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Showing posts from 2023

किसान सुविधा:- खरीदी 2023-धान पंजीयन में धान का बिक्री हेतु पंजीकृत रकबा, धान बिक्री का पैसा, टोकन प्राप्ति की स्थिति इत्यादि अपने मोबाईल से ऐसे चेक करें।

किसान सुविधा:- धान पंजीयन में धान का बिक्री हेतु पंजीकृत रकबा,धान बिक्री का पैसा, टोकन प्राप्ति की स्थिति इत्यादि अपने मोबाईल से ऐसे चेक करें। आगामी खरीफ विपणन वर्ष 2023-2024 में 20 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी का निर्णय लिया गया है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी एक नवंबर-2023 से धान खरीदी बैंक लिंकिंग व्यवस्था के तहत शुरू होगी और 31 जनवरी 2024 तक चलेगी। इसी तरह मक्का खरीदी भी एक नवंबर 2023 से ही शुरू होगी और 28 फरवरी 2024 तक चलेगी। इस वर्ष आंकड़ों की माने तो किसानों से 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का अनुमानित लक्ष्य रखा गया है। छत्तीसगढ़ राज्य में 1 नवंबर 2023 से धान खरीदी का कार्य शुरू हो रही है, जिसकी तैयारी की जा रही है। वर्तमान में किसानों का धान बिक्री हेतु नया पंजीयन, रकबा संसोधन, कैरीफॉरवर्ड, नॉमिनी फॉर्म जमा एवं धान के बदले अन्य फसल जो लगाएं हैं, उनका पंजीयन सहकारी समिति द्वारा किया जा रहा है। किसी भी तरह की फर्जी खरीदी रोकने के लिए इस साल आधार नंबर बायोमेट्रिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसमें धान बेचने के लिए किसानों को स्वयं अथवा उनके द्वारा नामित व्यक्ति धान बेचते समय अ

पपीता की व्यावसायिक खेती से प्रति हेक्टेयर होगी 10 लाख की आमदनी

पपीता की व्यावसायिक खेती से प्रति हेक्टेयर होगी 10 लाख की  आमदनी! #आवाज_एक_पहल  भारत में पपीता अब से लगभग 300वर्ष पूर्व में आया था। आरंभ में हम भारतवासियों ने इसे कतई भी पसंद नहीं किया। समय बीतने के पश्चात इसके क्वालिटी में सुधार हुआ और तब हमारे जायकों में इसको जगह मिलने लगी। शीघ्र फलनेवाले फलों में पपीता अत्यंत उत्तम फल है। पेड़ लगाने के बाद वर्ष भर के अंदर ही यह फल देने लगता है। इसके पेड़ सुगमता से उगाए जा सकते हैं और थोड़े से क्षेत्र में फल के अन्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक पेड़ लगते हैं। इसके पेड़ कोमल होते हैं और पाले से मर जाते हैं। ऐसे स्थानों में जहाँ शीतकाल में पाला पड़ता हो, इसको नहीं लगाना चाहिए। यहाँ उपजाऊ, दुमट भूमि में अच्छा फलता है। ऐसे स्थानों में जहाँ पानी भरता हो, पपीता नहीं बढ़ता। पेड़ के तने के पास यदि पानी भरता है तो इसका तना गलने लगता है। पपीते के खेत में पानी का निकास अच्छा होना चाहिए।  पपीते के पेड़ों में नर एवं मादा पेड़ अलग होते हैं। नर पेड़ों में केवल लंबे-लंबे फूल आते हैं। इनमें फल नहीं लगते। जब पेड़ फलने लगते हैं तो केवल १० प्रतिशत नर पेड़ों को छोड़कर अन्य सब

