मिलेट्स:-बैगा आदिवासी महिला लहरीबाई की जिद और जुनून की कहानी है। गायब हो रही विभिन्न लघु धान्य फसलों को बचाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया।
मिलेट्स:- बैगा आदिवासी महिला लहरीबाई की जिद और जुनून की कहानी, गायब हो रही विभिन्न लघु धान्य फसलों को बचाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया।
पौध प्रजातियों के संरक्षण के लिए किसान अवार्ड के लिए निर्माण सामुदायिक बीज बैंक की संचालिका लहरी बाई बैगा का चयन।
पौध प्रजातियों का संरक्षण और किसान अधिकार अथारिटी नई दिल्ली में लहरी बाई को सम्मानित किया जाएगा।
ये कहानी है मध्यप्रदेश के डिडोंरी जिले में बियाबान जंगलों के बीच सिलपिड़ी गांव में रहने वाली बैगा आदिवासी महिला लहरी बाई की ज़िद और जुनून की।उसने विलुप्त हो रहे मिलेट क्राप्स (मोटा अनाज) को संरक्षित करने के लिये अपना सबकुछ समर्पण कर दिया. कभी स्कूल की दहलीज़ पर कदम तक न रखने वाली लहरी बाई अपने कच्चे घर में बीज बैंक बना लिया है। अब उनकी इतनी ख्याति है कि यूएनओ यानि संयुक्त राष्ट्र संघ तक उनका नाम पहुंच चुका है। कलेक्टर खुद ही लहरी बाई की ब्रांडिंग कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभागार समेत अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर लहरी बाई के बड़े बड़े पोस्टर लगाये गए हैं।लहरी बाई न सिर्फ अपने गांव बल्कि आसपास के दर्जनों गाँवों में घूम घूमकर लोगों को मिलेट क्रॉप्स के फ़ायदे बताती हैं. साथ ही उन्हें निशुल्क बीज भी मुहैया कराती हैं. मिलेट क्राप्स के संरक्षण और संवर्धन को लेकर लहरी बाई के प्रयासों की जानकारी जैसे ही डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा को लगी तो कलेक्टर साहब एक दिन अचानक लहरी बाई के घर पहुंच गये और उनसे बात की. फिर लहरी बाई को कलेक्ट्रेट में बुलाकर सभी अधिकारियों की मौजूदगी में सम्मानित कर उसका हौंसला बढ़ाया।
तब कहीं जाकर उसने क़रीब 25 प्रकार के मिलेट क्राप्स बीज का संग्रहण किया है. मिलेट क्राप्स मोटे अनाज वाली फसलों को कहा जाता है जिसमें ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी, साँवा,रागी,कुट्टू और चीना आदि अनाज आते है. मिलेट क्राप्स को सुपरफूड भी कहा जाता है क्योंकि इनमे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
लहरी बाई अनपढ़ हैं. लेकिन मोटे अनाज के संरक्षण के प्रति उनकी जागरुकता ग़जब की है. बीज बैंक बनाने की बात तो बड़े बड़े पढ़े लिखे लोगों और अफसरों तक के दिमाग में नहीं आयी. मिलेट क्राप्स का बीज बैंक बनाने के लिये लहरी बाई ने दस साल तक कई गाँव की ख़ाक छानी है।
इन्होंने विलुप्त प्राय बीजों के संरक्षण और किसानों को वितरण का अभूतपूर्व काम किया है। इस वर्ष लगभग 3000 किसानों को बीज वितरण किया है। खासतौर पर इन्होंने पौष्टिक अनाज (Millet) प्रजातियों का संरक्षण बीज बैंक बनाकर कर रही है।
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