कृषि पंचांग:-मार्च महीने में किये जाने वाले खेती बाड़ी के कार्य
फसलोत्पादन
ग्रीष्म कालीन धान
खेत में जरवानी छिप छिपा पानी रखे | रोपा के 25 से 30 दिनों बाद खरपतवार नियंत्रित कर यूरिया का बुरकाव करें | रोपा के 25 से 30 दिनों बाद कोनोवीडर मशीन को दो पंक्तियों के बीच में आगे –पीछे करते हुए चला दें, इससे खरपतवार नष्ट होकर मिट्टी में मिल जाती है | साथ ही मिट्टी के हल्का होने से वायु संचार की स्थिति में भी सुधार होता है और पौधों में कल्ले अधिकाधिक संख्या में निकलते हैं |
गेहूँ
- बोआई के समय के अनुसार गेहूँ में दाने की दुधियावस्था में 5वीं सिंचाई बोआई के 100-105 दिन की अवस्था पर करें ।
- और छठीं व अन्तिम सिंचाई बोआई के 115-120 दिन बाद दाने भरते समय करें।
- गेहूँ में इस समय हल्की सिंचाई (5 सेंमी) ही करें। तेज हवा चलने कीस्थिति में सिंचाई न करें ।
- अन्यथा फसल गिरने का डर रहता है।
चना
- चने की फसल में दाना बनने की अवस्था में फलीछेदक कीट का अत्याधिक प्रकोपहोता है।
- फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए जैविक नियंत्रण हेतु एन.पी. वी. (एच.) 25 प्रतिशतएल. ई. 250-300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
गन्ना
- गन्ना की बोआई का कार्य 15-20 मार्च तक पूरा कर लें।
- गन्ने की दो कतारों के मध्य उर्द अथवा मूँग की दो-दो कतारें या भिण्डी की एक कतार मिश्रित फसल के रूप में बोई जा सकती है।
- यदि गन्ने के साथ सहफसली खेती करनी हो तो गन्ने की दो कतारों के बीच की दूरी 90 सेंमी रखें।
सूरजमुखी
- सूरजमुखी की बोआई 15 मार्च तक पूरा कर लें।
- इसकी सूरजमुखी की फसल में बोआई के 15-20 दिन बाद फालतू पौधों को निकाल लें ।
- पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंमी कर लें और तब सिंचाई करें।
उर्द/मूँग
- बसन्त ऋतु की मूँग व उर्द की बोआई के लिए यह माह अच्छा है।
- इन फसलों की बोआई गन्ना, आलू तथा राई की कटाई के बाद की जा सकती है।
- उर्द की टा-9, पन्त यू. 19, पन्त यू.30, आजाद-1, पन्त यू. 35 तथा मूगॅकी पन्त मूँग-1 पन्त मूँग-2, नरेन्द्र मूँग-1, टा. 44, पी.डी.एम.54, पी.डी.एम. 11, मालवीय जागृति मालवीय जनप्रिया अच्छी प्रजातियाँ हैं।
चारे की फसल
- गर्मी में चारा उपलब्ध कराने के लिए इस समय मक्का,लोबिया तथा चरी की कुछ खास किस्मों की बोआई के लिए अच्छा समय है।
सब्जियों की खेती
- बैंगन तथा टमाटर में फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए क्यूनालफास 25 प्रतिशत 1.0 ली.प्रति हेक्टेयर 500-600 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
- वर्षाकालीन बैंगन के लिए नर्सरी में बीज की बोआई कर दें।
- ग्रीष्मकालीन सब्जियों-लोबिया, भिण्डी,चौलाई,लौकी,खीरा, खरबूजा, तरबूज, चिकनी तोरी, करेला, आरी तोरी, कुम्हड़ा, टिण्डा, ककड़ी व चप्पन कद्दू की बोआई यदि न हुई हो तो पूरीकर लें।
- ग्रीष्मकालीन सब्जियों,जिनकी बोआई फरवरी माह में कर दी गई थी ।
- की 7 दिन के अन्तर परसिंचाई करते रहें तथा आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें।
- पत्ती खाने वाले कीटों से बचानेके लिए डाईक्लोरोवास एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- लहसुन की फसल में निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें।
पुष्प व सगन्ध पौधे
- यदि आप गलैडियोलस से कन्द लेना चाहें तो पौधे को भूमि से 15-20 सेंमी ऊपर से काटकरछोड़ दें और सिंचाई करें।
- पत्तियाँ जब पीली पड़ने लगें तो सिंचाई बन्द कर दें।
- गर्मी वाले मौसमी फूलों जैसे पोर्चुलाका, जीनिया, सनफ्लावर, कोचिया, नारंगी कासमास, ग्रोम्फ्रीना, सेलोसिया व बालसम के बीजों को एक मीटर चौड़ी तथा आवश्यकतानुसार लम्बाईकी क्यारियाँ बनाकर बीज की बोआई कर दें।
- मेंथा में 10-12 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें तथा प्रति हेक्टेयर 40-50 किग्रा नाइट्रोजन की पहली टाप ड्रेसिंग कर दें।
पशुपालन/दुग्ध विकास
- पशुशाला की सफाई व पुताई करायें।
- गर्भित गाय के भोजन में दाना की मात्रा बढ़ा दें।
- पशुओं के पेट में कीड़ों की रोकथाम के लिए कृमिनाशक दवा देने का सर्वोत्तमसमय है।
मुर्गीपालन
- कम अण्डे देने वाली मुर्गियों की छटनी (कलिंग) करें।
- मुर्गियों के पेट में पड़े कीड़ों की रोकथाम (डिवर्मिंग) के लिए दवा दें।
- परजीवियों जैसे जुएं की रोकथाम के लिए कीटनाशक तथा राख काआधा-आधा भाग मिलाकर मुर्गियों के पंख पर रगड़े।
कृषक हित मे प्रचारक
हम कृषकों तक तकनीक पहुंचाते हैं।
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