसान (hing side effects) भी हो सकता हैः-

हींग खाने से आपके होंठों में सूजन हो सकती है।
पेट में गैस की समस्या
दस्त
सिरदर्द
चक्कर आने की शिकायत
यदि ऐसी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

हींग कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is (Asafoetida) Heeng Found or Grown?)
Asafoetida (hing) flower

हींग का पौधा (heeng plant) भारत के उत्तर-पश्चिम राज्यों से कश्मीर एवं पंजाब में पाया जाता है। चार वर्ष का होने पर हींग के पौधे को फूल आने से पहले जड़ के ऊपर से काट दिया जाता है। इसके बाद उसकी जड़ को पत्तों से ढँककर रख दिया जाता है।

नोट-चिकित्सक की सलाह अवश्य लेंवे।

साभार
ZBNF

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धान की खेती में खरपतवार का रसायनिक नियंत्रण धान की फसल में खरपतवारों की रोकथाम की यांत्रिक विधियां तथा हाथ से निराई-गुड़ाईयद्यपि काफी प्रभावी पाई गई है लेकिन विभिन्न कारणों से इनका व्यापक प्रचलन नहीं हो पाया है। इनमें से मुख्य हैं, धान के पौधों एवं मुख्य खरपतवार जैसे जंगली धान एवं संवा के पौधों में पुष्पावस्था के पहले काफी समानता पाई जाती है, इसलिए साधारण किसान निराई-गुड़ाई के समय आसानी से इनको पहचान नहीं पाता है। बढ़ती हुई मजदूरी के कारण ये विधियां आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं है। फसल खरपतवार प्रतिस्पर्धा के क्रांतिक समय में मजदूरों की उपलब्धता में कमी। खरीफ का असामान्य मौसम जिसके कारण कभी-कभी खेत में अधिक नमी के कारण यांत्रिक विधि से निराई-गुड़ाई नहीं हो पाता है। अत: उपरोक्त परिस्थितियों में खरपतवारों का खरपतवार नाशियों द्वारा नियंत्रण करने से प्रति हेक्टेयर लागत कम आती है तथा समय की भारी बचत होती है, लेकिन शाकनाशी रसायनों का प्रयोग करते समय उचित मात्रा, उचित ढंग तथा उपयुक्त समय पर प्रयोग का सदैव ध्यान रखना चाहिए अन्यथा लाभ के बजाय हानि की संभावना भी रहती है। डॉ गजेंद्र चन्

समसामयिक सलाह-" गर्मी व बढ़ती उमस" के साथ बढ़ रहा है धान की फसल में भूरा माहो का प्रकोप,जल्द अपनाए प्रबंधन के ये उपाय

  धान फसल को भूरा माहो से बचाने सलाह सामान्यतः कुछ किसानों के खेतों में भूरा माहों खासकर मध्यम से लम्बी अवधि की धान में दिख रहे है। जो कि वर्तमान समय में वातारण में उमस 75-80 प्रतिशत होने के कारण भूरा माहो कीट के लिए अनुकूल हो सकती है। धान फसल को भूरा माहो से बचाने के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने किसानों को सलाह दी और अपील की है कि वे सलाह पर अमल करें। भूरा माहो लगने के लक्षण ■ गोल काढ़ी होने पर होता है भूरा माहो का प्रकोप ■ खेत में भूरा माहो कीट प्रारम्भ हो रहा है, इसके प्रारम्भिक लक्षण में जहां की धान घनी है, खाद ज्यादा है वहां अधिकतर दिखना शुरू होता है। ■ अचानक पत्तियां गोल घेरे में पीली भगवा व भूरे रंग की दिखने लगती है व सूख जाती है व पौधा लुड़क जाता है, जिसे होपर बर्न कहते हैं, ■ घेरा बहुत तेजी से बढ़ता है व पूरे खेत को ही भूरा माहो कीट अपनी चपेट में ले लेता है। भूरा माहो कीट का प्रकोप धान के पौधे में मीठापन जिसे जिले में गोल काढ़ी आना कहते हैं । ■तब से लेकर धान कटते तक देखा जाता है। यह कीट पौधे के तने से पानी की सतह के ऊपर तने से चिपककर रस चूसता है। क्या है भू

सावधान -धान में (फूल बालियां) आते समय किसान भाई यह गलतियां ना करें।

  धान में फूल बालियां आते समय किसान भाई यह गलतियां ना करें। प्रायः देखा गया है कि किसान भाई अपनी फसल को स्वस्थ व सुरक्षित रखने के लिए कई प्रकार के कीटनाशक व कई प्रकार के फंगीसाइड का उपयोग करते रहते है। उल्लेखनीय यह है कि हर रसायनिक दवा के छिड़काव का एक निर्धारित समय होता है इसे हमेशा किसान भइयों को ध्यान में रखना चाहिए। आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बताएंगे कि धान के पुष्पन अवस्था अर्थात फूल और बाली आने के समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो। सुबह के समय किसी भी तरह का स्प्रे धान की फसलों पर नहीं करें कारण क्योंकि सुबह धान में फूल बनते हैं (Fertilization Activity) फूल बनाने की प्रक्रिया धान में 5 से 7 दिनों तक चलता है। स्प्रे करने से क्या नुकसान है। ■Fertilization और फूल बनते समय दाना का मुंह खुला रहता है जिससे स्प्रे के वजह से प्रेशर दानों पर पड़ता है वह दाना काला हो सकता है या बीज परिपक्व नहीं हो पाता इसीलिए फूल आने के 1 सप्ताह तक किसी भी तरह का स्प्रे धान की फसल पर ना करें ■ फसल पर अग