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Showing posts from May, 2021

जैविक खेती:- जाने क्या है? गोधन सुपर कंपोस्ट खाद

गोधन सुपर कंपोस्ट खाद गौठान में वर्मी कंपोस्ट के साथ-साथ अब  गोधन सुपर कंपोस्ट खाद का भी उत्पादन शुरू कर दिया गया है, ताकि किसान भाइयों को अत्यंत अल्प कीमत में उच्च जैविक विशेषताओं वाली खाद गोधन सुपर कंपोस्ट उपलब्ध हो सके। सुपर कंपोस्ट खाद का न्यूनतम मूल्य रू. 6 प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है। यह 2 किलो, 5 किलो और 30 किलो के पैकेट में विक्रय हेतु  सहकारी सोसाइटी में उपलब्ध है। गोधन सुपर कंपोस्ट उत्पादन तकनीक गोठनों में गोबर से कम लागत उत्पादन तकनीक वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग कर 40 से 45 दिनों में गोधन सुपर कंपोस्ट खाद तैयार की जा रही है। गोबर को शीघ्र डीकंपोज करने के लिए 200 लीटर पानी में 2 किलो गुड़ एवं 1 शीशी वेस्ट डीकंपोजर (20 ग्राम) मिलाकर घोल तैयार किया  जाता है। इस घोल को 3 से 7 दिन तक प्रतिदिन 2  बार लगभग 2 मिनट तक लकड़ी के डंडे से हिला  कर रखा जाता है। डीकंपोजर घोल का उपयोग डीकंपोजर घोल में 9 से 10 गुना पानी  मिलाकर 20 से 25 दिन पुराने 1500 किलो गोबर  (एक ट्रैक्टर ट्राली) में लगभग 200 लीटर घोल को  छिड़ककर अच्छी तरह से मिला दिया जाता है |  इसे मिलाने के लिए ट्रैक्टर चलित है

वर्मी कम्पोस्ट:- धान की फसल के साथ- साथ और किन फसलों पर कितनी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करे।

  वर्मी कम्पोस्ट:- धान की फसल के साथ- साथ और किन फसलों पर कितनी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करे। केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे, गोबर आदि को विघटित करके बनाई जाती है। वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं।  वर्मी कम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है। इसमें 2.5 से 3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1.5 से 2 प्रतिशत सल्फर तथा 1.5 से 2 प्रतिशत पोटाश पाया जाता है। इस खाद को तैयार करने में प्रक्रिया स्थापित हो जाने के बाद एक से डेढ़ माह का समय लगता है। आइए आज की कड़ी में जानते है कि धान की फसल के साथ किन किन फसलों पर किस-किस समय वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग कर सकते है। संकलन कर्ता हरिशंकर सुमेर

बीजोपचार:-धान की फसल में टीके का काम करता है 17%नमक पानी का "बीजोपचार"

  बीजोपचार:-धान की फसल में टीके का काम करता है 17%नमक पानी का "बीजोपचार" बीज उपचार एक प्रक्रिया या विधि है, जिसमें पौधों को बीमारियों और कीटों से मुक्त रखने के लिए रसायन, जैव रसायन या ताप से उपचारित किया जाता हैं| पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कलचर से भी बीज उपचार किया जाता है| धान के बीजो को बुवाई से पहले 17%नमक के घोल में उपचारित कर लेवे।धान की बीज उपचार हेतु नमक की 17% घोल से उपचार करे। बीज उपचार हेतु 17% नमक का घोल बनाने का तरीका ■किसी बडे बरतन पर पानी और आलू/अंडा डाल दे उसमें नमक डालते रहे। ■ जब आलू/अंडा तैरने लग जाए तो समझो घोल तैयार हो गया। ■उसमें धान के बीज डूबा दे। ■ बदरा उपर तैयार रहता है पुष्ट निचे बैठते जाता है ■बदरा को अलग कर बीज निकाल कर अच्छे से धुलाई कर छाया मे सूखा कर प्रयोग करे। ■ROOT RISE  5 ग्राम + Trichoderma 5ग्राम + Pseudomonas 5 ग्राम प्रति किलो बीज या ■ROOT RISE  5 ग्राम +2 ग्राम carbendazim प्रति किलो बीज  की दर से उपचार करे। 5 ml जीवाणु तरल ( consortia of  bacteria AGN ) से बीजोपचार ■17%नमक के घोल के उपयोग से स्वस्थ बीजो के चुनाव के बाद 5.00 मिली

