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Showing posts from March, 2020
विकास की ओर अग्रसर संजीव स्व सहायता समूह विकासखंड नवागढ़ जिला जांजगीर चांपा के आदर्श गौठान ग्राम अमोरा मेंं संजीव स्व सहायता समूह द्वारा वर्मी कंपोस्ट निर्माण का कार्य किया जा रहा है। जो कि कृषकों को मात्र ₹10 में 1 किलो का पैकेट उपलब्ध करा रहा है।  गौरतलब है कि वर्मी कंपोस्ट खाद सभी फसलों के वृद्धि विकास के लिए अत्यंत लाभप्रद खाद है । छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा एवं बाड़ी अंतर्गत बने आदर्श गौठान में वर्मी कंपोस्ट निर्माण का कार्य किया जा रहा है।  नेहा धिरहे जो कि इस क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी है। उन्होंने बताया कि वे समय समय पर स्व सहायता समूह को तकनीकी मार्गदर्शन  देती रहती है। जिससे समूह अपना आर्थिक विकास करने की ओर अग्रसर है। अब तक समूह द्वारा 10 क्विंटल खाद कृषको को वितरित किया जा चुका है जिससे समूह को 10000.00 की राशि प्राप्त हुई है एवम 10 क्विंटल खाद की पैकेजिंग का कार्य और पूरा हो चुका है जो कुछ ही समय मे अंचल के किसानों को उपलब्ध होगा। अंचल के कृषकों में काफी प्रसन्नता है कि उन्हें कम कीमत में  जैविक खा...
गुण्डरदेही ग्राम में हुआ रबी फसलों का निरीक्षण ग्राम गुण्डरदेही विकासखण्ड- फिंगेश्वर में रबी फसल गेंहूँ व सरसों का निरीक्षण श्री आर बी आसना (अपर संचालक) ने किया।  गौरतलब है कि पहली बार गुण्डरदेही जलाशय के पानी का उपयोग कर कृषि विभाग के हरित क्रांति विस्तार योजना के माध्यम से गुण्डरदेही में 50.00हेक्टेयर में गेंहू फसल पर प्रदर्शन एवं रफ्तार योजना अंतर्गत सरसो प्रदर्शन आयोजित किया गया जो कि अपनी सफलता की ओर अग्रसर है। लहलहाती हुई फसल को देखकर निरीक्षण कर्ता श्री आर बी आसना अपर संचालक ने अपनी प्रसन्नता जताई एवम कृषि विभाग जिला गरियाबंद की  टीम का उत्साह वर्धन किया। निरीक्षण के समय श्री एफ आर कश्यप उप संचालक कृषि गरियाबंद,श्री आर डी कुशवाहा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी देवभोग,श्री खिलेश्वर साहू कृषि विकास अधिकारी, श्री सेवक राम साहू कृषि विकास अधिकारी, श्री सुनील सिंघोर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, श्री तरुण साहू ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवम ग्रामवासी उपस्थित थे।
नरवा गरुवा घुरवा बाड़ी योजना से जैविक खेती का प्रचलन बढ़ा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य राज्य शासन द्वारा शुरू की गई नरवा गरवा घुरूवा बाड़ी योजना के परिणाम सामने आने लगे हैं। इस योजना से स्व सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही जैविक खेती का प्रचलन भी बढ़ रहा है। गांव की महिलाएं समूह बनाकर गौठानों में स्थापित वर्मी कम्पोस्ट और नाडेप टंकियों में ऑर्गेनिक खाद का निर्माण कर रही हैं। इस खाद की बाजार में आजकल काफी मांग है। इसके अलावा गांव में स्थित बाड़ियों में भी इसी जैविक खाद की मदद से पौष्टिक सब्जियां उगाई जा रही हैं। जिले के 218 गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट की 357 और नाडेप की 653 टंकियां स्थापित की गई हैं।इन गौठानों में टंकी भरने से लेकर खाद की बिक्री का काम महिलाएं संभाल रही हैं।  कृषि विभाग द्वारा आत्मा योजना के तहत पहले महिलाओं को खाद बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद जिले के 16 महिला स्व सहायता समूहों ने खाद बनाने का काम कर रहे  है। दुर्ग ब्लॉक् में 2 महिला समूहों ने 8 क्विंटल  कम्पोस्ट खाद(नाडेप) पाटन ब्लॉक ...
कृषि मंत्री श्री चौबे ने स्थानीय प्रजाति के उन्नत नस्ल के पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने दिये निर्देश दो सौ हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में तैयार किये जा रहे सब्जियों के उन्नत बीज पोषण बाड़ी दूर करेगी कुपोषण किसानों को आत्मनिर्भर बनाने उन्नत बीज उत्पादन का दिया जाएगा प्रशिक्षण -------------------------------------------------------------------------------- कॄषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने छत्तीसगढ़ में स्थानीय प्रजाति के उन्नत नस्ल के पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 27 कृषि विज्ञान केंद्रों, 15 परिक्षेत्रों और उद्यानिकी विभाग की 100 नर्सरियों में 200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सब्जियो के उन्नत बीज तैयार किये जा रहे हैं। उन्नत बीजों के माध्यम से कृषि रोपणी और प्रथम फेस के गौठानो में बाड़ी विकसित की जाएगी। उन्नत बीजों का वितरण वर्षा ऋतु  के पूर्व किया जाएगा। कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि उन्नत और पौष्टिक साग-सब्जियो  के उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्र में  कुपोषण की दर में भी कमी आएगी। उल्लेखनीय है कि...
