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Showing posts from June, 2021

संयुक्त संचालक कृषि रायपुर का जिला बलौदा बाजार में उर्वरक भंडारण एवं विक्रय के लिए औचक निरीक्षण-

  संयुक्त संचालक कृषि रायपुर का जिला बलौदा बाजार में उर्वरक भंडारण एवं विक्रय के लिए औचक निरीक्षण- संभागीय संयुक्त संचालक कृषि रायपुर श्री गयाराम जी के द्वारा अपनी तकनीकी टीम के साथ आज दिनांक 29.06.2021 को जिला बलौदा बाजार में उर्वरक के विक्रय भंडारण के संबंध में भ्रमण एवं निरीक्षण किया गया।  सर्वप्रथम टीम ने प्राथमिक कृषि साख समिति पलारी में निरीक्षण किया एवं समिति प्रबंधक को उर्वरक विक्रय एवं पीओएस मशीन में अंतर पाने पर 2 दिन के भीतर मिलान करने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया गया। तत्पश्चात भी सुधार नहीं होने की स्थिति में समिति का लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पलारी को दिया गया है तत्पश्चात डबल लॉक पलारी का भी निरीक्षण किया गया जहां पर समिति प्रबंधक द्वारा एनएफएल से प्राप्त यूरिया का वाईआर नहीं जारी होने के कारण आर ओ पेंडिंग है जिसे शीघ्र ही मिलान कर अद्यतन करने हेतु निर्देशित किया गया साथ ही  समितियों के द्वारा एक्नॉलेजमेंट प्राप्ति उपरांत पीओएस मशीन में एंट्री नहीं होने पर उर्वरक की मात्रा निरंक नहीं हो रहा है जिसके लिए त्वरित कार्यवाही...

समसामयिक सलाह:- कृषि उपयोगी कुछ जरूरी समसामयिक सलाह

  समसामयिक सलाह:- कृषि उपयोगी कुछ जरूरी समसामयिक सलाह 🌾 धान की नर्सरी सुगंधित प्रजातियों की नर्सरी तैयार करें। ⭕यदि मई के अंतिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं डाली हो तो जून में इस कार्य को पूरा कर लें।  ⭕इसके अलावा सुगंधित प्रजातियों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह में डालें।  ⭕धान की मध्यम व देर से पकने वाली किस्मों में धान की स्वर्णा, पंत-10, सरजू-52, नरेन्द्र-359, जबकि टा.-3, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती सुगंधित तथा पंत संकर धान-1 व नरेन्द्र संकर धान-2 प्रमुख संकर किस्में हैं।  ⭕धान की महीन किस्मों की प्रति हेक्टेयर बीज दर 30 किग्रा, मध्यम के लिए 35 किग्रा, मोटे धान हेतु 40 किग्रा तथा ऊसर भूमि के लिए 60 किग्रा पर्याप्त होता है, जबकि संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। यदि नर्सरी में खैरा रागे दिखाई दे तो 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में 20 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम जिकं सल्फटे प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। 🌽 मक्का की बुवाई का काम 👇 ⭕मक्का की बोआई इसी माह पूरा कर लें। मक्का की बुवाई के लिए संकर मक्का की शक्तिमान-1, एच.क्यू.पी.एम.-1,...

कृषि विभाग की सम्भाग स्तरीय टीम ने किया खाद दुकानों का निरीक्षण

  कृषि विभाग की सम्भाग स्तरीय टीम ने किया खाद दुकानों का निरीक्षण छत्तीसगढ़ में मानसून पहुंचने के साथ ही खेती किसानी के काम में तेजी आ रही है. किसान रसायनिक उर्वरकों को  समिति/निजी संस्थाओं से खरीद रहे हैं। गौरतलब है कि पॉस मशीनों से निजी /सहकारी संस्थाओं में  बिक्री करने की व्यवस्था लागू है। छ. ग. शासन कृषि विभाग  ने निर्देश दिया है कि जिले के सभी उर्वरक विक्रेताओं के भौतिक स्टॉक और ई-पॉस मशीन में दर्ज बिक्री विवरण की जांच की जाए। इसमें अंतर मिलने पर विक्रेताओं पर कार्रवाई की जाएगी।  दरअसल, मामला ऑनलाइन पोर्टल पर स्टॉक सत्यापन से संबंधित है। विक्रेता कई बार किसानों को उर्वरक वितरण कर देते हैं, लेकिन बिक्री के समय उन्हें ई-पॉस मशीन की रसीद नहीं देते। ऐसे में स्टॉक कम हो जाता है, लेकिन पोर्टल पर रिकार्ड दर्ज नहीं हो पाता। चूंकि केंद्र सरकार ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज रिजर्व और बिक्री स्टॉक के अनुसार उर्वरक उपलब्ध कराती है। यदि ऑनलाइन विवरण और भौतिक स्टाक में अंतर मिलेगा तो जिले में उर्वरक संकट पैदा हो सकता है। जिससे किसानों को काफी समस्या हो सकती है। अतः उर्वरक विक्रे...

