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Showing posts from July, 2021

जैविक खेती -मात्र 100/-की बोतल पर किसान के बड़े काम की चीज है "पूसा सम्पूर्ण"

 जैविक खेती - मात्र 100/-की बोतल पर किसान के बड़े काम की चीज है "पूसा सम्पूर्ण" आज हम जानेंगे पूसा के एक महत्वपूर्ण कृषि उपयोगी उत्पाद पूसा संपूर्ण(Pusa Sampoorn) बायो फर्टिलाइजर के बारे में यह उत्पाद तीन बैक्ट्रिया का संतुलित मिश्रण है जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश के बैक्टीरिया होते हैं। यह तीनों बैक्ट्रिया फसल को नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश उपलब्ध कराती है। यह जो तीनों बैक्ट्रिया हैं यह किस तरीके से काम करते हैं फसल में इनके बारे में आज विस्तृत से जानेंगे साथ ही साथ यह उत्पाद का किस तरीके से प्रयोग करें और इस से हमें क्या क्या फायदा हो सकता है तथा क्या सावधानी रखें इसके बारे में विस्तार से जानेंगे। पूसा संपूर्ण एक तरल बायोफर्टिलाइजर है जिसमें नाइट्रोजन,फास्फोरस तथा पोटाश के बैक्टीरिया को कंसोटिया के फॉर्म में रखा गया है। यह उत्पाद जैविक खेती करने वाले किसान के लिए कोई वरदान से कम नहीं है क्योंकि इसमें न्यूट्रिशन के मुख्य तत्व NPK तीनों चीज उपलब्ध हो जाते हैं। इस तरीके से काम करता है पूसा संपूर्ण पूसा संपूर्णा के तीन बैक्ट्रिया जिसमें से नाइट्रोजन के लिए है एजोटोबेक...

छत्तीसगढ़ – मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों की 28वीं क्षेत्रीय कार्यशाला का केंद्रीय कृषि मंत्री ने किया उद्घाटन

छत्तीसगढ़ – मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों की 28वीं क्षेत्रीय कार्यशाला का केंद्रीय कृषि मंत्री ने किया उद्घाटन नए कृषि सुधार कानून जैसे ठोस कदम खेती को समृद्धता देने वाले हैं -श्री तोमर 26 जुलाई 2021, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ स्थित कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की 28वीं क्षेत्रीय कार्यशाला का उद्घाटन सोमवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के यशस्वी नेतृत्व में भारत सरकार गांव-गरीब-किसान-किसानी की प्रगति के लिए प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। इस दिशा में कई योजनाएं प्रारंभ की गई है। देशभर में गांव-गांव अधोसंरचना विकसित करने के लिए एक लाख करोड़ रूपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सहित आत्मनिर्भर भारत अभियान में कुल डेढ़ लाख करोड़ रूपए से अधिक के पैकेज शुरू किए गए हैं। हर सप्ताह मंत्रालय में इसकी प्रगति के लिए बैठकें होती है। इसी तरह, 6,850 करोड़ रू. के खर्च से 10 हजार नए एफपीओ के गठन की स्कीम तथा किसानों के सशक्तिकरण के लिए नए कृषि सुधार कानून जैसे ठोस कदम खेती को समृद्धता देने वाल...