ग्लास_जैम_कॉर्न-ऐसे रंगीन भुट्टे आपने शायद ही देखे होंगे।

#ग्लास_जैम_कॉर्न🌽 ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ आपने जब इन तस्वीरों को देखा होगा तो पहली नजर में आपको भी ये भुट्टे बनावटी लग रहे होंगे। लगे भी क्यों न! दरअसल हम लोगों ने तो हमारे #छत्तीसगढ़ में अभी तक सिर्फ पीले रंग के ही भुट्टे देखे हैं। पर जनाब आपको जानकर हैरानी होगी कि रंगीन भुट्टे की भी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। और इसका नाम है #ग्लास_जैम_कॉर्न ।🌽 मैं जानता हूँ कि कई लोग इसका नाम जानकर गूगल पर जरूर सर्च करेंगे। इसके बारे में और जानकारी प्राप्त करने के लिए आवश्यक भी है। दरअसल ये #भुट्टे 🌽अमेरिका में विकसित किए गए हैं और वहाँ के किसान इसका भारी मात्रा में उत्पादन व बिक्री करते हैं। दुनिया के बाकी हिस्से के लोगों के लिए आज भी यह रंगीन भुट्टा कल्पना से परे है। हालाँकि अमेरिका के अलावा भी अब कुछ देशों के किसान शौकिया तौर पर इसकी खेती कर रहे हैं। हजारों सालों से अमेरिका के लोगों ने मक्के को अपनी जीवनशैली में शामिल किया है, इसलिए शायद यहाँ भुट्टे के अलग-अलग रूप को विकसित करने का काम चलता रहता है। फिलहाल अमेरिका में पाए जाने वाले ये भुट्टे आज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है। ⭕यदि इ

सावधान:-4-5 सालों से हो रही है धान की बाली बदरंग (बदरा) जाने कारण व निवारण

सावधान:-4-5 सालों से हो रही है धान की बाली बदरंग (बदरा) जाने कारण व निवारण प्रायः देखा जाता है कि सितम्बर -अक्टूबर माह में जब धान की बालियां निकलती है तब धान की बालियां बदरंग हो जाती है। जिसे छत्तीसगढ़ में 'बदरा' हो जाना कहते है इसकी समस्या आती है।  धान की फसल पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं, खुली आंखों से नजर नहीं आने वाले दुश्मन पिछले 4-5 सालों से घातक साबित हो रहे हैं और किसानों के मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। मकड़ी और बैक्टीरिया धान की फसल को बर्बाद कर नुकसान पहुंचा रहा है। इससे धान की जो फसल नष्ट हो जाती है, उसे तो बचाया नहीं जा सकता, किन्तु समय रहते इसकी पहचान हो जाती है तो फसलों को उपचारित कर बचाया जा सकता है। वहीं सभी किसानों को भी अलर्ट रहना होगा, क्योंकि छत्तीसगढ़ की पहचान धान है और ये कीट व्याधि छिपकर इसी पहचान पर हमला कर रहे है। अनुविभागीय कृषि अधिकारी जिला गरियाबन्द श्री रमेश निषाद ने बताया कि यह दो कारणो से होता है। 1.पेनिकल माइट एक सूक्ष्म अष्टपादी जीव पेनिकल माइट के कारण होता है।   2. बैक्टीरिया (बैक्टीरियल पेनिकल ब्लाइट) धान की लीकशीय और बालियों पर मकड़ी के खरोच से

धान खरीदी :-अब बायोमेट्रिक आधारित होगी धान खरीदी, किसानों को समिति में पंजीयन कराना है अनिवार्य

धान खरीदी:-अब बायोमेट्रिक आधारित होगी धान खरीदी, समिति में पंजीयन अनिवार्य विपणन वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में पारदर्शिता लाने के लिए बायोमेट्रिक आधारित खरीदी प्रणाली लागू की गई है। जिसमें किसान अपना बायोमेट्रिक आधार (अंगूठा लगाकर) धान विक्रय कर सकते है। नवीन पंजीयन एवं पंजीयन में संशोधन हेतु अंतिम तिथि 31 अक्टूबर तक निर्धारित किया गया है। कृषकगण अपना पंजीयन कार्य निर्धारित तिथि के पूर्व अपने संबंधित समिति में जाकर पूर्ण करा लेवें, जिससे धान, मक्का, मूंग, उड़द, अरहर, कोदो, कुटकी, रागी, के समर्थन मूल्य में विक्रय तथा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के लाभ प्राप्त करने में किसी प्रकार का कोई भी समस्या उत्पन्न न हो। उप संचालक कृषि ने बताया कि किसानों को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान कोई असुविधा न हो इसके लिए उनके परिवार या रिश्तेदारों को नामिनी बनाने की सुविधा प्रदान की गई है। जिसके आधार पर स्वतः उपस्थित होकर या उनके नामिनी के द्वारा धान का विक्रय किया जा सकेगा। नामिनी के रूप में किसान अपने परिवार के नामित सदस्य माता, पिता, पति पत्नि, पुत्र, पुत्री,

