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Showing posts from March, 2022

कैप्सूल कल्चर-5 रुपए का कैप्सूल खेत में ही पराली को बनाएगा जैविक खाद, घोल बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान

5 रुपए का कैप्सूल खेत में ही पराली को बनाएगा जैविक खाद, घोल बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान। हर साल सर्दियों में पंजाब और हरियाणा में जलाई जाने वाली पराली से दिल्लीे-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या खड़ी हो जाती है. इस कारण लोगों का सांस लेना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में मौसम विभाग और डॉक्टोरों को वायु प्रदूषण से बचने के लिए एडवाइजरी जारी करनी पड़ती है। अब इस समस्‍या से छुटकारा दिलाने के लिए इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Indian Agricultural Research Institute) ने एक ऐसा कैप्सूल (Capsule) बनाया है, जो कि पराली जलाने के झंझट को ही खत्म कर सकता है. खास बात यह है कि इस कैप्सूल के इस्‍तेमाल से पराली को जैविक खाद (Compost) में बदला जा सकता है. वैज्ञानिकों ने 15 साल में बनाया कैप्‍सूल यह कैप्सूल पराली को जैविक खाद में बदला सकता है. यह सबसे आसान और सस्ता तरीका है. अगर किसान को 1 एकड़ जमीन में लगी पराली को जैविक खाद में बदलना है, तो इसमें सिर्फ 4 कैप्सूल की जरूरत पड़ेगी. यानी किसान सिर्फ 20 रुपए में 1 एकड़ कृषि भूमि (Agri Land) में खड़ी पराली को आसानी जैविक खाद में बदल सकता है...

बैंगन में फली छेदक और झुलसा की अचूक दवा*

* 🍆 बैंगन में फली छेदक और झुलसा की अचूक दवा * 🍆 बैंगन की खेती करने वाले किसान अक्सर कीट-रोगों से परेशान रहते हैं। 🐛 खासकर फली छेदक और झुलसा रोग से किसानों को काफी नुकसान होता है जिससे 🍆 बैंगन की पूरी फसल खराब हो जाती है। आज की ▶️ वीडियो में हम जानेंगे बैंगन की फसल से कैसे करें कीट-रोगों का प्रबंधन- 🍆 बैंगन की फसल को फली छेदक और झुलसा रोग से बचाने के लिए कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें- 🟢 एमेमेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी @ 0.5 ग्राम प्रति लीटर 🟠 फ्लुबेंडियामाइड (फेम) @ 0.5 मिली प्रति लीटर 🟣 फिप्रोनिल (रीजेंट) @ 0.4 मिली प्रति लीटर 🟢 क्लोरॅन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 का छिडकावं   एससी (कोराजन) @ 0.4 मिली प्रति लीटर 🔴 सुपर डी 30 मिली / 15 लीटर पानी (क्लोरपाइरीफोस 50% और साइपरमेथ्रिन 5% डब्लयू / डब्लूयएल) 🟠 प्रोरिन 30 मिली / 15 लीटर पानी (प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी) 🟢 6 मिली / 15 लीटर पानी (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी) 🟣 एम्प्लिगो 8 मिली / 15 लीटर पानी ((क्लोरेंट्रानिलिप्रोल (10%) + लैम्बडासिहलोथ्रिन (5%) जेडसी-) 🟠 डेसिस 100 - 20 मिली / 15 लीटर पान...

टमाटर के कीट/रोगों से मिलेगा अब छुटकारा

* 🍅इस स्प्रे से होगी टमाटर में रोगों की छुट्टी * 🍅 टमाटर की उपलब्धता भारतीय बाजार में 12 महीने रहती है। 🌦️ आप इसे किसी भी मौसम में खरीद सकते हैं। यही वजह है कि टमाटर भारतीय किसानों की पसंदीदा फसल है। 🐛 लेकिन इसमें लगने वाले रोगों से ज्यादातर किसान परेशान रहते हैं। आज की ▶️ वीडियो में हम जानेंगे टमाटर की फसल से रोगों को कैसे भगाएं। ▶️ वीडियो देखने के लिए ऐप अपडेट करें। 🍅 टमाटर में लगने वाले रोग/कीट- अभी टमाटर की फसल 30- 60 दिन की अवस्था में हैं। ऐसे में टमाटर में लगने वाले प्रमुख कीट- हरा तेला, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट एवं तम्बाकू की इल्ली एवं प्रमुख रोग- अगेती झुलसा और पछेती झुलसा , फल सड़न का प्रकोप होता हैं। इनके नियंत्रण के लिए किसान भाई कई तरह की दवाओं का प्रयोग करते हैं। सात ही बहुत से किसान भाई सही दवा का चयन नहीं कर पाते है। 👉 सभी कीटों के लिए - थायमेथोक्साम 12.6%+ लैम्ब्डा सायहलोथ्रिन 9.5% यह एक दोहरी प्रणाली वाली कीटनाशक हैं। ये टमाटर के सभी कीटों को नियंत्रित करता हैं। इसकी 8 मिली मात्रा प्रति पम्प उपयोग करते हैं। साथ में रोग नियंत्रण के लिए क्लोरोथालोनिल 75%, 400...

