कृषि विभाग :- रबी फसल के प्रदर्शनों का निरीक्षण करने पहुंचे उप संचालक कृषि।
फिंगेश्वर अंचल जो कि धान की खेती के लिए जाना जाता है वहां के किसान अब दलहन तिलहन की फसलों की खेती कर रहे है।
गौरतलब है कि छ.ग. शासन कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल चक्र अपनाने एवं ग्रीष्म कालीन धान के बदले दलहन -तिलहन हेतु प्रेरित किया जा रहा है जिससे अंचल में रबी फसल में दलहन तिलहन व मक्का फसल के रकबे का विस्तार होगा। जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। विभिन्न योजनाओं में लगे फसल प्रदर्शन का निरीक्षण करने श्री संदीप भोई उप संचालक कृषि जिला गरियाबंद आज विकासखण्ड फिंगेश्वर पहुंचे।
श्री संदीप भोई उप संचालक कृषि जिला गरियाबंद ने बताया कि एग्रीकल्चर कॉलेज सीहोर ने चने की दो नई वैरायटी आरवीजी 202 (90-120 दिन) और 203 (90-125 दिन) इजात की है। यह दोनों ही किस्म नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में बो सकते हैं। आर वी जी 202 एक अच्छी उपज देने वाली किस्म है जिसका वितरण राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन योजनान्तर्गत फिंगेश्वर विकासखण्ड में किया गया है।
नगर पंचायत फिंगेश्वर में आर वी जी -202 किस्म के चने का काफी अच्छा परिणाम देखने को मिल रहा है असिंचित अवस्था मे चने की फसल पर रोग/कीट व्याधि नही लगी है, अच्छी आमदनी होने के आसार साफ नजर आ रहे है। किसान अन्य फसल की खेती की अपेक्षा चने की खेती कर लाभ कमा सकते है।
चने के खेत के निरीक्षण के बाद उओ संचालक कृषि श्री मनोज सोनकर के खेत पर गेंहू व रागी फसल के निरीक्षण के लिए गए वहां किसानों को गेंहू की किस्म
जेडब्ल्यू (एमपी) 3211 के बारे में बताया कि यह इस वर्ष सूखे तथा गेरुआ रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखने वाली गेंहू के बीज का वितरण किया गया है यह किस्म मध्य प्रदेश व गुजरात मे40 से 45 क्विंटल की उपज देती है यह किस्म चपाती बनाने हेतु उत्तम है तथा एक-दो सिंचाई में पक कर तैयार हो जाती है।
गेंहू प्रदर्शन के साथ रागी प्रदर्शन का भी निरीक्षण किया गया एवम कृषको को बताया कि वजन घटाने के साथ ही अपनी हेल्थ को लेकर सजग रहने वाले ज्यादातर लोग इन दिनों सामान्य गेहूं के आटे की जगह जौ का आटा, बाजरे का आटा, राजगीरा या अमरंथ का आटा, सोया का आटा, कुट्टू का आटा आदि यूज करने लगे हैं. ऐसा ही एक हेल्दी ऑप्शन है रागी जिसे फिंगर मिलेट (Finger Millet) के नाम से भी जाना जाता है। रागी को ही कई जगहों पर माड़िया भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे वन धन समिति द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था बनाई है किसान इसकी खेती कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते है।
उक्त समय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री बी आर साहू कृषि विकास अधिकारी खिलेश्वर साहू ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री तरुण साहू व हरिशंकर सुमेर उपस्थित थे।
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