कृषि विश्वविद्यालय:-6 नई किस्मों को मिली मंजूरी , इससे होगा किसानों को फायदा

🍀 6 नई किस्मों को मिली मंजूरी , इससे होगा किसानों को फायदा 🍀 🔴 खरीफ सीजन की शुरुआत होने वाली है। किसान भी फ सीजन में अच्छी फसल उगाने के लिए तैयारी कर रहा है। इसी दौरान भारत सरकार ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित सब्जी फसलों की 6 नई किस्मों को व्यावसायिक खेती एवं बीज उत्पादन हेतु मंजूरी दे दी है। 👳इससे किसानों का काफी लाभ हो सकता है। केंद्रीय बीज उपसमिति द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इंदिरा कंकोडा-2, इंदिरा विंग्डबीन-2, छत्ताीसगढ़ शाखेन बन्डा-1, सी.जी. डांग कांदा-1, छत्तीसगढ़ सेम-1 एवं छत्तीसगढ़ सफेद बैगन-1 को व्यवसायिक खेती के लिए अधिसूचित किया गया है। 🔴 इन 6 नई किस्मों में कंकोडा की नई किस्म (इंदिरा कंकोडा-2) जिसे छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, एवं महाराष्ट्र राज्यों के लिए विमोचित किया गया है। इसकी उपज क्षमता 3500 से 4000 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर है। एवं यह किस्म 110-115 दिनो में तैयार हो जाता हैं। यह फसल उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन एवं विटामिन से भरपूर होता है। इस किस्म का विकास कृषि महाविद्यालय अम्बिकापुर द्वारा किया गया है। 🔴विंग्डबीन की नई किस्म ...

जैविक खेती:-देशी नुस्खों द्वारा कीटों से फसल सुरक्षा के तरीके

देशी नुस्खों द्वारा कीटों से फसल सुरक्षा के तरीके आधुनिक युग में कीटनाशकों का नाम मात्र भी इस्तेमाल न करते हुए खेतीबाड़ी करना थोड़ा कठिन है, लेकिन देशी तरीकों से खेतीबाड़ी में खर्च भी बहुत कम आता है। यह देशी चीजें आप को आपके इर्द –गिर्द ही मिल जाती हैं, बगैर किसी भाग दौड़ के, चाहे आप की फसल सब्जी की हो या अनाज की फसल हो,बगैर किसी रसायन के तैयार की जा सकती है। जिससे मानव जीवन पर कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है, तथा उसकी कीमत भी रासायनिक फसलों से ज़्यादा मिलती है। देशी नुस्खा (क):- सफ़ेद फिटकरी- जब भी कोई फसल ऊपर से लेकर नीचे तक सूखने लगती है, तो समझना चाहिए कि इसकी जड़ों पर फफूंद का हमला हो चुका है। इससे बचने के लिए खेत में पानी लगाते समय ट्यूबवेल के गड्ढे में 1 किलो ग्राम सफ़ेद फिटकरी का टुकड़ा रख दें और पानी देना शुरू कर दें। वह फिटकरीयुक्त पानीपौधों कि जड़ों में लग जाएगा तथा पौधे पुनः स्वस्थ हो जाएंगे। देशी नुस्खा (ख):- उपले कि राख तथा बुझा चूना- उपले या चूल्हे कि राख तथा बुझा चूना, एक किलो ग्राम प्रति 25 लीटर पानी में डाल कर 5 -6 घंटे के लिए रख दें , तद्उपरांत इस घोल को जितनी भी बेल (जायद) ...