बैंगन में फल छेदक इल्ली का नियंत्रण ❗

🍆 बैंगन में फल छेदक इल्ली का नियंत्रण ❗ 👨‍🌾 किसान भाइयों एवं बहनों, यह बैंगन की फसल का मुख्य और बहुत ही खतरनाक कीट है। शुरूआत में इसकी छोटी गुलाबी सुंडियां पौधे की शीर्ष में छेद करके अंदर से गूदा खाती हैं और बाद पौधों में जब फल लगता है तो ये फल कुट (कैलिक्स) के उपर सुराख़ बनाकर फल के अंदर जाकर गूदा खाती है और सुराख़ को अपने मल से बन्द कर देते है। 🍆 प्रभावित फलों के ऊपर बड़े छेद नज़र आते हैं और खाने योग्य नहीं होते हैं। प्रभावित टहनियां मुरझाकर लटक जाती हैं। इसके द्वारा 50-93 प्रतिशत से ज्यादा क्षति हो जाती है। 🔴 नियंत्रण के उपाय 🔹 प्रभावित पत्तियां, टहनियां या फलों को तोड़कर खेत से कुछ दूर नष्ट कर देना चाहिए। 🔹 ज़मीन पर से गिरे हुए फल, पत्तियां और टहनियां हटा दें। 🔹 गंभीर प्रकोप होने पर पूरे पौधे को उखाड़ कर नष्ट कर दें। 🔹 पतंगों को आकर्षित करने और बड़ी संख्या में पकड़ने के लिए फेरोमॉन जाल का इस्तेमाल करें। 🔹 नीम तेल 10000 पीपीएम @ 600 मिली को 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। 🔹 रासायनिक नियंत्रण के लिए क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल १८.५% एस सी @ 80 ग्राम 200 लीटर पानी या क्लोर...

🌱 अरहर में उकठा रोग का नियंत्रण हुआ आसान

🌱 अरहर में उकठा रोग का नियंत्रण हुआ आसान❗ दलहनी  फसलों  में  अरहर  का विशेष स्थान है।  अरहर  की दाल में लगभग 20-21 प्रतिशत तक प्रोटीन पाई जाती है, साथ ही इस प्रोटीन का पाच्यमूल्य भी अन्य प्रोटीन से अच्छा होता है।  अरहर  की दीर्घकालीन प्रजातियॉं मृदा में 200 कि0ग्रा0 तक वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थरीकरण कर मृदा उर्वरकता एवं उत्पादकता में वृद्धि करती है। 👨‍🌾 आज हम अरहर की फसल में लगने वाला एक गंम्भीर उकठा रोग के बारे में बात करेंगे। यह रोग फ्यूजेरियम नामक कवक से फैलता है। अरहर की फसल को रोगों से बहुत हानि होती है। कभी कभी इनके प्रकोप से उत्पादन मे 50-60 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है। ☘️उकठा रोग  का मुख्य कारण है बारिश के कारण अधिक पानी और बाद में अचानक सूखी हुई जमीन। साथ ही भाद्रपद महीने में गरमी बढ़ने के कारण  अरहर  के पौधे सूखने की समस्या होती है। सामान्य तौर पर निचले पत्ते पीले पड़ना, बाद में धीरे-धीरे पूरा पौधा सूख जाना या अचानक सभी पत्ते हरे पर सूखे हुए दिखाई देना, जैसे लक्षण मालुम पड़ते हैं। ☘️ अतः इनकी पहचान और रोकथाम करके अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। रोग के लक्षण साध...

ऐसे करें डायमंड बैक मोथ की पहचान एवं प्रबंधन

    ऐसे करें डायमंड बैक मोथ की पहचान एवं प्रबंधन 🌱 हीरक पृष्ठ पतंगे को आम तौर पर मामूली कीट समझा जाता है। हालांकि अधिक आबादी होने पर ये गोभी वर्गीय फ़सलों के लिए समस्या बन सकते हैं। क्षति का कारण पत्तियों में सुरंगें बनाने या पत्ती की निचली सतह खुरचने वाले लार्वा हैं। 🔰 कभी-कभी ऊपरी अधिचर्म अनछुई रहने पर भी टेढ़े-मेढ़े धब्बे दिखते हैं जिससे खिड़कियां सी बन जाती हैं। बड़े लार्वा बहुत पेटू होते हैं और गंभीर प्रकोप होने पर पूरी पत्ती चट कर सकते हैं जिससे केवल पत्ती का ढांचा ही बचता है। फूलों पर लार्वा की मौजूदगी से ब्रोकली या फूल गोभी में विकास में रुकावट आ सकती है। 🔰 वयस्कों को पकड़ने के लिए फेरोमॉन ट्रैप का इस्तेमाल करें और आबादी का अनुमान लगाएं। ⭕ पौध रोपाई से पहले सुनिश्चित करें कि पौध कीट मुक्त है। 🔰 न्यूक्लियर पॉलीहेड्रोसिस वायरस या बैसिलस थुरिंजिनिसिस पाउडर का कर इसकी छिड़काव संख्या को कम कर सकते हैं। ⭕ नीम तेल 1500 पीपीएम@ 1 लीटर 200 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। 🔰 क्लोरोट्रानिलिप्रोले 18.5% SC @ 20 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी के साथ प्रति ए...

