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Showing posts from February, 2023

आम के फल मटर के दाने एवं लीची के लौंग के बराबर के हो तब बागवान क्या करें ?

आम के फल मटर के दाने  एवं लीची के लौंग के बराबर के हो तब बागवान क्या  करें ? आम को फलों का राजा एवं लीची को फलों की रानी कहा जाता है । लीची पर हम बिहारवासियों को गर्व होता है।इसे हम प्राइड ऑफ बिहार भी कहते है। दरभंगा बिहार को आम की राजधानी कहा जाता है। इन दोनों फलों से अधिकतम लाभ लेने के लिए आवश्यक है की फल के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन किया जाय। आम एवं लीची में फल लग जाने के बाद यदि बाग का वैज्ञानिक ढंग से यदि प्रबंधन नही  किया गया तो आशातीत लाभ नहीं प्राप्त होता है।  जब आम के फल मटर के बराबर एवं लीची के फल लौंग के आकार   के हो जाय तबसे बाग में हल्की-हल्की सिंचाई करके मिट्टी को हमेशा नम बनाये रखना चाहिए, इससे फल की बढवार अच्छी होती है। पेड़ के आस पास जलजमाव न होने दे।बाग को साफ सुथरा रखना चाहिए। इसके पहले सिंचाई करने से फल झड़ने की संभावना ज्यादा रहती हैं। प्लानोफिक्स@1मिली /4लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।  जब आसमान में बादल रहेंगे तब पाउड़ेरी मिल्डेव (चूर्डिल आसिता) रोग होने की संभानाएं ज्यादा रहती है इसके बचाव के लिए आवश्यक है कि तरल सल्फर कवकनाशक दवा@

क्या आप जानती हैं पौधों के लिए भी लाभकारी है हल्दी ??

  क्या आप जानती हैं पौधों के लिए भी लाभकारी है हल्दी ??? वैसे तो हल्दी का इस्तेमाल कई तरह की आयुर्वेदिक औषधियों के रूप में या फिर किचन के मसालों के रूप में होता है। लेकिन जब हम अपने किचन गार्डन की बात करते हैं तब भी हल्दी बहुत ज्यादा उपयोगी साबित होती है। आइए जानें किस तरह से हल्दी हमारे पौधों के लिए लाभकारी है।  पौधों की ग्रोथ के लिए  आमतौर पर हल्दी का इस्तेमाल मसालों के रूप में किया जाता है लेकिन हमारे पौधों की ग्रोथके लिए भी हल्दी बहुत ज्यादा लाभदायक है। यदि आपके पौधों की मिट्टी सूख रही है तो पौधों की मिट्टी में हल्दी का पाउडर मिला देने से मिट्टी उपजाऊ होने लगती है। इससे पौधे बहुत  तेजी से बढ़ने लगते हैं। खासतौर पर मनीप्लांट का पौधा बहुत तेजी से बढ़ता है। इसके अलावा कुछ सब्जियों के पौधे जैसे भिंडी और बैगन के पौधे की मिट्टी में भी हल्दी का पाउडर मिला देने से ये बहुत तेजी से बढ़ने लगते हैं।   कीटनाशक की तरह  हल्दी, पौधों के लिए एक कीटनाशक की तरह भी काम करती है। अगर आपके पौधों में या फिर आपके पौधे की मिट्टी में कीड़े लग गए हों तब हल्दी का पाउडर मिट्टी में मिला देने से यह कीटनाशक की तरह का

काली हल्दी : इस दुर्लभ हल्दी में औषधीय गुणों का भंडार होता है!

