कृषि कलैंडर-अगस्त (सावन ) के महीने में किसान भाई क्या करें?
कृषि के दृष्टिकोण से ख़रीफ़ ऋतु हम किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है । इस फसल चक्र की फ़सलों की बुवाई हम जून – जुलाई में करते हैं । और कटाई का कार्य अक्टूबर तक करते हैं। मतलब फ़सलों उत्पादन समय पर की गयी देखभाल पर निर्भर करता है।
अगस्त के महीने में किसान भाई खेती में क्या करें कि अच्छी उपज मिले । फलों की खेती या बाग़वानी में अगस्त माह में क्या प्रबंध किए जाएँ। पशुपालन के अंतर्गत पशुओं के लिए क्या व्यवस्था की जाए । आज की कड़ी केंद्रित है जो कि निश्चित कृषको के लिए काफी उपयोगी होगी।
फसलोत्पादन (fruit production ) –
धान
- अगस्त माह के कृषि कैलेंडर के अनुसार शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की रोपाई यदि न हुई हो तो शीघ्र पूरी कर लें, परन्तु इस समय रोपाई के लिए 40 दिन पुरानी पौध का प्रयोग करें तथा 15×10 सेंमी की दूरी पर, प्रति स्थान 3-4 पौध लगायें।
- धान की रोपाई के 25-30 दिन बाद, अधिक उपज वाली प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 30 किग्रा नाइट्रोजन (65 किग्रा यूरिया) तथा सुगन्धित प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 15 किग्रा नाइट्रोजन (33 किग्रा यूरिया) की टाप ड्रेसिंग कर दें।
- नाइट्रोजन की इतनी ही मात्रा की दूसरी व अन्तिम टाप ड्रेसिंग रोपाई के 50-55 दिन बाद करनी चाहिए।
- टॉप ड्रेसिंग के समय खेत मे जरवानी छिपछिपा पानी रखे।
- खैरा रोग की रोकथाम के लिए प्रतिहेक्टेयर 5 किग्रा. जिंक सल्फेट तथा 2.5 किग्रा. चूना या 20 किग्रा. यूरिया को 1000 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें।
मक्का
- मक्का में नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर 40 किग्रा (87 किग्रा यूरिया) की दूसरी व अन्तिम टाप ड्रेसिंग बोआई के 45-50 दिन बाद, नरमंजरी निकलते समय करनी चाहिए। ध्यान रहे कि खेत में उर्वरक प्रयोग करते समय पर्याप्त नमी हो।
मूँग/उर्द
- खेत में निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें।
- मोजैक वायरस का प्रकोप इस समय होता है।अतः इनमें से किसी एक दवा का उपयोग करे।1:-स्पिरोटेट्रामेट 11.01% + इमिडाक्लो प्रिड 11.01% SC 100 मि ली प्रति एकड़ ।2:-फेन पायरोक्सीमेट 5 % EC 120 से 240 मि ली प्रति एकड़।3:-डाइफेंनथ्यूरान 50 % WP 240 ग्राम प्रति एकड़।■कीटनाशकों उपयोग बदल-बदल कर करना चाहिये■कीटनाशकों की क्षमता को बढ़ाने के लिए दवा के साथ 2 ml /लीटर पानी SIL G सील जी का उपयोग करना चाहिये।
मूँगफली
- मूँगफली में दूसरी निराई-गुड़ाई बोआई के 35-40 दिन बाद करके साथ ही मिट्टी भी चढ़ा दें।
सूरजमुखी
- सूरजमुखी में बोआई के 15-20 दिन बाद फालतू पौधों को निकालकर लाइन में पौधों की दूरी 20 सेंमी कर लेनी चाहिए।
- फसल में बोआई के 40-45 दिन बाद दूसरी निराई-गुड़ाई के साथ ही 15-20 सेंमी मिट्टी चढ़ा दें।
गन्ना
- गन्ना को बाँधने का कार्य इस माह में अवश्य कर लें। इस समय गन्ने की लम्बाई लगभग 2 मीटर हो जाती है। ध्यान रहे कि बाँधते समय हरी पत्तियाँ एक समूह में न बँधें।
सब्जियों की खेती
- शिमला मिर्च, टमाटर व गोभी की मध्यवर्गीय किस्मों की बोआई पौधशाला में पूरे माह कर सकते हैं, जबकि पत्तागोभी की नर्सरी डालने का उचित समय माह के अन्तिम सप्ताह से शुरू होता है।
- बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी व खरीफ प्याज की रोपाई करें।
- बैंगन, मिर्च, भिण्डी की फसलों में निराई-गुड़ाई व जल निकास तथ फसल-सुरक्षा की व्यवस्था करें।
- कद्दूवर्गीय सब्जियों में मचान बनाकर उस पर बेल चढ़ाने से उपज में वृद्धि होगी तथा स्वस्थ फल बनेंगे।
- परवल लगाने के लिए मघा नक्षत्र (15 अगस्त के आसपास का समय) सर्वोत्तम होता है।
फलों की खेती
- आम, अमरूद, बेर, आँवला, नींबू, आदि के नये बाग लगाने का समय अभी चल रहा है। इनकी पौध किसी विश्वसनीय पौधशाला से ही प्राप्त करें।
पुष्प व सगन्ध पौधे
- गुलाब के स्टाक की क्यारियों में बदलाई करें। आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व रेड स्केल कीट का नियंत्रण करें।
- रजनीगन्धा में पोषक तत्वों के मिश्रण का 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें तथा स्पाइक की कटाई करें।
पशुपालन/दुग्ध विकास
- नये आये पशुओं तथा अवशेष पशुओं में गलाघोंटू का टीका लगवायें।
- लीवर फ्लूक के लिए दवा पिलायें।
- नवजात बच्चों को खीस (कोलेस्ट्रम) अवश्य दें।
- गर्भित पशु की उचित देखभाल करें तथा पोष्टिक चारा दें।
- पशुशाला को साफ-सुथरा व सूखा रखें, पानी न जमा होने दें।
- मच्छरों से बचाव के लिए पशुशाला के पास नीम की पत्ती का धुँआ करें।
- वाह्य परजीवी के लिए दवा लगायें।
मुर्गीपालन
- मुर्गी के पेट में कीड़ों को मारने (डिवर्मिंग) की दवा दें।
- मुर्गीखाने को सूखा रखें तथा बिछावन को पलटते रहें।
- मुर्गीखाने में अधिक नमी हो तो पंखा चलायें।
- पानी का क्लोरीनेशन अवश्य करें।
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