वायरस जनित रोग हेतु करे इन कीटनाशकों का प्रयोग

वायरस जनित रोग हेतु करे इनमें से किसी एक कीटनाशकों का प्रयोग इसके लिए आप कोई एक 1:-स्पिरोटेट्रामेट 11.01% + इमिडाक्लो प्रिड 11.01% SC 100 मि ली प्रति एकड़ । 2:-फेन पायरोक्सीमेट 5 % EC 120 से 240 मि ली प्रति एकड़। 3:-डाइफेंनथ्यूरान 50 % WP 240 ग्राम प्रति एकड़। 👉कीटनाशकों उपयोग बदल-बदल कर करना चाहिये 👉कीटनाशकों की क्षमता को बढ़ाने के लिए दवा के साथ 2 ml /लीटर पानी SIL G सील जी का उपयोग करना चाहिये।

मूंग -उड़द में पाउडरी मिल्ड्यू का रोकथाम

* चूर्णिल आसिता रोग से परेशान है❓ * 👨‍🌾 किसान भाइयों एवं बहनों, मूंग एवं उड़द की फसल का यह एक फफूंदी जनित प्रमुख रोग है। 👉 इस रोग के प्रभाव से लगभग 21 प्रतिशत तक हानि होती है। ⭕ रोग का संक्रमण सर्वप्रथम निचली पत्तियों पर कुछ गहरे (बदरंगी) धब्बों के रुप में दिखाई देता है। 🔰 धब्बों पर छोटे-छोटे सफेद बिन्दु पड़ जाते हैं जो बाद में बढ़कर एक बड़ा सफेद धब्बा बनाते हैं। ⭕ जैसे-जैसे रोग की उग्रता बढ़ती है यह सफेद धब्बे न केवल आकार में बढ़ते हैं। परन्तु ऊपर की नई पत्तियों पर भी विकसित हो जाते हैैं। अन्ततः ऐसे सफेद धब्बे पत्तियों की दोनों सतह पर, तना, शाखाओं एवं फली पर फैल जाते हैं। 🔰 इससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया न के बराबर हो जाती है और अन्त में संक्रमित भाग झुलस/सूख जाते हैं 🛑 रोग का प्रबंधन ⭕ रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन कर बुवाई करें। 🔰 फसल में घुलनशील सल्फर 0.2 प्रतिशत घोल का छिडकाव करें। ⭕ कार्बेन्डाजिम 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या केराथेन का 1 मिली प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

थ्रिप्स:-मिर्च में थ्रिप्स का प्रबंधन ऐसे करे।

🌶️ ऐसे करें मिर्च की फसल की सुरक्षा❗ 👨🏻‍🌾 किसान भाइयों यह बहुत ही छोटे छोटे कीट होते हैं,जो मिर्च की पत्तियों पर बैठकर कोशिकाओं से रस चूसते हैं। रस चूसने की वजह से पत्तियां ऊपर की और मुड़ जाती हैं और नाव का रूप ले लेती हैं। जिसकी वजह से पौधों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यदि इसका समय रहते नियंत्रण न किया जाये तो किसान भाइयों को काफी हद तक हानि उठानी पड़ती है। 🛑 नियंत्रण के उपाय 🔸 नीले स्टिकी ट्रैप 5 से 10 नग प्रति एकड़ स्थापित करें। 🔸 इस रोग से ज्यादा ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें या जला दें। 🔸जैविक नियंत्रण के लिए नीम तेल 10,000 पीपीएम @ 25 मिली प्रति पंप छिड़काव करें। 🔸 रासायनिक नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5% एससी @ 400 मिली को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इंडोक्सिकार्व + एसीटामिप्रिड एससी @ 200 मिली प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए।

कीट नियंत्रण:-मक्का में फाल आर्मी कीट 🐛 का प्रबंधन!