मानसून:-15 तक बारिश की चेतावनी, गरजेंगे बादल, मानसूनी बौछार शुरू

  मानसून:-15 तक बारिश की चेतावनी, गरजेंगे बादल, मानसूनी बौछार शुरू बारिश का मौसम शुरू हो चुका है। शुक्रवार को झमाझम वर्षा के बाद अब मौसम विभाग ने चेतावनी जारी किया है। 13 जून से मौसम का मिजाज फिर बदलने वाला है। तीन दिनों तक संभाग के अधिकांश जगहों में बारिश होगी। तेज गर्जना के साथ आकाशीय बिजली गिरने की भी संभावना है। फिलहाल यहां आसमान में बादल छाए हुए हैं। मानसून के आगमन के साथ अब बारिश को लेकर सभी टकटकी लगाए हुए हैं। न्यायधानी में एक दिन पूर्व रूक रूक कर देर शाम तक बारिश होती रही। हालांकी शनिवार की सुबह आसमान में काले घने बादल जरूर उमड़े लेकिन दोपहर तक बारिश नहीं हुई। फिलहाल बिलासपुर का अधिकतम तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। बंगाल की खाड़ी में निम्न दाब का क्षेत्र लालपुर स्थित मौसम वेधशाला के मुताबिक एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उससे लगे उत्तरी ओडिसा तट और पश्चिम बंगाल तट के ऊपर स्थित है। इसके और अधिक प्रबल होकर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए ओडिसा झारखंड और उत्तर छत्तीसगढ़ की ओर अगले दो से तीन दिन में बढ़ने की संभावना है। एक द्रोणिका दक्षिण...

समसामयिक-छत्तीसगढ़ के किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह

   समसामयिक: छत्तीसगढ़ के किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह राज्य के कृषि एवं मौसम विज्ञान विभाग और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ में मानसून आगमन को ध्यान में रखते हुए किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह दी है। उन्होंने खरीफ फसलों और फल-सब्जियों की बुवाई के साथ ही पशुपालन के संबंध में और आवश्यक वैज्ञानिक सलाह दी है। जो कि निम्नानुसार है। धान ■ खेत की साफ-सफाई एवं मेड़ों की मरम्मत आवश्यक रूप से इस समय करना चाहिए।  ■खरीफ फसल लगाने के लिए बीज एवं उर्वरक का अग्रिम व्यवस्था कर ले।  ■धान की जैविक खेती के लिए हरी खाद फसल जैसे ढेंचा/सनई की बुवाई शीघ्र करें। खरीफ फसल लगाने के लिए बीज एवं उर्वरक का अग्रिम व्यवस्था कर लें।  ■धान का थरहा डालने या बोवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल से उपचारित करें। प्रमाणित या आधार श्रेणी के बीजों को पैकेट में प्रदाय किए गए फफूंद नाशक से अवश्य उपचारित कर लें।  ■धान की नर्सरी के लिए गोबर खाद/वर्मी कम्पोस्ट/सुपर कम्पोस्ट की व्यवस्था कर लें। सुनिश्चित सिंचाई के साधन उपलब्ध होने की स्थिति में ...

सब्जी कलैंडर:-किस महीने किस सब्जी की करें बुवाई।

  सब्जी कलैंडर:-किस महीने किस सब्जी की करें बुवाई। किसी भी फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए सबसे जरूरी होता है फसल की समय पर बुवाई, अगर बुवाई लेट हो जाती है तो फसल के उत्पादन पर काफी असर पड़ता है,  इस लिए आज की कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किसान को किस महींने में किस सब्ज़ी की बुवाई करनी चाहिए ? ताकि किसान भाइयों को वांछित लाभ मिल सके। जनवरी माह में उगाई जाने वाली फसलें : राजमा, शिमला मिर्च, मूली, पालक, बैंगन, चप्‍पन कद्दू फरवरी माह में उगाई जाने वाली फसलें : राजमा, शिमला मिर्च, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, फूलगोभी, बैंगन, भिण्‍डी, अरबी, एस्‍पेरेगस, ग्‍वार... मार्च माह में उगाई जाने वाली फसलें : ग्‍वार, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, भिण्‍डी, अरबी... अप्रैल माह में उगाई जाने वाली फसलें : चौलाई, मूली... मई माह में उगाई जाने वाली फसलें : फूलगोभी, बैंगन, प्‍याज, मूली, मिर्च... जून माह में उगाई जाने वाली फसलें : फूलगोभी, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, बीन, भिण्‍डी, टमाटर, प्‍याज, ...