गलती से यदि खरपतवार नाशी का छिड़काव हो जाये तब क्या करे।

* 🌱 खरपतवार वे अवांछित पौधे हैं जो किसी स्थान पर बिना बोए उगते हैं। जिसके कारण किसान को लाभ के बदले भारी नुकसान होता है। मूंग, उड़द, मक्का, गन्ना की फसल में आए खरपतवार को नष्ट करने के लिए खरपतवार नाशक का छिड़काव किया जाता है। 🙏 किसान दोस्तों, अगर आपने गलती से फसल पर खरपतवार नाशक का छिड़काव किया है, तो परेशान न हों। इसके लिए एकमात्र रामबाण उपाय है। एक 15 लीटर पंप के लिए 75 ग्राम जैविक गुड़ और 60 ग्राम डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) लेकर पौधा गीला होने तक छिड़काव किया जाए। 👉 टिप- डी ए पी 2 घंटे के लिए भिगो दें ✔ प्रभावित फसल पर गुड़ और डीएपी के घोल का 7/7 घंटे के अंतराल पर 4 बार छिड़काव करने से 90-95% जड़ी-बूटियों का प्रभाव कम हो जाता है।

सावधान:-खरीदने जा रहे है खेती-बाड़ी का सामान,तो इन बातों का रखे ध्यान।

  सावधान:- खरीदने जा रहे है खेती-बाड़ी का सामान,तो इन बातों का रखे ध्यान। जब भी कोई किसान भाई अपने खेत के लिए बीज, उर्वरक और कीटनाशकों को खरीदना चाहता है, तो निम्न बातो का जरूर ध्यान रखें क्योंकि गुणवत्ता युक्त कृषि आदान सामग्रियों के उपयोग से ही पैदावार अच्छी होगी। आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर बताएंगे कि सहकारी समिति या निजी संस्था से आदान सामग्रियों को खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। ⭕किसानों को लाइसेंस वाली दुकान से ही खाद, बीज और कीटनाशक खरीदना चाहिए। ⭕इस संबध में ब्लॉक में कृषि कार्यालय से भी जानकारी ले सकते हैं। ⭕जब भी इन तीनों चाजों को खरीदें, तो ध्यान दें कि ये सीलबंद हों, साथ ही अवधि समाप्त होने की तारीख भी देख लें। ⭕किसान भाई खरीद करने पर दुकानदार से पक्का बिल ज़रूर लें, उस बिल में लाइसेन्स नंबर, पूरा नाम, पता और हस्ताक्षर होना चाहिए. इसके बाद बिल में उत्पाद का नाम, लॉट नंबर, बेन्च नंबर, और तारीख़ भी देखें। ⭕ध्यान दें कि उर्वरक बैग पर फर्टिलाईज़र, बायोफर्टीलाईज़र, ऑर्गेनिक फर्टीलाईज़र या नॉन-एडीबल,

जैविक खेती:- हरी खाद से सुधरेगी मिट्टी की सेहत !!!

  जैविक खेती:- हरी खाद से सुधरेगी मिट्टी की सेहत !!! हरी खाद को एक शुद्ध फसल के रूप में खेत की उपजाऊ शक्ति, भूमि के पोषक और जैविक पदार्थो की पूर्ति करने के उदेश्य से की जाती है| इस प्रकार की फसलों को हरियाली की ही अवस्था में हल या किसी अन्य यंत्र से उसी खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है| हरी खाद से भूमि का संरक्षण होता है और खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है| आज कल भूमि में लगातार फसल चक्र से उस खेत में उपस्थित फसल की पैदावार और बढवार के लिए आवश्यक तत्व नष्ट होते जाते है| इनकी आपूर्ति और पैदावार को बनाए रखने के लिए हरी खाद एक अच्छा विकल्प हो सकता है| हरी खाद के लिए बनी किस्मे, दलहनी फसले या अन्य फसलों को हरी अवस्था में जब भूमि की नाइट्रोजन और जीवाणु की मात्रा को बढ़ाने के लिए खेत में ही दबा दिया जाता है तो इस प्रक्रिया को हरी खाद देना कहते है| हरी खाद वाली फसलें 🍀हरी खाद वाली खरीफ की फसलें लोबिया, मुंग, उड़द, ढेचा, सनई व गवार हरी खाद की फसल से अधिकतम कार्बनिक पदार्थ और नाइट्रोजन प्राप्त करने के लिए एक विशेष अवस्था में उसी खेत में दबा देना चाहिए| इन फसलों को 30 से 50 दिन की अवधि में ही पलट दे

जैविक खेती:- हरी खाद से सुधरेगी मिट्टी की सेहत !!!

