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Showing posts from 2021

ब्रोकली की एक एकड़ की खेती से महज 3 महीने में हो जाती है तीन लाख तक की आमदनी ।समान्य गोभी के मुकाबले ज्यादा लाभकारी है इसकी खेती।

 ब्रोकली की एक एकड़ की खेती से महज 3 महीने में हो जाती है तीन लाख तक की आमदनी ।समान्य गोभी के मुकाबले ज्यादा लाभकारी है इसकी खेती। ---------+++++++----------+++++++++-----++++-- ब्रोकली गोभी के प्रजाति का ही सब्जी है। यह लोकप्रियता के मामले में सामान्य गोभी  के आसपास भी नहीं है पर इसकी खेती में गोभी की खेती के वनिस्पत ज्यादा आमदनी हैं ।महज एक एकड़ के खेती से किसान भाई सिर्फ 3 महीने में एक लाख से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। ब्रोकली स्वास्थ वर्धक गुणों का भंडार है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन ए, सी और कई दूसरे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें कई प्रकार के लवण भी पाए जाते हैं जो शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखने में मददगार साबित होते हैं. ब्रोकली देखने में भी काफी हद तक गोभी के जैसी ही लगती है. आप चाहें तो इसे सलाद के रूप में, सूप में या फिर सब्जी के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. कुछ लोग इसे भाप से पकाकर खाना भी पसंद करते हैं.  इसके बीज व पौधे देखने में लगभग फूलगोभी की तरह ही होते हैं। फूलगोभी में जहां एक पौधे से एक फूल मिलता है वहां ब्रोकोली के पौधे

सूरजमुखी - तेल की बढ़ती कीमतों को देख किसानों का रुझान सूरजमुखी की खेती की ओर काफी बढ़ रहा है।

  सूरजमुखी - तेल की बढ़ती कीमतों को देख किसानों का रुझान सूरजमुखी की खेती की ओर काफी बढ़ रहा है। सूरजमुखी की खेती  देश में पहली बार साल 1969 में उत्तराखंड के पंतनगर में की गई थी। यह एक ऐसी तिलहनी फसल है, जिस पर प्रकाश का कोई असर नहीं पड़ता, यानी यह फोटोइनसेंसिटिव है। हम इसे खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों में उगा सकते हैं। इसके बीजों में 45-50 फीसदी तक तेल पाया जाता है। सूरजमुखी मूल रूप से अमेरीका का पौधा है।पर आज भारत समेत अन्य कई प्रमुख देशों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। इसका नाम सूरजमुखी इस कारण पड़ा कि यह सूर्य और ओर झुकता रहता है, हालाँकि प्राय: सभी पेड़ पौधे सूर्य प्रकाश के लिए सूर्य की ओर कुछ न कुछ झुकते हैं। सूरजमुखी का सूर्य की ओर झुकना आँखों से देखा जा सकता है। सूरजमुखी का हर भाग बेहद उपयोगी माना गया हैं। यह एक प्रमुख तिलहन फसल होने के साथ-साथ आयुर्वेद उपचार में भी लाभकारी माना जाता है। सूरजमुखी की खेती करने का समय नज़दीक आ गया है. इसकी खेती खरीफ, रबी और ज़ायद, तीनों सीजन में होती है, लेकिन ज़ायद सीजन में सूरजमुखी की खेती से अच्छी उपज मिलती है, क्य़ोंकि खरीफ़ सीजन मे

कृषि विभाग फिंगेश्वर द्वारा जनपद उपाध्यक्ष योगेश साहू की उपस्थिति में देवरी के किसानों को वितरण किया उन्नत किस्म (RVG-202) का चना बीज

कृषि विभाग द्वारा जनपद उपाध्यक्ष योगेश साहू की उपस्थिति में देवरी के किसानों को वितरण किया उन्नत किस्म (RVG-202) का चना बीज आज दिनांक 22-11-2021को कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड फिंगेश्वर के द्वारा ग्राम देवरी विकासखंड - फिंगेश्वर के किसानों को टरफा योजनांतर्गत चना बीज का वितरण किया गया। गौरतलब है कि छ.ग. शासन कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल चक्र अपनाने एवं ग्रीष्म कालीन धान के बदले दलहन -तिलहन एवं मक्का फसल हेतु प्रेरित किया जा रहा है जिससे अंचल में रबी फसल में दलहन तिलहन व मक्का फसल के रकबे का विस्तार होगा। जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। श्री शहजाद हुसैन ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकरी ने बताया कि एग्रीकल्चर कॉलेज सीहोर ने चने की दो नई वैरायटी आरवीजी 202 (90-120 दिन) और 203 (90-125 दिन) इजात की है। यह रिसर्च कॉलेज के वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद यासिन ने किया है। यह दोनों ही किस्म नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में बो सकते हैं। आर वी जी 202 एक अच्छी उपज देने वाली किस्म है जिसका वितरण आज किसानों की ग्राम देवरी में किया जा रहा है। यह निश्चित ही कृष

