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Showing posts from November, 2020

कृषि विभाग:-हरित क्रांति विस्तार योजना अंतर्गत किया रबी बीज का वितरण

  कृषि विभाग:- हरित क्रांति विस्तार योजनान्तर्गत किया रबी बीज चना - गेँहू का वितरण उप संचालक कृषि जिला गरियाबंद श्री एफ आर कश्यप के निर्देशानुसार विकासखण्ड फिंगेश्वर के ग्राम तरजुंगा व गुण्डरदेही किसानों को हरित कांति विस्तार योजना अंतर्गत 25.00 हेक्टेयर के लिए चना व 25.00 हेक्टेयर के लिए गेहूं बीज का वितरण किया गया। गौरतलब है कि छ.ग. शासन कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल चक्र अपनाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है जिससे अंचल में रबी फसल में दलहन व गेहूं फसल के रकबे का विस्तार होगा। जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। उक्त कार्यक्रम में जिला पंचायत सभापति श्रीमती मधुबाला रात्रे ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में किसानों को रबी वर्ष 2020-21 में ज्यादा से ज्यादा फसल चक्र परिर्वतन करने हेतु कृषकों से अपील किया एवं फसल चक्र से होने वाले फायदे एवं मिट्टी की उर्वरा क्षमता को बढाने हेतु दलहनी फसल की भूमिका पर प्रकाश डाला। कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बी.आर.साहू ने किसानों को रबी फसल में बीज उपचार समवित उर्वरक एवं जल प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। उप संचालक कृषि जिला गरियाबंद श्री एफ.

समसामयिक सलाह-25 से 29 नवंबर हेतु कृषि सलाह

  कृषि विज्ञान केंद्र राजनांदगाँव द्वारा 25 से 29 नवंबर हेतु कृषि सलाह:- भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अगले पांच दिनों में राजनांदगांव जिले में 26, 27 एवं 28 नवम्बर को हल्की बारिश होने संभावना है। आसमान मे हल्के बादल छाए रहने की संभावना है। अधिकतम तापमान 27.0-29.0 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 14.0-15.0 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। सुबह हवा में नमी का प्रतिशत 64-94 प्रतिशत तथा दोपहर मे 40-75 प्रतिशत रहने की संभावना है। हवाओं के पूर्व दिशा से 2.0 किमी प्रति घंटे कि गति से हवाएँ चलने की संभावना है। 1.आगामी पाँच दिनों मे राजनंदगाव जिले मे हल्के से मध्यम बादल देखे जा सकते है, 26, 27 एवं 28 नवम्बर के आसपास कहीं-कहीं पर बारिश की संभावना है। 2.चना, मटर और मसूर की बुआई शुरू करें। बुवाई से पहले, बीज को बावस्टीन के साथ उपचार करें। 3.पशुओं को फुट एंड माउथ रोग से बचाने के लिए पशु चिकित्सक से टिकाकरण कराना चाहिए। नियमित रूप से सुबह-शाम एक-एक चम्मच नमक उनके भोजन के साथ दें। 4.वर्तमान समय में मृदा नमी में कमी हो रही है एवं साथ ही साथ वाष्पोसर्

भूमि उपचार की प्रक्रिया,और सफलता की कहानी*🌹

  भूमि उपचार की प्रक्रिया ..............और ............... सफलता की कहानी ********************* रसायनिक व आधुनिक कृषि कार्यो के कारण कृषि भूमि बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है,भूमि पत्थर जैसी सख्त होने लगी है,भूमि में जड़ो का विकास नही होता,भूमि के अंदर फंगस,वायरस व कीटो की भयंकर कॉलोनियां बन गई है,जो फसल को उगते ही बीमार कर देते है। प्राकृतिक खेती शोध संस्था की पद्धति और जैविक किसान संस्था राह FPO के पैकेज ऑफ़ प्रेक्टिश से भूमि को उपचारित पुनः स्वस्थ सजीव बनाया जा सकता है। उपचारित सजीव भूमि में 1)मिट्टी मक्खन जैसी मुलायम हो जाती है। 2)मिट्टी में पानी डालने पर मिट्टी पूरे पानी को सोख लेती है। 3) पूरे वर्ष भर मिट्टी से सोंधी महक आती रहती है। 4) हाथों से मिट्टी को मसलने पर मिट्टी रेशम के धागे जैसी फिसलती है । 5)प्रति वर्ग फुट कम से कम तीन केंचुए मिलते हैं । 6)फसलों की जड़ें स्वस्थ रहती हैं फिडर रूट्स (भोजन लेने वाली जड़े) बहुत ज्यादा रहती हैं जड़ों में जीवाणुओं की पर्याप्त गांठे (राइजोम) बनते हैं। भूमि उपचार की प्रक्रिया आपको अधिकतम 2 वर्ष में पूरी करनी है, सबसे पहले चार काम अपनी खेती में बंद कर