  जैविक खेती:- हरी खाद से सुधरेगी मिट्टी की सेहत !!! हरी खाद को एक शुद्ध फसल के रूप में खेत की उपजाऊ शक्ति, भूमि के पोषक और जैविक पदार्थो की पूर्ति करने के उदेश्य से की जाती है| इस प्रकार की फसलों को हरियाली की ही अवस्था में हल या किसी अन्य यंत्र से उसी खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है| हरी खाद से भूमि का संरक्षण होता है और खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है| आज कल भूमि में लगातार फसल चक्र से उस खेत में उपस्थित फसल की पैदावार और बढवार के लिए आवश्यक तत्व नष्ट होते जाते है| इनकी आपूर्ति और पैदावार को बनाए रखने के लिए हरी खाद एक अच्छा विकल्प हो सकता है| हरी खाद के लिए बनी किस्मे, दलहनी फसले या अन्य फसलों को हरी अवस्था में जब भूमि की नाइट्रोजन और जीवाणु की मात्रा को बढ़ाने के लिए खेत में ही दबा दिया जाता है तो इस प्रक्रिया को हरी खाद देना कहते है| हरी खाद वाली फसलें 🍀हरी खाद वाली खरीफ की फसलें लोबिया, मुंग, उड़द, ढेचा, सनई व गवार हरी खाद की फसल से अधिकतम कार्बनिक पदार्थ और नाइट्रोजन प्राप्त करने के लिए एक विशेष अवस्था में उसी खेत में दबा देना चाहिए| इन फसलों को 30 से 50 दिन की अवधि में ही पलट दे

व्हाइट ग्रब:-ऐसे करें सफेद लट की समस्या का निपटारा❗

व्हाइट ग्रब:-🐛ऐसे करें सफेद लट की समस्या का निपटारा❗  सफेद लट यानी ( White Grub ) से आज हर किसान परिचित है और काफी परेशान  भी है। सफेद लट यानी के लार्वा और उनके अंडे खाद के माध्यम से खेत में जाते हैं।  आज हम आपको सफेद लट के प्रबंधन के तरीकों से अवगत करा रहे है। 👉 ऐसे करें नियंत्रित🔴 ⭕नीम या बबूल के पेड़ों पर इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) 0.3 मिली प्रति लीटर का छिड़काव करें। ⭕कम्पोस्ट खाद में एक किलोग्राम अनुशंसित कीटनाशक मिलाएं। इसके बाद ही इसका उपयोग खेत में करना चाहिए। इसके लिए गर्मियों में खाद के छोटे-छोटे ढेर बना लें। ⭕ बड़े गन्ने में (जून से अगस्त) क्लोरपाइरीफोस (20% घोल) 5 लीटर प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी में मिश्रित) जमीन से देना चाहिए। ⭕ गन्ने की खेती के दौरान सितंबर-अक्टूबर में फिप्रोनिल (0.3% दानेदार) को 25 किलोग्राम / हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाया जाना चाहिए। या क्लोथियनिडाइन (50% पानी में घुलनशील पाउडर) को 250 ग्राम रेत के साथ मिलाकर फसल की जड़ों के पास मिट्टी में डाला जाता है और फिर हल्के से पानी दिया जाता है।

जैविक कीटनाशक:- ब्युवेरिया बेसियाना का उपयोग खेती में कैसे करें, जानिए आधुनिक विधि

* ब्युवेरिया बेसियाना का उपयोग खेती में कैसे करें, जानिए आधुनिक विधि ब्युवेरिया बेसियाना एक आधारित जैविक कीटनाशक और सफेद रंग की फफूंद है| ब्युवेरिया बेसियाना 1 प्रतिशत डब्लू पी एवं 1.15 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है| जो विश्व में सभी जगहों की मिट्टी में स्वाभाविक रूप से पायी जाती है| यह विभिन्न प्रकार के कीटों को एक परजीवी के रूप संक्रमित करता है, इसके संक्रमण से सफेद मसकरडीन नामक रोग हो जाता है यानि की यह एक कीटरोगजनक फफूंद है इसे पहले ट्रिटिरशियम शिओटे नाम से भी जाना जाता था| बाद में इटेलियन, कीट विज्ञानी एगोस्टिनो बस्सी के नाम पर ब्युवेरिया बेसियाना का नाम रखा गया था| क्योंकि उन्होंने सबसे पहले 1835 में ब्युवेरिया को पालतू रेशम के कीड़ों पर सफेद मसकरडीन नामक रोग के रूप में पाया था| ब्युवेरिया बेसियाना विभिन्न फसलों और सब्जियों में लगने वाली लेपिडोप्टेरा वर्ग की सुंडियों जैसे, चने की सुंडी, बालदार सुंडी, रस चूसने वाले कीट, वूली एफिड, फुदको, सफेद मक्खी, दीमक तथा स्पाइडर माईट आदि कीटो के नियंत्रण के लिए प्रयुक्त की जाती है, एवं यहां तक कि यह मलेरिया-कारक मच्छरों को भी

