KSB:-एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने बैक्टीरिया से बनाई ऑर्गेनिक खाद जो मिट्टी के पोटाश को घोलकर पौधों को पोषण देती है, दानों में लाती है चमक
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने बैक्टीरिया से बनाई ऑर्गेनिक खाद जो मिट्टी के पोटाश को घोलकर पौधों को पोषण देती है, दानों में लाती है चमक
सम्पूर्ण विश्व का रुझान अब जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है कारण यह है कि रसायनिक खेती के दुष्प्रभावों को अब किसान समझने लगे है कि रसायनिक खेती से भूमि की उर्वरा क्षमता तो कम होती ही है अपितु भूमि धीरे-धीरे बंजर होती चली जा रही है।
समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कई जैविक उत्पादों की खोज की जा रही है जिससे भविष्य में किसानों को काफी लाभ होगा। आज की कड़ी में हम एक ऐसे ही जैविक उत्पाद के बारे में बात करेंगे जिसका नाम है "KSB" जिसका निर्माण किया है जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के जैव उर्वरक विभाग ने बैक्टीरिया आधारित ऐसा जैविक खाद बनाया है, जो मिट्टी के पोटाश को घुलनशील (सॉल्यूबल) बना देता है।
इसके इस्तेमाल से 17% तक उत्पादन बढ़ जाता है। दानों की चमक भी बढ़ जाती है। KSB किसानों को कैसे फायदा पहुंचाएगी? इसके बारे में विस्तार से बताया डॉ. राकेश कुमार साहू, (मृदा विज्ञान, रसायानशास्त्र विभाग जैव उर्वरक जेएनकेवीवी) ने की ये किस प्रकार काम करेगा।
JNKVV ने 16 तरह के जैविक उर्वरक बनाए हैं। ये सभी पौधों के बैक्टीरिया के आधार पर बनाए गए हैं। इन बैक्टीरिया को प्रयोगशाला में उचित माहौल देकर विकसित किया जाता है। ये खेत में पहुंचकर अपना काम शुरू करते हैं। हर बैक्टीरिया का अपना अलग गुण होता है। जवाहर पोटाश घोलक जीवाणु (KSB) सभी फसलों के लिए उपयोगी है। यह एक लीटर मात्रा में आता है। 294 रुपए कीमत पर किसानों को 15% छूट मिलती है।
फसल के फायदे वाले जीवाणु
जवाहर KSB एक फायदेमंद जीवाणु है। इसे मिट्टी और पौधों से निकालकर लैब में विकसित किया गया है। KSB को मिट्टी में मिलाने पर इसकी कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं। नई कोशिकाओं के समूह का निर्माण करती है। यह कोशिकाएं मिट्टी और जड़ से निकलने वाले कार्बनिक पदार्थ का उपयोग करके समूह का विस्तार करती है।
KSB की दो लीटर मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
इस तरह फसलों को पहुंचाता है फायदा
KSB जीवाणु कोशिकाएं अपने विकास के साथ ही साथ मिट्टी में मौजूद अघुलनशील पोटाश को घुलनशील कर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। इसके प्रयोग से पोटाश उर्वरक की लागत में लगभग 30% तक की बचत होती है। मतलब यह अन्य खाद की अपेक्षा कम डालना पड़ता है। इसके अतिरिक्त यह पर्यावरण को संतुलित रखने में मदद करता है। पौधों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
पौधों की ग्रोथ के साथ कीट-पतंगों से बचाता है
KSB फसल की उपज भी बढ़ाता है। इसके प्रयोग से दानों में चमक आती है। पौधों को कीट आदि बीमारियों से बचाता है। इसके प्रयोग से 10 से 17 प्रतिशत फसल की पैदावार बढ़ जाती है।
इस तरह करें प्रयोग
■मिट्टी के उपचार के लिए दो लीटर प्रति एकड़ और टपक सिंचाई दो लीटर प्रति एकड़ लगता है। टपक सिंचाई विधि में दो लीटर तरल मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर उसे सूती कपड़े से छान लें। छाने हुए घोल को टपक सिंचाई के माध्यम से प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
■गोबर की खाद के साथ मिलाकर मिट्टी में छिड़काव करते हैं।
■गोबर की खाद के साथ मिलाकर मिट्टी में छिड़काव करते हैं।
■गोबर की खाद के साथ मिलाकर खेत में छिड़क दें
■मिट्टी उपचार विधि में दो लीटर KSB को 10 से 15 लीटर पानी में घोलकर 50 से 100 किग्रा गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट या अन्य कम्पोस्ट के साथ मिलाकर रात भर के लिए जीवाणुओं की क्रियाशीलता बढ़ाने के लिए रख दें।
■ इस मात्रा को एक एकड़ खेत में बुवाई या रोपाई के पूर्व छिड़काव कर मिट्टी में मिला दें।
■इसके तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। बीज, पौधे और पत्तियों पर छिड़काव न करें।
हम कृषकों तक तकनीक पहुंचाते हैं।
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