जैविक खेती- गुड़ और अदरक से बनाये फफूंदरोधी रसायन

   जैविक खेती- गुड़ और अदरक से बनाये फफूंदरोधी रसायन ⭕जहरीली होती आवोहवा..., प्रतिदिन तरह-तरह की सामने आ रहीं बीमारियां और इन बीमारियों से जूझते लोगों की समस्या डॉक्टरों के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकांश बीमारियां असंतुलित खानपान के चलते हो रही हैं। जिसमें डॉक्टरों ने यह पाया है कि रासायनिक खाद से तैयार किया गया अनाज, फल व सब्जियां मानव जीवन के लिए घातक हैं। ऐसे में अब लोगों के पास जैविक उत्पाद ही सुरक्षा कवच का काम करेगा। इसके लिए अधिकांश किसान अब जैविक कृषि की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। 🔰 हमारी 🌱 फसलों को विभिन्न प्रकार के फफूंदी जनित रोग हमारी फसलों को प्रभावित करते हैं। जैसे फसलों की पत्तियों, तनों, शाखाओं, कंदों और फलों को सड़ा कर नष्ट कर देते हैं। ⭕ ऐसी समस्याएं हमारी फसलों में न आएं उसके लिए आज हम आपको बताने जा रहे है कि   फफूंदी नाशक रसायन घर पर कैसे तैयार करें और इसका इस्तेमाल कैसे करें। 🔰 आवश्यक सामग्री 🔹 1 किलोग्राम गुड़ 🔸 1 किलोग्राम अदरक 🔹 एअर टाईट प्लास्टिक या काँच के पात्र। ✅ बनाने की आसान विधि 👉 1 किलो अदरक को कुचल कर 1 किलो गुड़

जैविक खेती:- किचन गार्डनिंग की किताब से सीखें घर पर जैविक सब्जी उगाने की तकनीक

   जैविक खेती:- किचन गार्डनिंग की किताब से सीखें घर पर जैविक  सब्जी उगाने की तकनीक   रुनिजा माधवपुरा के एक युवा कृषि विशेषज्ञ तेजराम नागर ने 2015 में ग्वालियर से एमएससी एग्रीकल्चर एग्रोनॉमी की उपाधि प्राप्त की और कृषि  अनुसंधान कार्यों में अपना करियर को शुरू किया शहरी क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के लिए नागर ने  एक सराहनीय कार्य किया है। शहरी क्षेत्र के नागरिक अपने घर पर जैविक सब्जी उगा कर खा सकते हैं। एक आहार विशेषज्ञ के अनुसार 300 ग्राम सब्जी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खाना चाहिए लेकिन इस सब्जी की बहुत कम मात्रा हम लोग प्रतिदिन खाते हैं। प्रगतिशील देशों में अनाज को कम खाया जाता है और फल सब्जियों को अपने भोजन में अधिक सम्मिलित किया जाता है जिस से  स्वास्थ्य अच्छा रहता है लंबी आयु मिलती हैं। सब्जी हमारे भोजन का मुख्य आहार हैं और यह दैनिक जीवन में सबसे पहले हमें ताजी सब्जियों की आवश्यकता होती हैं।    इन सब्जियों को हम बाजार से खरीदते हैं यदि इन्हीं सब्जियों को घर पर उगाए और खाएं  तो लाजवाब स्वाद और अच्छा स्वास्थ्य मिलेगा  इन सब्जियों को गाने की तकनीक किचन गार्डनिंग बुक में लिखी गई है। 192

पेनिकल माइट/पेनिकल ब्लाइट

किस्म- रबी में कर रहे है गेंहूं फसल की तैयारी तो रखे जरूर इन किस्मो के बारे में जानकारी