🌽 मक्का में फाल आर्मी कीट 🐛 का प्रबंधन! 👷‍♂ किसान भाइयों, मक्का की फसल में सैनिक कीट 🐛 के प्रकोप से फसल को भारी क्षति होती है। छोटी इल्लियां 🐛 गोभ के पत्तों को खाती हैं और बड़ी हो कर दूसरे पत्तों को भी छलनी कर देती हैं। इस के प्रकोप से खेतों में इस का मल पत्तों पर आमतौर पर देखा जाता है। पत्तियों के अलावा यह मक्का के भुट्टे 🌽 को भी नुकसान पहुंचाती हैं। यह कीट अकेले या झुंड में भी आक्रमण करता है। 💥 इस कीट की प्रवृति बड़ी तेजी से खाने की होती है और काफी कम समय में पूरे खेत की फसल को खा कर प्रभावित कर सकता है। अतः इस कीट का प्रबंधन / नियंत्रण आवश्यक है।  जैविक विधि: 1.अंडों व इल्लियों को एकत्रित कर नष्ट कर दे। 2.कीट प्रकोप ज्ञात होते ही प्रभावित पौधों की Whorl में सूखी रेत का प्रयोग करना चाहिए 3. नर शलभ को पकड़ने के लिए  फेरोमैन ट्रैप 15 नग प्रति हेक्टेयर  का उपयोग करना चाहिए जैविक विधि से नियंत्रण मित्र कीटों के संरक्षण एवं बढ़ावा देने व के लिए अंतर्वर्ती फसल लगाकर पौध विविधता को बढ़ावे। दलहनी तथा पुष्प वाले पौधे का उपयोग किया जाना उपयुक्त रहेगा दूसरा  Traichograma previous & ...

हरा फुदका :-भिंडी को इस कीट से छुटकारा दिलाएं

   हरा फुदका :-भिंडी को इस कीट से छुटकारा दिलाएं  भिंडी की फसल सब्जी उत्पादक किसानों की पहली पसंद होती है और इससे सब्जी उत्पादक किसानों को काफि लाभ भी होता है। भिंडी की खेती करने वाले किसान सबसे ज्यादा वायरस से फैलने वाले यलो वाइन मोजेक से परेशान होते है फिर नम्बर आता है हरा फुदका जो कि अभी कई किसानों का सर दर्द बना हुआ है। आइए आज की कड़ी में हम इसी कीट के बारे में बात करते है।  यह कीट हरे रंग का 3 - 5 मि.मी. लम्बा वेलनाकार कीट होता है। भिंडी की फसल में यह कीट बहुत ज्यादा क्षति पहुंचाता है। फसल को नुकसान होने से बचाएं।    इस कीट का प्रकोप पौधो के प्रारम्भिक वृद्धि अवस्था के समय से होता है। शिशु एवं वयस्क पौधे की पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है। प्रभावित पत्तियां पीली होकर ऊपर की ओर मुड़कर कटोरा नुमा आकार की हो जाती है। अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां मुरझा कर सूख जाती हैं। नियंत्रण के उपाय जैविक नियंत्रण ⭕ एक लीटर, आठ दस दिन पुराना गौ मूत्र का छः लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गौमूत्र जितना पुराना होगा उतना...

लीफ माइनर:-टमाटर

* 🍅 टमाटर उत्पादकों हो जाएं सावधान ❗ * ‍👷‍♂ किसान भाइयों, टमाटर की फसल लगाते ही आपकी फसल में सफ़ेद सुरंग जैसे लक्षण दिखाई दें तो हो जाये सावधान लीफ माइनर या पत्ती सुरंगक कीट कर देगा आपकी फसल को नष्ट। घबराएं नहीं भारतॲग्री स्मार्ट टिप्स अपनाएं, और टमाटर की स्वस्थ फसल पाएं।👍 ➡️ किसान भाइयों एवं बहनों, लीफ माइनर कीट टमाटर की फसल का प्रमुख कीट है। इसको हम निम्न प्रकार से पहचान सकते हैं :- ⭕ लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट यह बहुत ही छोटे कीट होते हैं। पत्तियों के अंदर जाकर सुरंग बनाते हैं। इससे पत्तियों पर सफेद धारीयां बन जाती हैं। 💥 जिससे पौधों को प्रकाश संश्लेषण करने में बाधा उत्पन्न होती है। ⭕ पौधों पर इसका प्रभाव उसकी पत्तियों पर देखने को मिलता है। जिससे पत्तियों पर भूरे रंग की पारदर्शी लाईने दिखाई देने लगती है। 💥 कीट का प्रकोप बढ़ने पर लाइनों की संख्या बढ़ जाती है और पूरी पत्तियां पारदर्शी दिखाई देने लगती हैं, जो कुछ समय बाद टूटकर गिर जाती हैं। ⭕ इसके प्रकोप से पौधे विकास करना बंद कर देते हैं। 🎯 जैविक तरीके से नियंत्रण के लिए नीम के तेल और नीम के बीजों के आर्क का छिडकाव पौधों...