कृषि सलाह-केंचुआ/गोबर खाद के साथ रासायनिक उर्वरक का उपयोग कैसे करें

  कृषि सलाह- केंचुआ / गोबर खाद के साथ रासायनिक उर्वरक का उपयोग कैसे करें। विदित है कि गोधन न्याय योजना, राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के अंतर्गत संपूर्ण प्रदेश में स्थापित गौठान परियोजना का संचालन किया जा रहा है। जिसके तहत ग्राम स्तर पर गौठानों का गठन किया गया है जिसमें दिन में पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई हैं और पशुओं के चारा उत्पादन एवं ग्रामीण आजीवका से  संबंधित विभिन्न योजना चलाये जा रहे है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने से, जैविक खेती को बढ़ावा, ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर रोजगार के नए अवसर, गौ-पालन एवं गौ-सुरक्षा को प्रोत्साहन के साथ-साथ पशु पालकों एवं स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से स्वालंबी बनाया जा रहा है। इस संबंध में आवश्यक है कि संचालक, अनुसंधान सेवायें, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के द्वारा प्रेषित टीप को अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए जिससे कृषक बंधु गोबर खाद एवं केंचुआ खाद का उपयोग करके रासायनिक उर्वरकों में अपनी निर्भरता को भी कम कर सके। छत्तीसगढ़ की प्रमुख रबी फसलों में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन केंचुआ / गोबर खाद के साथ रासायनिक

फसल बीमा- किसान रबी फसलों का बीमा 15 दिसम्बर तक करा सकेंगे

  फसल बीमा: किसान रबी फसलों का बीमा 15 दिसम्बर तक करा सकेंगे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रबी 2020-21 के तहत रबी फसलों को प्रतिकूल मौसम जैसे - सूखा, बाढ़, कीट व्याधि, ओलावृष्टि, प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान से बचने के लिए कृषकगण 15 दिसम्बर 2020 तक बीमा करा सकते है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत ऋणी एवं अऋणी किसान जो भू-धारक व बटाईदार हो सम्मिलित हो सकते हैं।  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत ऋणी किसान ऐच्छिक आधार पर फसल बीमा करा सकते हैं। किसान को निर्धारित प्रपत्र में हस्ताक्षरित घोषणा पत्र बीमा की अंतिम तिथि 15 दिसम्बर 2020 के 7 दिवस पूर्व संबंधित बैंक में अनिवार्य रूप से जमा करना होगा। किसान द्वारा निर्धारित प्रपत्र में घोषणा पत्र जमा नहीं करने पर संबंधित बैंक द्वारा संबंधित मौसम के लिए स्वीकृत अथवा नवीनीकृत की गई अल्पकालीन कृषि ऋण का अनिवार्य रूप से बीमा किया जाना है। अधिसूचित फसल उगाने वाले सभी गैर ऋणी किसान, जो योजना में सम्मिलित होने के इच्छुक हो। वे बुआई पुष्टि प्रमाण पत्र क्षेत्रीय पटवारी या ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा सत्यापित कराकर एवं अन्य दस्तावेज प्र