🌱किस्म- रबी में कर रहे है गेंहूं फसल की तैयारी तो रखे जरूर इन किस्मो के बारे में जानकारी❗  भारत में गेहूँ एक मुख्य फसल है। गेहूँ का लगभग 97% क्षेत्र सिंचित है। गेहूँ का प्रयोग मनुष्य अपने जीवनयापन हेतु मुख्यत रोटी के रूप में प्रयोग करते हैं, जिसमे प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। भारत में पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश मुख्य फसल उत्पादक क्षेत्र हैं। गेहूं की फसल से भरपूर एवं बंपर पैदावार लेने के लिए बीज का चयन करना बहुत जरुरी होता है। क्योंकि अच्छी किस्मों से ही हमें अच्छी उपज मिल सकती है।  इसके लिए गेहूं की खेती में बीज का चयन करना बहुत जरुरी होता है। ▶️ कम पानी वाली किस्में (एक से 2 -3 पानी में तैयार होने वाली किस्में) - 🔸 अमर 🔹 अम्रिता 🔸 हर्षिता 🔹 मालव कीर्ति 🔸 पूसा बहार 🔹 पूसा उजाला 🔰 अधिक पानी वाली किस्में (4 से 6 पानी में तैयार होने वाली किस्में) - 🔹 पूर्णा 🔸 पोषण 🔹 पूसा तेजस  🔸 पूसा मंगल 🔹 पूसा अनमोल 🌱 देरी से बुवाई हेतु उन्नत किस्में - 👉 MP - 4010 👉 JW - 173 👉 HI - 1454 👉 JW - 1202 👉 HI - 1418 👉 HD - 2285 👉 HD - 2864 तकनीक प्रचा

औषधि ज्ञान:- औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

   औषधियों में विराजमान नवदुर्गा घर_में_9_पौधे_अवश्य_लगाएं ... एक मत यह कहता है कि ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में विराजमान हैं। 1. शैलपुत्री (हरड़)🌱🌱 कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है। यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है। 2. ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)🌱🌱 ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है। इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है। 3. चंद्रघंटा (चंदुसूर)🌱🌱 यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं। 4. कूष्मांडा (पेठा)🌱🌱 इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है। इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है। 5. स्कंदमाता (अलसी)🌱🌱 देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है। 6. कात्यायनी (

गुच्छी मशरूम: दुनिया का सबसे महंगे मशरूम की खासियत आपको भी जाननी चाहिए!तीस हजार प्रति किलोग्राम है कीमत!

गुच्छी मशरूम: दुनिया का सबसे महंगे मशरूम की खासियत आपको भी जाननी चाहिए!तीस हजार प्रति किलोग्राम है कीमत! #आवाज_एक_पहल हिमालय के पहाड़ी और जंगली इलाकों में जब आसमानी बिजली गिरता है तो उसी समय कुदरत की कोख से एक दिव्य औषधीय मशरूम की जन्म होता है जिसे हम गुच्छी के नाम से जानते हैं।इसके उगने का समय सितम्बर से दिसम्बर तक होता है।  हिमालय के तराई में रहने वाले लोगों के लिए यह संजीवनी के समान है। इस सब्जी की खासियत यह है कि यह जिस जगह पर एक जगह पैदा हो जाती है वहां दोबारा से नहीं होती है, जिस वजह से लोगों को इसे खोजने में काफी समय लगता है। ₹30000 से अधिक कीमत में बिकने वाला गुच्छी (Gucchi) जो एक प्रकार का जंगली मशरूम है जिसे पकाने के लिए भी काफी जद्दोजहद करना पड़ती है. हालांकि दिल के रोगों के लिए कारगर मानी जाती है. वहीं कई प्रकार के पौषक तत्व इसमें होते हैं, जिस वजह से यह इतनी महँगी होती है. विटामिन से भरपूर गुच्छी की सब्जी बनाने का भी एक ख़ास तरीका होता है.  सबसे लज़ीज पकवान गुच्छी की सब्जी काफी लज़ीज़ तरीके से बनती है, जिसमें ड्राय फ्रूट्स, सब्जियों और देशी घी का उपयोग होता है. बेहद दुर्लभ क़िस्