माह जुलाई-जानिए, जुलाई माह में किये जाने वाले कृषि कार्य!

  जानिए, जुलाई माह में किये जाने वाले कृषि कार्य! जुलाई माह ख़रीफ की फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण महीनों में से एक है। ख़रीफ फसलों में कई मुख्य सब्जियों की खेती भी होती है। सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसानों को जुलाई माह के रहते-रहते खेती के इन चरणों को निपटा लेना चाहिए: बैगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की रोपाई का समय हैं। जुलाई माह जिसे आषाढ़-श्रावण भी कहते है, तपती हुई धरती को ठंडा करने के लिए मानसून वर्षा लेकर आता है व मौसम सुहावना बन जाता है ।  -:इस माह में कृषि सम्बंधित मुख्य बातें:- तीन जरुरी बातें–   जल निकास (सफल खरीफ फसल का आधार):- अचानक भारी बरसात होने की संभावना होती है तथा नुकसान से बचने के लिए मक्का, गन्ना, कपास, बाजरा व अन्य फसलों में सिंचाई के लिए बनाई नालियां को जल-निकास के काम में ला सकते है । खेत में पानी जमा होने से फसलों का भारी नुकसान हो सकता है । फालतू पानी को गांव के तालाब में डाल दें तथा जरूरत पड़ने पर सिंचाई के काम में लाएं । जल प्रबंध (अधिक पैदावार का आधार):- 👉धान में रोपाई के बाद हर हफ्ते पुराना पानी खेत से निकालकर ताजा पानी भरे जोकि २ इंच से ज्यादा ग...

समसामयिक सलाह:-धान की नर्सरी अवस्था में फसल को स्वस्थ रखने के टिप्स

समसामयिक सलाह:-धान की नर्सरी अवस्था में फसल को स्वस्थ रखने   धान की खेती हमारे छत्तीसगढ़ की प्रमुख खेती है धान की खेती करने वाले किसान इस बात को अच्छी तरह से जानते है कि निश्चित अवधि पर सही कार्य नही किया जाए तो आगे चलकर फसल की उपज पर इसका काफी प्रभाव पड़ता है।  आज की कड़ी में हम बताएंगे कि धान की नर्सरी अवस्था पर क्या-क्या काम किये जा सकते है जिससे फसल स्वस्थ रहे। ⭕  धान बुआई के 12 -14 दिन बाद एक किलो यूरिया प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से सप्ताह के अंतराल पर छिड़काव करें। ⭕ धान की नर्सरी में पीलेपन के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे - फफूंदी जनित बीमारियां, रस चूसक कीट, पोषक तत्वों की कमी आदि। पौधों को ध्यान पूर्वक देखकर इसका प्रबंधन करें। धान नर्सरी की क्यारियों की सिंचाई शाम को दिन डूबते समय करें। ⭕नर्सरी उखाड़ने के एक सप्ताह पहले नाइट्रोजन उर्वरकों की पूरी मात्रा का प्रयोग कर लें, ताकि नर्सरी का आधार मजबूत हो सके। ⭕ नर्सरी उखाड़ने से पहले क्यारी को पानी से भर लें, ताकि पौध की जड़ न टूटे। पौध को आराम से उखाड़ा जाए। ⭕ कमजोर बीमार और अन्य किस्मों के पौधों को हटा दें। ⭕ पौधों को किसी मुलाय...