कृषि:-सरसों की खेती करने की है तैयारी तो इन किस्मों के बारे में भी रखे जानकारी।

  सरसों की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं पूसा बोल्ड यह किस्म 130 से 135 दिन में पक्का तैयार हो जाती है | इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है | वर्ष 1985 में अधिसूचित,सिंचित एवं बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म, पौधे मध्यम कद के, पत्तियां मध्यम आकार की व मध्यम हरी होती हैं। फलियां मोटी व हरी होती हैं जो पकने पर सुनहरी भूरे रंग की हो जाती है। शाखाएं फलियों से लदी हुई होती है। इसके दाने मोटे होते हैं जिनमें तेल की मात्रा 42 प्रतिशत तक होती है। पूसा जय किसान [बायो-902]   130 से 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है | यह किस्म वर्ष 1994 में अधिसूचित, सिंचित एवं बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त  किस्म, सफेद रोली, विल्ट व तुलासित रोगों का प्रकोप अन्य किस्मों की अपेक्षा कम होता है। किस्म टिश्यू कल्चर द्वारा टी-59 से विकसित की गई है। यह रोग रोधी है। दानों में तेल की मात्रा 38-39 प्रतिशत तक होती है। इसके तेल में  इरूसिक एसिड व लिनोलिक एसिड की मात्रा कम होने के कारण तेल से असंतृप्त-वसीय अम्ल कम होती ह

औषधि:-आइए जाने हींग के औषधीय गुणों के बारे में।

  औषधि:- आइए जाने हींग के औषधीय गुणों के  बारे में। हींग की कई प्रजातियाँ होती हैं। हींग का पौधा (Heeng Plant/Tree) 1.5-2.4 मीटर ऊँचा, सुंगधित होता है। यह कई वर्षों तक हरा-भरा रहता है। इसका तना कोमल होता है। तने में ढेर सारी डालियां होती हैं। इसके तने और जड़ में चीरा लगाकर राल या गोंद प्राप्त किया जाता है, जिसे हींग कहते है। हींग के तने और जड़ के कटे हुए भाग से रस निकलता रहता है। इसे जमा कर लिया जाता है। कुछ समय बाद इस भाग को थोड़ा और काट दिया जाता है। इससे निचले भाग से रस झड़ने लगता है। इसे भी जमा किया जाता है। पहली बार काटने के तीन महीने बाद, दूसरी बार चीरा लगाया जाता है। इसकी जड़ गोंद तथा गन्धयुक्त होती है। इसके गोंद को मार्च से अगस्त के महीने में निकाला जाता है। शुद्ध हींग सफेद, स्फटिक के आकार का, 5 मि.मी. व्यास के गोल या चपटे टुकड़ों में होती है। हींग निकालने के लिए इसका चार वर्ष पुराना पौधा (heeng plant) श्रेष्ठ माना जाता है। इसे पीस कर पाउडर बनाया जाता है। यहां हींग से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Hing/Asfoetida Powder in hindi) में लिखा गया है ताकि आप हीं

कृषि विभाग-मुख्यमंत्री ने छुरिया विकासखंड के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री सुदेश कुमार पटेल को 'द प्रोग्रेस ग्लोबल अवार्ड से किया सम्मानित :

  कृषि विभाग - मुख्यमंत्री ने छुरिया विकासखंड के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री सुदेश कुमार पटेल को 'द प्रोग्रेस ग्लोबल अवार्ड से किया सम्मानित  सामाजिक एवं सामुदायिक श्रेणी में बेहतरीन कार्य करने के लिए मिला अवार्ड: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर में आयोजित द प्रोग्रेस ग्लोबल अवार्ड समारोह में कृषि विभाग राजनांदगांव के छुरिया विकासखंड के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री सुदेश कुमार पटेल को सामाजिक एवं सामुदायिक श्रेणी में बेहतरीन कार्य करने के लिए 'द प्रोग्रेस ग्लोबल अवार्ड' से सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि श्री पटेल ने कृषि क्षेत्र से जुड़कर अपने ज्ञान एवं कार्यों से सामाजिक परिवर्तन लाने में योगदान दिया।   उन्होंने गौठान में नर्सरी प्रबंधन, वर्मी बीज उत्पादन, वर्मी खाद को छानने के लिए नई तकनीक के छन्नी का निर्माण किया है। तकनीक प्रचारक हम कृषकों तक तकनीक पहुंचाते हैं