औषधि ज्ञान:- जुनिपर बेरी के बारे में जाने।

#जुनिपर बेरी #हाउ बेर ■□■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ कृषक कनेक्शन इसका वानस्पतिक नाम जूनिपेरस कम्यूनिस है यह सप्रेसेस्सी परिवार का सदस्य है इसकी फलियां काफी उपयोगी होती है। इन्हें निम्नाकिंत नामो से भी जाना जाता है। #भारतीय नाम हिन्दी : अरार संस्कृत : हापुषा विदेशी नाम Arabic : Arar Chinese : Du song Czech : Jalovec French : Genevrier German : Wacholder Italian : Ginepro Spanish : Enebro/Junipero Dutch : Jeneverbes #विवरण जूनिपर एक सदाहरित झाडी है जो कभी-कभी छाल से आच्छाादित ऊर्ध्व तना एवं फैली शाखाओं सहित तीन मीटर तक की ऊचाई तक बढनेवाला छोटे वृक्ष के रूप में पाया जाता है। तनों का व्यास 25-30 से.मी. होता है। पत्ते सीधे और कडे, अण्डाकार, करीब 6-13 मि.मी. लंबे और कंटीली नोकवाले होते हैं। यह एकलिंगाश्रयी पौधा है। अप्रैल एवं मई में पुंजातीय और स्त्रीजातीय फूल सामान्यत: अलग अलग पौधों में खिलते हैं। पुंजातीय फूल छोटी मंजरियों में और स्त्रीजातीय फूल लघु शंक आकार में। मांसल फलियाँ जैसे इसके फल पकने पर नीलाभ, गहरे बैंगनी रंग के मोमी फलभित्तियों से आच्छादित 10-13 मि.मी. व्यास वाले होते हैं। तीन परतो

गुंडरदेही के किसानों ने सीखा घर पर ही जैविक कीटनाशक बनाना।

    गुंडरदेही के किसानों ने सीखा घर पर ही जैविक कीटनाशक बनाना। ग्राम गुंडरदेही विकासखण्ड-फिंगेश्वर में केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र, रायपुर द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम  आयोजित किया गया।  इस अवसर पर सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी डॉ. चव्हाण विकास तुकाराम ने वर्तमान कोरोना महामारी की विषम परिस्थिति में सभी लोगों से पर्यावरण संरक्षण और सवर्धन पर ध्यान देने और वृक्ष लगाने का आव्हान किया।  साथ ही साथ नीम पेड़ का महत्व बताया। किस प्रकार हम अपने खेत में नीम पेड़ लगाकर नीम का जैवीक कीटनाशक कैसे बनायें और इसका उपयोग खेत में कीट और फफूँद को कैसे नियंत्रित करे। इसके ऊपर बातचीत की। एवम जैविक कीटनाशक बनाने की निम्नांकित विधियो के बारे में बताया गया। 1. नीमास्त्र (रस चूसने वाले कीट एवं छोटी सुंडी इल्लियां के नियंत्रण हेतु) सामग्री :- 1. 5 किलोग्राम नीम या टहनियां 2. 5 किलोग्राम नीम फल/नीम खरी 3. 5 लीटर गोमूत्र 4. 1 किलोग्राम गाय का गोबर बनाने की विधि सर्वप्रथम प्लास्टिक के बर्तन पर 5 किलोग्राम नीम की पत्तियों की चटनी, और 5 किलोग्राम नीम के फल पीस व कूट कर डालें एवं 5 लीटर गोमूत्र व 1 किलो

बैंगन में फल छेदक कीट का नियंत्रण ❗

  🍆 बैंगन में फल छेदक कीट का नियंत्रण ❗ बैंगन के पौधों में कई तरह के कीटों के प्रकोप का खतरा बना रहता है। इनमें से एक है तना छेदक कीट। इस कीट से बैंगन की फसल को बहुत हानि पहुंचती है।  👨‍🌾 किसान भाइयों बैंगन की फसल में शीर्ष एवं फल छेदक कीट की सूण्डियां गुलाबी रंग की होती हैं जो लगभग बालरहित होती हैं। नवजात सूण्डियां नई शाखाओं में छिद्र करके प्रवेश कर जाती हैं जिसके कारण शाखाएं मुरझा जाती हैं और पौधों की बढ़वार रुक जाती है। 🍆 जब फल लगते हैं तो सूण्डियां फलों में घुसकर उन्हें हानि पहुंचाती हैं। फलों में छेद सूण्डियों के बारह आने के बाद ही दिखाई पड़ते हैं। इस कीट द्वारा 20-25 प्रतिशत तक नुकसान होता है।😱 अगर आप भी हैं परेशान इन कीटों से तो इस पोस्ट में दिए गए उपायों को अपना कर आप इससे आसानी से निजात पा सकते हैं। 🛡️ नियंत्रण   👉 खेत को साफ सुथरा रखें।  🌱 जिस खेत में बैंगन की फसल पिछले वर्ष ली हो उसमें बैंगन कदापि न लगाएं।  🍆 बैंगन की दो कतारों के बाद एक कतार धनिया या सौंफ की लगाएं।  ⭕ अगर आपके क्षेत्र में उपलब्ध हों तो प्रतिरोधी या सहनशील किस्में लगाएं। ☘️ प्रभावित पत्तियां,