देशी बीज:- धान के देशी बीजों के गुण व उपलब्धता

  देशी बीज:- धान के देशी बीजों के गुण व उपलब्धता   एक समय कि बात है जब किसान पसइया/माढ़ (चावल का बचा हुआ पानी) पी के ही दिन भर काम कर लिया करते थे लेकिन आज पूर्ण Diet plan करके भी, कोई उतना काम नहीं कर पा रहें है, जिसके पीछे रसायन, आधुनिक जीवन शैली के साथ साथ हाई ब्रीड बीज भी जिम्मेदार है। इसी कड़ी मे हम देशी धान का उत्पादन कर रहे हैं, जिसका स्वाद के साथ साथ पोषक तत्वों की मात्रा भी अच्छा मात्रा मे है, जिनमें है : 1. Farmer Release Name - Black rice, Variety- Pihu Dhan जिसमे जिंक(Zn) व लोहा (Fe) कि मात्रा उच्चय होने के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट (antioxidants) गुण भी है जो अनावश्यक चर्बी होने नहीं देतीं तथा रक्त-हृदय (Diabetes, high blood Pressure, Etc) सम्बंधित रोगों मे अच्छे परिणाम देखे गए हैं। (फसल- लघु कालीन, मध्यम उंचाई वाली, रोग व बिमारी नही लगती (तना छेदक से हल्की प्रभावित) ) 2.Farmer release Name- Green Rice, Variety- Tilkasturi रायपुर-धमतरी से है, छोटी बारीक दाना, अति सुगंधित चावल जिसमे उच्च मात्रा में पोषक तत्वों के साथ साथ औषधिय गुण भी है जिसका शोध कार्य चल रहा है । (फसल- दीर्घ

मौसम अपडेट:- ताऊ-ते चक्रवात के असर से कल राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में बढ़ेगी बरसात:

  मौसम अपडेट:-ताऊ-ते चक्रवात के असर से कल राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में बढ़ेगी बरसात: गुजरात मे तबाही मचाने के बाद चक्रवात कल से राजस्थान की तरफ बढेगा। गुजरात मे फिलहाल भी तेज़ हवाओ के साथ भारी बारिश जारी है। जिस पर कल से लगाम लगेगी। कल चक्रवाती तूफान का असर ज्यादातर राजस्थान पर रहेगा। और कल दोपहर बाद से हरियाणा व उत्तरप्रदेश के इलाकों में बरसात बढ़ेगी। कल सुबह से देर रात के बीच राजस्थान के सिरोही, जालौर, पुर्वी बाड़मेर, दक्षिण जोधपुर, राजसमंद, उदयपुर, डुंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, बारां, कोटा, बूंदी, अजमेर, पाली, टोंक, जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, करौली, सीकर और झुंझुनूं में अनेको जगज तेज़ हवाओ ( 30km/h से 60km/h) के साथ मध्यम से भारी बारिश होगी। राजस्थान के ऊंचे पहाडी इलाको ( सीकर, अलवर, उदयपुर, सिरोही, राजसमंद) में भारी से अति भारी बारिश भी होगी। पश्चिमी बाड़मेर, जैसलमेर, उत्तरी जोधपुर, चूरू, बीकानेर में बादलवाही के बीच हल्की बारिश होगी। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में सिर्फ बादलवाही छाई रहेगी, बरसात की उम्मीद नहीं है। कल सुबह से

ब्रम्हास्त्र:-फसल को कीटों से बचाने की जैविक दवा

  ब्रम्हास्त्र:- फसल को कीटों से बचाने की जैविक दवा अधिकांश मानवीय बीमारियों का कारण जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ कृषि में उपयोग हो रहे रसायन भी हैं। इनमें मुख्य रूपसे मानव द्वारा उपयोग की जाने वाली विषाक्त सब्जियां, अनाज एवं फल हैं जिनकी सुरक्षा हेतु अंधाधुंध रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इन कीटनाशकों के प्रयोग से अत्यधिक प्रयोग से इनके प्रति कीटों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और कुछ प्रजातियों में तो प्रतिरोधक क्षमता विकसित भी हो चुकी है। इसके अलावा रासायनिक कीटनाशक अत्यधिक महगे होने के कारण किसानों को इन पर अत्यधिक खर्च करना पड़ता है। कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से फसलों, सब्जियों व फलों की गुणवत्ता पर भी विपरीत असर पड़ता है। इन वस्तुस्थिति के फलस्वरूप वैज्ञानिकों का ध्यान प्राकतिक एवं जैविक कीटनाशकों एवं रोगनाशकों की ओर गया है जो न केवल सस्ते हैं बल्कि जिनके उपयोग से तैयार होने वाली फसल के किसी प्रकार के रासायनिक दुष्प्रभाव भी नहीं रहते हैं। आज की कड़ी में हम   ऐसे जैविक  कीटनाशक के बारे में बताएंगे जो कि आसानी से घर पर बनाये जा सकते है और काफी कारगर भी है,जिसका