काली हल्दी : इस दुर्लभ हल्दी में औषधीय गुणों का भंडार होता है! वर्षों से आदिवासी समाज के लोग काली हल्दी के लाभकारी गुणों से अवगत रहे हैं। उनके खानपान रीति रिवाज और यहां तक की अंधविश्वास और वशीकरण के रस्मों में भी इसका उपयोग करते आए हैं। निश्चित तौर पर काली हल्दी हमारे लिए सामान्य पीली हल्दी के अपेक्षा ज्यादा गुणकारी है। वैज्ञानिक शोधों से इस बात को बल मिला है की ल्यूकोडरमा, मिर्गी, कैंसर, एचआईवी जैसी बीमारियों की प्रतिरोधी क्षमता इस मसाले में उपलब्ध है।  काली हल्दी दिखने में अंदर से हल्के काले रंग की होती है।  इसका पौधा केली के समान होता है। आदिवासी समुदायों के द्वारा इसका उपयोग निमोनिया, खांसी और ठंड के उपचार के लिए किया जाता है। बच्चों और वयस्कों में बुखार और अस्थमा के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इसके राइजोम का पाउडर फेस पैक के रूप में किया जाता है। इसके ताजे राइजोम को माथे पर पेस्ट के रूप में लगाते है।  जो माइग्रेन से राहते के लिए या मस्तिष्क और घावों पर शरीर के लिए किया जाता है। सांप और बिच्छू के काटने पर इसके राइजोम का पेस्ट लगाया जाता है। ल्यूकोडार्मा, मिर्गी, कैंसर, और एच आई वी

कृषि विभाग:- रबी फसल के प्रदर्शनों का निरीक्षण करने पहुंचे उप संचालक कृषि।

कृषि विभाग :-  रबी फसल के प्रदर्शनों का निरीक्षण करने पहुंचे उप संचालक कृषि।  फिंगेश्वर अंचल जो कि धान की खेती के लिए जाना जाता है वहां के किसान अब दलहन तिलहन की फसलों की खेती कर रहे है। गौरतलब है कि छ.ग. शासन कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल चक्र अपनाने एवं ग्रीष्म कालीन धान के बदले दलहन -तिलहन हेतु प्रेरित किया जा रहा है जिससे अंचल में रबी फसल में दलहन तिलहन व मक्का फसल के रकबे का विस्तार होगा। जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। विभिन्न योजनाओं में लगे फसल प्रदर्शन का निरीक्षण करने श्री संदीप भोई उप संचालक कृषि जिला गरियाबंद आज विकासखण्ड फिंगेश्वर पहुंचे। श्री संदीप भोई उप संचालक कृषि जिला गरियाबंद  ने बताया कि एग्रीकल्चर कॉलेज सीहोर ने चने की दो नई वैरायटी आरवीजी 202 (90-120 दिन) और 203 (90-125 दिन) इजात की है। यह दोनों ही किस्म नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में बो सकते हैं। आर वी जी 202 एक अच्छी उपज देने वाली किस्म है जिसका वितरण राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन योजनान्तर्गत फिंगेश्वर विकासखण्ड में किया गया है।  नगर पंचायत फिंगेश्वर में आर वी जी -202 किस्म के चने क

मिलेट्स:-बैगा आदिवासी महिला लहरीबाई की जिद और जुनून की कहानी है। गायब हो रही विभिन्न लघु धान्य फसलों को बचाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया।

मिलेट्स:- बैगा आदिवासी महिला लहरीबाई की जिद और जुनून की कहानी, गायब हो रही विभिन्न लघु धान्य फसलों को बचाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया। पौध प्रजातियों के संरक्षण के लिए किसान अवार्ड के लिए निर्माण सामुदायिक बीज बैंक की संचालिका लहरी बाई बैगा का चयन। पौध प्रजातियों का संरक्षण और किसान अधिकार अथारिटी नई दिल्ली में लहरी बाई को सम्मानित किया जाएगा। ये कहानी है मध्यप्रदेश के डिडोंरी जिले में बियाबान जंगलों के बीच सिलपिड़ी गांव में रहने वाली बैगा आदिवासी महिला लहरी बाई की ज़िद और जुनून की।उसने विलुप्त हो रहे मिलेट क्राप्स (मोटा अनाज) को संरक्षित करने के लिये अपना सबकुछ समर्पण कर दिया. कभी स्कूल की दहलीज़ पर कदम तक न रखने वाली लहरी बाई अपने कच्चे घर में बीज बैंक बना लिया है। अब उनकी इतनी ख्याति है कि यूएनओ यानि संयुक्त राष्ट्र संघ तक उनका नाम पहुंच चुका है। कलेक्टर खुद ही लहरी बाई की ब्रांडिंग कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभागार समेत अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर लहरी बाई के बड़े बड़े पोस्टर लगाये गए हैं। लहरी बाई न सिर्फ अपने गांव बल्कि आसपास के दर्जनों गाँवों में घूम घूम