उद्यानिकी :-नींबू के फलों का फटना कारण व उपाय

उद्यानिकी - नींबू के फलों का फटना कारण व उपाय नींबू के पौधे लगाने के लगभग 5 साल बाद किसान फल लेना शुरू कर देते है अगर पौधों कि उचित देखभाल की गई हो । अक्सर किसान नींबू कि हस्त बहार लेना पसंद करते है जिसकी तैयारी सितंबर माह में पौधों को ताव देने (Stress Managem ent) से शुरू होती है और लगभग 20 सितम्बर को खाद लगाकर पानी दिया जाता है। इसी के साथ ताव देने का कार्य पूरा हो जाता है। ताव देने के लगभग 25 दिन बाद फूल आने शुरू हो जाते है और नवंबर माह में फल बन जाते है जिसकी फसल किसान अप्रैल से लेकर जून तक लेता है। इस समय बाजार में नींबू कि मांग बहुत होती है और भाव भी अच्छा मिलता है। इसी प्रकार अंबिया बहार के फूल फ़रवरी मार्च में आते है और फल जुलाई से अक्टूबर माह तक मिलते है। अधिकतर किसान यही दो फसल लेते है। फल फटने का कारण कभी कभी यह देखा गया है कि फल पकने से पहले फटने लगते है और इस कारण बहुत सी फसल खराब हो जाती है और इनका कोई मूल्य नहीं मिलता। वैसे तो जब यह बीमारी दिखाई दे तब भी इसका इलाज किया जा सकता है जिससे यह आगे बढ़ने से रुक जाती है। परन्तु अगर पहले से ही ध्यान रखा जाए तो इसे रोका जा सकता ह...

समसामयिक सलाह- जून माह के कृषि कार्य

  समसामयिक सलाह- जून माह के कृषि कार्य धान ■यदि मई के अन्तिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं डाली हो तो जून के प्रथम पखवाड़े तक पूरा कर लें। जबकि सुगन्धित प्रजातियों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह में डालनी चाहिए। ■मध्यम व देर से पकने वाली धान की किस्में हैं, स्वर्णा, पन्त-10, सरजू-52, नरेन्द्र-359, जबकि टा.-3, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती सुगन्धित तथा पन्त संकर धान-1 व नरेन्द्र संकर धान-2 प्रमुख संकर किस्में हैं। ■धान की महीन किस्मों की प्रति हेक्टेयर बीज दर 30 किग्रा, मध्यम के लिए 35 किग्रा, मोटे धान हेतु 40 किग्रा तथा ऊसर भूमि के लिए 60 किग्रा पर्याप्त होता है, जबकि संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। ■यदि नर्सरी में खैरा रागे दिखाई दे तो 10 वर्ग मीटर क्षत्रे में 20 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम जिकं सल्फटे प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मक्का ■मक्का की बोआई 25 जून तक पूरी कर लें। यदि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो बोआई 15 जून तक कर लेनी चाहिए। ■संकर मक्का की शक्तिमान-1, एच.क्यू.पी.एम.-1, संकुल मक्का की तरूण, नवीन, कंचन, श्वेता तथा जौनपुरी सफेद व मे...

कृषि विभाग:-जानें "राजीव गांधी किसान न्याय योजना" के क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश।

  कृषि विभाग:- जानें "राजीव गांधी किसान न्याय योजना" के क्रियान्वयन के लिए दिशा - निर्देश। फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने कृषि आदान सहायता हेतु "राजीव गांधी किसान न्याय योजना" के क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश। 1. छ.ग. राज्य में लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र वर्षा आधारित होने से मौसमीय प्रतिकूलता एवं कृषि आदान लागत में वृद्धि के कारण कृषि आय में अनिश्चितता बनी रहती है, फलस्वरुप कृषक फसल उत्पादन के लिए आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनीकी में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते है। कृषि में पर्याप्त निवेश एवं कास्त लागत में  राहत देने कृषि आदान सहायता हेतु राज्य शासन द्वारा "राजीव गांधी किसान न्याय योजना" विभागीय पत्र क. 2544 दिनांक 15.05.2020 द्वारा लागू की गई है। उक्त जारी दिशा-निर्देश को अधिकमित करते हुए खरीफ वर्ष 2021 से राजीव गांधी किसान न्याय  योजना के क्रियान्वयन हेतु निम्नानुसार दिशा-निर्देश जारी किया गया है। योजना का उद्देश्य: (i) फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना। (ii) फसल  क्...