PM किसान:- अप्रैल माह में आने वाली है PM किसान की अगली किस्त, 31 मार्च से पहले कराना होगा e-KYC

PM किसान:- अप्रैल माह में आने वाली है PM किसान की अगली किस्त 31 मार्च से पहले कराना होगा e-KYC प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनान्तर्गत पंजीकृत भू-धारक कृषकों को तीन किस्तो में रू. 6000/- प्रति वर्ष सहायता राशि प्रदान की जाती है। भारत सरकार द्वारा सही हितग्राही को लाभ पहुचाने के लिए e-KYC अनिवार्य किया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 के प्रथम किस्त अप्रैल माह में दिया जाना हैं। योजना का लाभ लेने के लिए PMKisan में पंजीकृत कृषक सी.एस.सी मे जाकर अथवा स्वयं सीधे पोर्टल मे अथवा क्षेत्रीय कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते है। भारत सरकार द्वारा e-KYC के लिए सी.एस.सी. हेतु राशि15 रूपये प्रति किसान शुल्क निर्धारित की गई है। अतः किसान भाईयों से अपील की जाती है कि 31 मार्च 2022 तक अनिवार्यतः e-KYC करवा ले, ताकि सहायता राशि समय पर मिल सके। e-KYC संबंधित समस्या के समाधान के लिए अपने क्षेत्रीय कृषि अधिकारी एवं विकासखण्ड कार्यालय में संपर्क कर सकते है। किसान किस तरह स्वयं कर सकते है e-KYC जानने के लिए ये वीडियो अवश्य देखे। 👇 e-KYC संबंधित समस्या के समाधान के लिए अपने क्षेत्रीय कृषि अधिकारी एव...

जैविक खेती:- सरसों खली या मस्टर्ड केक के फायदे, जो फसल को बनाए बेहतर

    जैविक खेती:- सरसों खली या मस्टर्ड केक के फायदे, जो आपकी फसल को बनाए बेहतर। पौधों के विकास और मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए पर्यावरण के अनुकूल जैविक उर्वरक के रूप में मस्टर्ड केक का उपयोग करना बेहद लाभकारी होता है। एनपीके (NPK) का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत होने के कारण मस्टर्ड केक को गार्डनिंग के अलावा डेयरी उद्योग में भी उपयोग किया जाता है। मस्टर्ड केक प्रोटीन, अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट और टैनिन का एक अच्छा स्रोत है। इसके अलावा अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ यह अच्छा फ़र्टिलाइज़र और कीटनाशक भी है। सरसों की खली को पौधों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए एक अच्छा जैविक उर्वरक माना जाता है। मस्टर्ड केक क्या है? आर्गेनिक गार्डनिंग के लिए सरसों की खली का उपयोग कब और कैसे करना है? सरसों की खली का NPK कितना होता है? के साथ साथ सरसों खली को उपयोग करने के तरीके और पौधों के लिए इसके फायदे के बारे में जाननें के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें। मस्टर्ड केक क्या है? सरसों के बीज से तेल निकालने के बाद बचा हुआ ठोस अवशेष मस्टर्ड केक या सरस...

मूंगफली की उन्नत खेती

मूंगफली की उन्नत खेती  मूंगफली भारत की मुखय महत्त्वपूर्ण तिलहनी फसल है। यह गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू तथा कर्नाटक राज्यों में सबसे अधिक उगाई जाती है। अन्य राज्य जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब में भी यह काफी महत्त्वपूर्ण फसल मानी जाने लगी है। राजस्थान में इसकी खेती लगभग 3.47 लाख हैक्टर क्षेत्र में की जाती है जिससे लगभग 6.81 लाख टन उत्पादन होता है। इसकी औसत उपज 1963 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर (2010-11) है । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्‌ के अधीनस्थ अनुसंधानों संस्थानों, एवं कृषि विश्वविद्यालयों ने मूंगफली की उन्नत तकनीकियां, रोग नियंत्रण, निराई-गुड़ाई एवं  खरपतवार नियंत्रण  आदि विकसित की हैं जिनका विवरण नीचे दिया गया हैं। भूमि एवं उसकी तैयारी मूंगफली की खेती के लिये अच्छे जल निकास वाली, भुरभुरी दोमट व बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम रहती है। मिट्टी पलटने वाले हल तथा बाद में कल्टीवेटर से दो जुताई करके खेत को पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए।जमीन में दीमक व विभिन्न प्रकार के कीड़ों से फसल के बचाव हेतु क्विनलफोस 1.5 प्रतिशत 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर से अंतिम जुताई के ...
मूंग की उन्नत तकनीक छत्तीसगढ़ में मूंग ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम की कम समय में पकने वाली एक दलहनी फसल है। इसके दाने का प्रयोग मुख्य रूप से दाल के लिये किया जाता हैजिसमें 24-26% प्रोटीन,55-60% कार्बोहाइड्रेट एवं 1.3%वसा होता है। दलहनी फसल होने के कारण इसकी जड़ो में गठाने पाई जाती है जो कि वायुमण्डलीय नत्रजन का मृदा में स्थिरीकरण (38-40 कि.ग्रा. नत्रजन प्रति हैक्टयर) एवं फसल की खेत से कटाई उपरांत जड़ो एवं पत्तियो के रूप में प्रति हैक्टयर 1.5टन जैविक पदार्थ भूमि में छोड़ा जाता है जिससे भूमि में जैविक कार्बन का अनुरक्षण होता है एवंमृदा की उर्वराशक्ति बढाती है।  कृषक भाई उन्नत प्रजातियो एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक को अपनाकर पैदावार को 8-10 क्विंटल प्रति हैक्टयर तक प्राप्त कर सकते है। जलवायु- मूंग के लिए नम एंव गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती वर्षा ऋतु में की जा सकती है। इसकी वृद्धि एवं विकास के लिए 25-32 °C ता पमान अनुकूल पाया गया हैं। मूंग के लिए 75-90 से.मी.वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रउपयुक्त पाये गये है। पकने के समय साफ मौसम तथा 60% आर्दता होना चाहिये। पकाव के समय अधिक वर्षा हान...