35-40 दिन के धान में अधिक कंसे के लिए क्या करे किसान

🌾 ऐसे पाएं धान में अधिक पैदावार ❗ 👨‍🌾 किसान भाइयों धान की रोपाई के बाद पौधों में अधिक फुटाव एवं उचित वृद्धि विकास होना बहुत ही आवश्यक है। 🌾 क्योंकि पौधों का विकास ही यह सुनिश्चित करता है की हम कितना उत्पादन ले सकते हैं। इसके लिए निम्न उपाय अपनाएं- 🌾 सर्वप्रथम किसान भाइयों मृदा परिक्षण के अनुसार उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का प्रबंधन करना चाहिए। 🔰 समय समय पर रोग एवं कीटों की निगरानी कर इनका नियंत्रण करना चाहिए। ⭕ पौध रोपाई के 20 - 25 दिनों पर खरपतवार निराई गुड़ाई कर निकल देना चाहिए। 🛡️ जियोलाइफ बैलेंस न्यूट्री मल्टी माइक्रो न्यूट्रिएंट - 250 ग्राम एवं जियोलाइफ नैनो एनपीके 19-19-19 पानी में घुलनशील उर्वरक 200 ग्राम 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। 👉 PI का बायोविटा दानेदार 4 किलोग्राम प्रति एकड़ जमीन के माध्यम से या बायोविटा तरल 25 मिली प्रति 15 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। 🌱 धानुका का धनज़ाइम गोल्ड तरल को 200 मिली 200 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ छिड़काव करें। या धनज़ाइम गोल्ड दानेदार 5 किलोग्राम प्रति एकड़ जमीन के माध्यम से दें। ✅ यूरिया 25 किलोग्राम, जिं

पाउडरी मिल्ड्यू:-ऐसे पाएं मिर्च की स्वस्थ फसल ❗

🌶️ ऐसे पाएं मिर्च की स्वस्थ फसल ❗ 👨‍🌾 किसान भाइयों इस समय मिर्च की फसल वृद्धि विकास की अवस्था पर है। साथ ही कुछ स्थानों पर फूल एवं फलों की अवस्था पर है। 🌶️ इस समय मिर्च की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग का संक्रमण देखा जा रहा है। यह मिर्च की फसल का प्रमुख रोग है जो पौधों की पत्तियों, तना और फलों को प्रभावित करता हैं। 😱 👉 इस रोग में पौधों पर सफेद पाउडर के समान चिन्ह बन जाते हैं। अधिक प्रकोप पर पूरे पौधे पर भूरे सफेद मटमैले धब्बे फैलने से पौधा बौना रह जाता है और पत्तियाँ व फूल झड़ जाते हैं तथा फल बहुत कम छोटे आकार के बनते हैं।🛡️ 🔰 नियंत्रण के उपाय 🔹 ग्रीष्मकालीन खेत की गहरी जुताई करें, ताकि ज़मीन में दबे कीट व फंफूद तेज गर्मी से नष्ट हो जाएं। 🔸 खेत में पड़े अवशेष, खरपतवार व अन्य वैकल्पिक पौधों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। 🔹 पौधों के बीच उचित पौध अंतराल रखें। 🔸 रोग मुक्त फसल हेतु स्वस्थ बीज व पौध लगायें। 🔹 आवश्यकतानुसार ही सिंचाई करें। 🔸 रोग व कीट से ग्रसित पत्तियों व फलों को तोड़कर नष्ट कर दें। 🔹 रासायनिक नियंत्रण के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23% एससी @ 200 मिली या फ्लूसि

