रासायनिक विधि
खतवारनाशी रसायन द्वारा भी खरपतवारों को सफलता पूर्वक नियंत्रित किया जा सकता है। इससे प्रति हेक्टेयर लागत कम आती है तथा समय की भी बचत होती है। लेकिन इन रसायनों का प्रयोग करते समय सावधानी बरतनी पड़ती है। खरपतवार नियंत्रण में खरपतवारनाशी रसायनों के उपयोग में एक और विशेष लाभ है। हाथ निंदाई या डोरा चलाकर निंदाई, फसल की कुछ बाढ़ हो जाने पर की जाती है, और इन शस्य क्रियाओं में नीदा जड़ मूल से समाप्त होने के बजाय, उपर से टूट जाते हैं, जो बाद में फिर बाढ़ पकड़ लेते हैं। खरपतवारनाशी रसायनों में यह स्थिति नहीं बनती क्योंकि यह फसल बोने के पूर्व या बुवाई के बाद उपयोग किये जाते हैं। जिससे खरपतवार अंकुरण अवस्था में ही समाप्त हो जाते हैं अथवा बाद में नीदा रसायन के प्रभाव से पूर्णतया नष्ट हो जाते हैं। खरपतवारनाशी रसायनों का विस्तृत विवरण (सारणी में दिया गया है।
स
फसल | खरपतवारनाशी | मात्रा (ग्राम/हें.) | व्यापारिक मात्रा (ग्राम/हें.) | प्रयोग का समय | प्रयोग की विधि | |
| रसायनिक नाम | व्यवसायिक नाम |
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धान | ब्यूटाकलोर | मौचिटी, बीडकिल, टीअर, धानुक्लोर, विलक्लोर, ट्रेप इत्यादि | 1000-1500 | 2000-3000 20-25 किग्रा. (5% दानेदार) | बोने के बाद अंकुरण के पूर्व | दवा की आवश्यक मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। |
| पेंडीमेथिलिन | स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटांप, पेनिडा, पेंडीहबे | 1000-1250 | 3000-4500 | तदैव | |
| एनिलोफ़ॉस | एरोजिन, एनिलोगार्ड, एनिलोधान, एनिलोस्फार, सूमो , | 300-400 | 1200 | तदैव | |
| प्रेटिलाक्लोर | सोफिट, रिफिट | 750-1000 | 1500 | तदैव | |
| 2, 4-डी | 2,4-डी, एग्रोडान-48, काम्बी, इर्विटाक्स, टेफासाइड, वीडमार | 750-1000 | 2000-3000 20-25 किग्रा. (4% दानेदार) | रोपाई के 20-25 दिन बाद | |
| क्लोरीम्यूरॉन +मेट्सल्फूरॉन | आलमिक्स | 4 | 20 (कंपनी मिश्रण) | रोपाई के 20-25 दिन बाद | |
| फिनाक्साप्राप इथाईल | व्हिप सुपर | 70 | 700-750 | रोपाई के 25-30 दिन बाद | |
| पाइराजोसल्फयूरॉन | साथी | 25 | 200 | रोपाई के 15 दिन बाद | |
मक्का, ज्वार, बाजरा | एट्राजीन | एट्राटाफ, धानुजीन, सोलारो | 1000 | 2000 | बुवाई के तुरंत बाद | |
| 2,4-डी | 2, 4-डी, एग्रोडान-48, काम्बी, इर्विटाक्स, टेफासाइड, वीडमार | 750 |
| बुवाई के 25-30 दिन बाद |
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| मेट्रीब्यूजिन | सेन्कार 70 डब्लू.पी. | 175-210 | 250-300 | बुवाई के 30-35 दिन बाद | आइसोप्रोट्यूरान/ प्रतिरोधी फेलेरिस माइनर के नियंत्रण के लिए प्रभावशाली साथ ही साथ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए भी उपयुक्त। प्रयोग के समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए अन्यथा फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। |
| मेट्सल्फ्युरान मिथाइल | अलग्रिप 20 डब्लू.पी. | 4-6 | 20-30 | बुवाई के 25-30 दिन बाद | चौड़ी पत्ती एवं मोथा कुल के खरपतवारों की रोकथाम के लिए प्रयोग करें। घास कुल पर प्रभावी नियंत्रण नहीं होता है। |