सफेद मूसली: हजार रुपए प्रति किलो बिकने वाले सफेद मूसली की एक हेक्टेयर खेती से होती है दस लाख की आमदनी!

भारत प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक धरोहर के साथ जड़ी-बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। यहां विभिन्न औषधीय पौधे पाए जाते हैं। इसी लिये यहां विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों जैसे, आयुर्वेद, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा आदि प्राचीन काल से ही न केवल चलन में हैं बल्कि विज्ञान और तकनीक के विकास के बाद भी इनकी प्राथमिकता कम नहीं हुई है। सफेद मूसली भी ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है, जो शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिये काफी मशहूर है। आयुर्वेद में इसे 100 से भी अधिक दवाइयां बनाई जाती है।  सफेद मूसली एक कंदयुक्त पौधा होता है. जिसकी ऊंचाई अधिकतम डेढ़ फुट तक होती है. इसके भीतर सफेद छोटे फूल मौजूद होते है. यह बहुत सी बीमारियों के इलाज में काफी सहायक होती है. वैसे तो देश में सफेद मूसली की कई तरह की प्रजातियां पाई जाती है परंतु व्यावसायिक रूप से कोलोरफाइटम बोरिभिलियम व्यवसाय के लिए यह काफी फायेदमंद होती है. सफेद मूसली की कई तरह की प्रजातियां हमारे यहां पाई जाती है जैसे कि क्लोरोफाइटम, अरून्डीशियम, क्लोरोफाइटम, एटेनुएम, लक्ष्म और वोरिविलिएनम आदि है. इनमें से कई प्रजातियां झारखंड के साल के जंगलों में पाई जाती है. कई तरह क

विभिन्न फसल में खरपतवार नाशी

रासायनिक विधि ख तवारनाशी रसायन द्वारा भी खरपतवारों को सफलता पूर्वक नियंत्रित किया जा सकता है। इससे प्रति हेक्टेयर लागत कम आती है तथा समय की भी बचत होती है। लेकिन इन रसायनों का प्रयोग करते समय सावधानी बरतनी पड़ती है। खरपतवार नियंत्रण में खरपतवारनाशी रसायनों के उपयोग में एक और विशेष लाभ है। हाथ निंदाई या डोरा चलाकर निंदाई, फसल की कुछ बाढ़ हो जाने पर की जाती है, और इन शस्य क्रियाओं में नीदा जड़ मूल से समाप्त होने के बजाय, उपर से टूट जाते हैं, जो बाद में फिर बाढ़ पकड़ लेते हैं। खरपतवारनाशी रसायनों में यह स्थिति नहीं बनती क्योंकि यह फसल बोने के पूर्व या बुवाई के बाद उपयोग किये जाते हैं। जिससे खरपतवार अंकुरण अवस्था में ही समाप्त हो जाते हैं अथवा बाद में नीदा रसायन के प्रभाव से पूर्णतया नष्ट हो जाते हैं। खरपतवारनाशी रसायनों का विस्तृत विवरण (सारणी में दिया गया है। स फसल खरपतवारनाशी मात्रा (ग्राम/हें.) व्यापारिक मात्रा (ग्राम/हें.) प्रयोग का समय प्रयोग की विधि रसायनिक नाम व्यवसायिक नाम धान ब्यूटाकलोर मौचिटी, बीडकिल, टीअर, धानुक्लोर, विलक्लोर, ट्रेप इत्यादि 1000-1500 2000-3000 20-25 किग्रा. (5