कृषि विभाग:-50% अनुदान पर 80 कृषकों को किया गया नैपसैक स्प्रेयर का वितरण

  कृषि विभाग -  50% अनुदान पर 80 कृषकों को किया गया नैपसैक स्प्रेयर का वितरण उप संचालक कृषि जिला गरियाबंद श्री एफ. आर. कश्यप के निर्देशानुसार आज दिनांक  13/8/ 2021 को कृषि विभाग फिंगेश्वर द्वारा केंद्र राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (ऑइल सीड) योजना अंतर्गत पौध संरक्षण यंत्र नेपसेक स्पेयर का अंचल के 80 कृषकों को वितरण किया गया। कृषि विकास अधिकरी श्री के.के.साहू ने दी सलाह की किस प्रकार किस नोजल का प्रयोग कर रसायनिक दवा का छिड़काव कर किसान भाई रसायनिक दवा का उचित ढंग से कर सकते है प्रयोग। रसायनिक दवाओं के छिड़काव में नोजल एक अहम भूमिका निभाता है। कई किसान भाइयों को पता नही होता कि किस रसायनिक दवा के छिड़काव हेतु किस प्रकार के नोजल का उपयोग करना है रासायनिक दवा छिड़कवा के समय नोजल का उचित चयन दवा छिड़कांव का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। नोज़ल एक निर्धारित क्षेत्र पर होने वाले छिड़काव की मात्रा, छिड़काव की समानता, दवा की मात्रा को निर्धारित करता है। होलो कोन नोज़ल (Hollow cone nozzles): - आमतौर पर इस प्रकार के नोज़ल का उपयोग मुख्य रूप से कीटनाशक और फफूंदीनाशक दवाइयों छिड़काव के लिए किया जाता है। इस

बैंगन में फूल झड़ने से रोकने के उपाय❗

🍆 बैंगन में फूल झड़ने से रोकने के उपाय❗ 👨‍🌾 किसान भाइयों, बैंगन की खेती भारत में सभी प्रदेशों में की जाती है। यह भारत की प्रमुख सब्जी वाली फसल है। यदि इसकी समय रहते देखरेख न की जाए तो इसमें भारी नुकसान होता है। इसमें फूल गिरने की समस्या प्रमुख है। 🍆 बैंगन में फूल झड़ने के प्रमुख कारण: 👉 आर्द्रता:- यदि आर्द्रता 60% से नीच या फिर 85 प्रतिशत से ऊपर पहुंच जाए, तो बैंगन में अक्सर फूल झड़ने लगते हैं। 🌧️ मौसम:- अगर तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे आ जाए या फिर 35 डिग्री सेंटीग्रेड के ऊपर चला जाए, तो बैंगन में अक्सर फूल झड़ने लगते हैं। 👉 नमी:- भूमि में ज्यादा और बहुत कम नमी के कारण भी फूल झड़ने लगते हैं। ♻️ खाद व उर्वरक:- अगर असंतुलित मात्रा में खाद व उर्वरक का इस्तेमाल किया जाए, तो भी बैंगन में फूल झड़ने की समस्या हो सकता है। 🐛 कीट व रोगों का प्रकोप:- अगर बैंगन की फसल में कीट व रोगों का प्रकोप हो जाए, तो भी फूल झड़ने लगते हैं। बैंगन में ज्यादातर रस चूसने वाले कीट जैसे, मकड़ी और सफेद मक्खी लगने से फूल झड़ने लगते हैं। इसके अलावा पौधों में हार्मोन का असंतुलन भी फूल झड़ने का कारण

सजीव रसायन जल:-यह फसलों को कीट व इल्लियों को बचाता है।

सजीव रसायन जल:-यह फसलों को कीट व इल्लियों को बचाता है। एक मिट्टी के मटके में 🌿आधा किलो देशी गाय का ताजा गोबर, 🌿50 ग्राम पुराना काला गुड़ , 🌿500 ग्राम नीम के पत्ते, 🌿500 ग्राम करंज के पत्ते, 🌿500 ग्राम कनेर के पत्ते , 🌿500 ग्राम मदार के पत्ते , ⭕इन सभी पत्तो को पत्थर पर लुगदी बनाकर मटके में डालकर मटके के मुँह को कपड़े से बांधकर किसी छायादार पेड़ की छांव में रख लेवें। ⭕7 दिनों बाद इस घोल को महीन कपड़े से छानकर निकाल लेवें ।शेष बचे पदार्थ को वापस मटके में डालकर उसमे गोमूत्र डाल देवे । ⭕7 दिनों बाद फिर से निकाल सकते है । इस घोल को छानकर किसी प्लास्टिक के पात्र में भरकर धूप में रख लेवें। ⭕2 प्रतिशत की मात्रा से 100 लीटर पानी मे 1लीटर सजीव रसायन जल खेत की फसलों पर स्प्रे करें। ⭕इस सजीव जैविक रसायन को बनने के बाद 3 साल तक उपयोग किया जा सकता है। ⭕यह फसलों को कीट व इल्लियों को बचाता है। ⭕यह फसलो में सूक्ष्म पोषक तत्वों की आंशिक पूर्ति करता है।।।