| सल्फोसल्फ्युरान | लीडर 75 डब्लू.पी. | 25 | 33 |
| आइसोप्रोटयूरान प्रतिरोधी फेलेरिस माइनर के लिए कारगर। घास कुल के विशेष रूप से जंगली जई के लिए अत्यधिक प्रभावशाली। कुछ हद तक चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को भी नियंत्रित करता है, अंतरवर्ती या मिलवा फसलों के लिए उपयुक्त नहीं। |
दलहनी एवं तिलहनी फसलें | पेंडीमेथालीन | स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटाप, पेनिडा, पेंडीहर्ब | 1000 | 3300 | बुवाई के तुरंत बाद |
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| एलाक्लोर | लासो | 1500-2000 | 3000-4000 | तदैव | |
| फ्लूक्लोरेलिन | बासलिन | 1000-1500 | 2000-3000 | बुवाई के पूर्व भूमि में छिड़काव अच्छी तरह मिला दें | |
| ट्राइफ्लूरेलिन | टिपटाप, ट्रेफलान, ट्राईनेत्र, ट्राईलेक्स, ट्रोफन | 1000-1500 | 2000-3000 | तदैव | |
कपास | डायूरान | एग्रोमेक्स, कारमेक्स, क्लास, टू | 750-1000 | 900-1150 | तदैव | |
आलू | मेट्रीब्यूजिन | सेन्कार, वैरियर, लेक्सोन, टाटा मेट्री | 500 | 750 | तदैव | |
सोयाबीन | एलाक्लोर | लासो | 1500-2000 | 3000-4000 | बुवाई के 3 दिन के अंदर | |
| क्लोरीम्यूरॉन | क्लोबेन | 8-12 | 40-60 | बुवाई के 15-20 दिन बाद | |
| फिनाक्साप्राप | व्हिप सुपर | 80-100 | 800-1000 | बुवाई से 20-25 दिन बाद | |
| इमेजेथापायर | परस्यूट | 100 | 1000 | बुवाई के 15-20 दिन बाद | |
| मेटलाक्लोर | डुअल | 1000-1500 | 2000-3000 | बुवाई के 3 दिन के अंदर | |
| पेंडीमेथिलीन | स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटाप, पेनिडा, पेंडीहर्ब | 1000-1250 | 3330-4160 | बुवाई से पहले या बुवाई के 3 दिन के अंदर | |
| क्यूजालोफॉप इथाईल | टरगा सुपर | 40-50 | 800-1000 | बुवाई के 15-20 दिन बाद | |
गेहूँ | 2, 4-डी | 2,4-डी, एग्रोडान-48, काम्बी, इर्विटाक्स, टेफासाइड, वीडमार | 500-1000 | - | बुवाई के 30-35 दिन बाद | |
| आइसोप्रोटयुरॉन | एरीलान, धानुलान, आइसोगार्ड, आइसोलान, टाऊरस, टोल्कान | 750-1000 | 1000-1250 (75 WP) 1500-2000 (50 WP) | तदैव |
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| पेंडीमेथालीन | स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटाप, पेनिडा, पेंडीहर्ब | 1000 | 3300 | बुवाई के तुरंत बाद | |
| क्लोडिनाफ़ॉप प्रोपार्जिल | टापिक 15 डब्लू पी. | 60 | 400 | बुवाई के 30-35 दिन बाद | आइसोप्रोटयुरान प्रतिरोधी फेलेरिस माइनर के लिए कारगर |
| फेनाक्साप्रॉप(पूमा सुपर 10 ई.सी.) | प्यूमा सुपर | 100-120 | 1000-1200 | बुवाई के 30-35 दिन बाद | घास कुल विशेष रूप से जंगली जई के लिए अत्यधिक प्रभावशाली। गेहूँ के साथ मिलवा फसल में भी उपयुक्त। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का प्रकोप होने पर 2, 4-डी, नामक रसायन का प्रयोग एक सप्ताह बाद करें। सुबह जब पत्तियों पर ओस की बूंदें हो तो छिड़काव न करें। |
स्त्रोत: कृषि विभाग, भारत सरकार
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