नींबू के पत्ते मुड़ने पर क्या करे उपाय

नींबू के पत्ते मुड़ने पर क्या करे उपाय नींबू वृक्षों में प्रबंधन- जमीन के तल से आधा मीटर ऊपर तक के हिस्से के शाखाओं को काट दें, हमेशा साफ कर दें - वृक्ष के शाखाओं की कटाई छंटाई कर वृक्ष के केन्द्र भाग में प्रकाश पहुंचे ऐसा बनाएं रखें - जड़ों के किनारे नियमित रूप से निंदाई - गुड़ाई कर साफ-सफाई रखें - प्रति वृक्ष 15-20 किग्रा गोबर या 5-10 किग्रा केंचुआ खाद के साथ 300 ग्राम यूरिया व आधा किलो सिंगल सुपर फास्फेट में 8-10 ग्राम किलेटेड आयरन मिला कर फरवरी-मार्च तथा अप्रैल - मई में डालें *नोट:* फास्फेट केवल पहले बार में केवल एक ही बार डालना है, अगली बार सिर्फ यूरिया डालना है) - जिंक सल्फेट 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 10-10 दिनों में 3 बार स्प्रे करें - आवश्यकता होने पर नैफ्थेलिक एसीटिक एसिड(2,4-D) या जिबरेलिक एसिड(GA3) 1 ग्राम प्रति 50 लीटर पानी में घोल बनाकर मार्च और अप्रैल के अंत में तथा अगस्त - सितंबर में स्प्रे करें @ किसान समाधान डॉ गजेंद्र चंद्राकर

मक्का में पत्ती झुलसा का नियंत्रण ❗

🌽 मक्का में पत्ती झुलसा का नियंत्रण ❗ 👨‍🌾 किसान भाइयों मक्का की फसल में यह एक फफूंदी जनित रोग है। 🌽 फफूंदी युवा अवस्था में फसल को प्रभावित करता है। प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर अंडाकार, पानी से लथपथ धब्बे होते हैं। घाव अण्डाकार और भूरे रंग के होते हैं, जो अलग-अलग जगहों को संक्रमित करते हैं। 🌽 घाव आमतौर पर पहले निचली पत्तियों पर दिखाई देते हैं, जो फसल के परिपक्व होने पर ऊपरी पत्तियों तक फैल जाते हैं। 😱 गंभीर संक्रमण होने पर पूरी पत्ती झुलस जाती है और पौधे मर जाते हैं। ☘️ पत्तियों पर छोटे-छोटे पीले गोल या अंडाकार धब्बे दिखाई देते हैं। ये धब्बे बड़े हो जाते हैं, अण्डाकार हो जाते हैं और बीच में लाल भूरे रंग के मार्जिन के साथ भूसे के रंग का हो जाता है। 🌽 नियंत्रण के प्रभावी उपाय  🔹 खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करना चाहिए।  लगाए प्रतिरोधी किस्म 🔹 प्रतिरोधी किस्में लगाएं जैसे - डेक्कन, वीएल 42, प्रभात, केएच-5901, PRO-324, PRO-339, आईसीआई-701, एफ- 7013, एफ-7012, पीईएमएच 1, पीईएमएच 2, पीईएमएच 3, पारस, सरताज, डेक्कन 109, सीओएच-6 आदि।  रसायनिक नियंत्रण 🔹 मैनकोज़ेब

🌱 मूंग/ उड़द में माहु कीट का नियंत्रण ❗

* 🌱 मूंग/ उड़द में माहु कीट का नियंत्रण ❗ * 👨‍🌾 किसान भाइयों मूंग एवं उड़द की फसल में माहू कीट समूह में फसल को कम समय में अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। 🌱 व्यस्क कीट की लंबाई करीब 1 से 2 मिलीमीटर होती है। यह कीट पौधों के कोमल तने, पत्तियां, फूल एवं फलियों का रस चूसते हैं। ☘️ फलस्वरूप पौधे कमजोर हो जाते हैं एवं पत्तियां सिकुड़ी हुई सी नजर आती हैं। पौधों में फूल कम निकलते हैं एवं फलियों में दाने नहीं बन पाते हैं। प्रकोप बढ़ने पर पौधों के विकास में बाधा आती है।😱 🔰 प्रबंधन ⭕ माहू पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 5-10 पीले स्टिकी ट्रैप लगाएं। ✅  एन.एस.के.ई. 5 प्रतिशत (50 ग्राम/लीटर पानी) या डाइमेथोएट 30 ई.सी. (1.7 मि.ली./लीटर पानी) या इमिडाक्लोप्रीड 17.8 एस.एल. (0.2 मिली/ प्रति लीटर पानी) का फसल पर छिड़काव करें।

धान में पीलापन

नियंत्रण के उपाय 👉 सल्फर 3kg + 10 kg जिंक सल्फेट + 500 ग्राम कार्बेंडा मेंको + Root Rise 500 gram 20 kg यूरिया के साथ कोटिंग करके प्रति एकड़ की दर से जमीन में देवें।।

मूंग/उड़द में ये उपाय फूलों को बढ़ाने में काफी कारगर है।

मूंग/उड़द में ये उपाय फूलों को बढ़ाने में काफी कारगर है। 👨‍🌾 प्रिय किसान भाइयों, मूंग एवं उड़द भारत की प्रमुख दलहनी फसल हैं। जिनका प्रयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है। 🌱 मूंग एवं उड़द की फसल अभी 25 से 30 दिनों की अवस्था पर है। जिसमे समय रहते उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग कर लेना चाहिए। 👉 जिससे आपकी फसल में अधिक मात्रा में फूल एवं फल आएंगे, पौधों की वानस्पतिक वृद्धि अच्छी होगी जिससे गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त होगा। 🔰 यह उपाय जरूर अपनाएं ⭕ सर्वप्रथम सल्फर 90% को 3 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से दें। जिससे पौधों में फफूंदी जनित रोग नहीं आएंगे, दानों में चमक आएगी दाने सख़्त होंगे, जिससे इसकी क्वालिटी अच्छी होगी बढ़ेगी जिससे इसका बाजार भाव अच्छा मिलेगा। ✅ महाधन का NPK 12:61:0 @ 1 किलोग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। 🌱 जियोलाइफ बैलेंस न्यूट्री मल्टी माइक्रो न्यूट्रिएंट - 250 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। 👉 जिब्रेलिक एसिड 0.001 @ 1 - 1.5 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर इसका छिड़काव करना चाहिए।

कृषि कलैंडर-अगस्त (सावन ) के महीने में किसान भाई क्या करें?

  कृषि कलैंडर-अगस्त (सावन ) के महीने में किसान भाई क्या करें?  कृषि  के दृष्टिकोण से ख़रीफ़ ऋतु हम किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है । इस फसल चक्र की फ़सलों की बुवाई हम जून – जुलाई में करते हैं । और कटाई का कार्य अक्टूबर तक करते हैं। मतलब फ़सलों उत्पादन समय पर की गयी देखभाल पर निर्भर करता है। अगस्त के महीने में किसान भाई खेती में क्या करें कि अच्छी उपज मिले । फलों की खेती या बाग़वानी में अगस्त माह में क्या प्रबंध किए जाएँ। पशुपालन के अंतर्गत पशुओं के लिए क्या व्यवस्था की जाए । आज की कड़ी केंद्रित है जो कि निश्चित कृषको के लिए काफी उपयोगी होगी। फसलोत्पादन (fruit production ) – धान अगस्त माह के कृषि कैलेंडर के अनुसार शीघ्र पकने वाली प्रजातियों   की रोपाई यदि न हुई हो तो शीघ्र पूरी कर लें ,  परन्तु इस समय रोपाई के लिए  40  दिन   पुरानी पौध का प्रयोग करें तथा  15×10  सेंमी की दूरी पर ,  प्रति स्थान  3-4  पौध लगायें। धान की रोपाई के  25-30  दिन बाद ,  अधिक उपज वाली प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर  30  किग्रा   नाइट्रोजन ( 65  किग्रा यूरिया) तथा सुगन्धित प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर  15