आदर्श गौठान में चारागाह विकास का कार्य की हुई शुरूआत आदर्श गौठान में चारागाह विकास का कार्य की हुई शुरूआत राज्य शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत कोरिया जिले में विकसित किए जा रहे आदर्श गौठानों में पशुपालन को ध्यान में रखते हुए ताजे और हरे चारे की व्यवस्था की जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा यहां पशुओं के लिए पौष्टिक चारे उपलब्ध कराने के लिए 11 आदर्श गौठानों में 3 से 5 एकड़ में चारागाह विकसित किया जा रहा है। इनमें पौष्टिक चारा उपलब्घ कराने के लिए नेपियर घास, सूडान घास, बहुवर्षीय ज्वार, मक्का और जई की फसल लगाई गई है। इससे पूरे क्षेत्र में किसानों को दुग्ध उत्पादन के लिए बेहतर वातावरण बनेगा। वहीं उन्हें इससे अतिरिक्त आमदनी भी मिलेगी। कोरिया जिले में कुल 91,000 नेपियर स्लीप विक्रय कर 1,36,500 रूपए की आय गौठान समितियों को हुई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के माध्यम से जिले के 11 माॅडल गौठानों में नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी (सुराजी गांव योजना) के अंतर्गत चारागाह विकसित किए जा रहे हैं। यहां चारागाह विकास ...
किसान_स्वयं_बनायें_नीम_से_कीटनाशक नीम जैविक खेती का महत्वपूर्ण घटक है। यह प्रकृति का अनमोल उपहार है। नीम के वृक्ष का हर भाग औषधीय उपयोगिता रखता है। नीम से तैयार किये गए उत्पादों की कीट नियंत्रण शैली अनोखी है, जिसके कारण नीम से तैयार दवा विश्व की सबसे अच्छी कीट नियंत्रण दवा मानी जा रही है। किसान घर पर भी नीम से कीटनाशक बना सकते हैं। ऐसे करें तैयार 01. निम्बोली एकत्र करना – निम्बोलियाँ पककर पीली होने लगे तो इन्हें वृक्ष पर ही तोड़ लेना सबसे उत्तम रहता है, इस स्थिति में अजाडिरेक्टिन की मात्रा सर्वाधिक होती है। चूँकि सभी निम्बोलियाँ एक साथ न पककर धीरे-धीरे पकती रहती हैं। अतः आर्थिक दृष्टि से जमीन पर टूटकर पड़ी हुई निम्बोलियों को बीनना उत्तम रहता है। झाड़ू लगाकर निम्बोली एकत्र करना उचित नहीं है क्योंकि इससे बीच में हानिकारक कवकों व जीवाणुओं के संक्रमण का खतरा रहता है जो बाद में चलकर बीज और इसके तेल को खराब करते हैं। अतः चार से सात दिन में एक बार निम्बोलियों की बिनाई कर लेनी चाहिए। 02. छिलका या गुदा छुड़ाना – पूरे फल को सुखाकर संग्रह करना अधिक लाभप्रद है किंतु वर्षा में गूदे...
जाने क्या है वर्मी वाश :- वर्मीवाश (Vermiwash) एक तरल जैविक खाद है जो ताजा वर्मीकम्पोस्ट व केंचुए के शरीर को धोकर तैयार किय जाता है। वर्मीवाश के उपयोग से न केवल उत्तम गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त कर सकते हैं बल्कि इसे प्राकृतिक जैव कीटनाशक के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। वर्मीवाश में घुलनशील नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश  मुख्य पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा इसमें हार्मोन, अमीनो एसिड, विटामिन, एंजाइम, और कई उपयोगी सूक्ष्म जीव भी पाये जाते हैं। इसके प्रयोग से पच्चीस प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ जाता है। वर्मीवाश तैयार करने की विधि संपादित करें वर्मीवाश बनाने के लिये भिन्न-भिन्न स्थानों पर विभिन्न संस्थाओं/व्यक्तियों द्वारा अलग-अलग विधियां अपनायी जाती हैं, किन्तु सबका मूल सिद्धान्त लगभग एक ही है। विभिन्न विधियों से तैयार वर्मीवाश में तत्वों की मात्रा व वर्मीवाश की सांद्रता में अन्तर हो सकता है। बनाने की प्रक्रिया वर्मीवाश इकाई बड़े बैरल/ड्रम, बड़ी बाल्टी या मिट्टी के घड़े का प्रयोग करके स्थापित की जा सकती है। प्लास्टिक, लोहे या सीमेन्ट के बैरल प्रयोग किये जा सकते...
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने हासिल की एक और उपलब्धि टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला भारत सरकार द्वारा प्रमाणीकृत रायपुर, 12 मार्च, 2020। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने एक और उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा टिश्यू कल्चर पौधों के उत्पादन हेतु प्रमाणीकृत किया गया है। यह प्रमाणीकरण प्रयोगशाला द्वारा टिश्यू कल्चर पौधों के मानक तकनीक से उत्पादन करने के लिए दिया गया है। टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला को आगामी दो वर्षों हेतु प्रमाणीकृत किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में मानक तकनीक से उत्पादित पौधे नियत उत्पादन क्षमता के साथ-साथ रोगों व कीटों से मुक्त पौधों का उत्पादन वृहद स्तर पर किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत् सन् 2010 में स्थापित एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर को सन् 2014 में स्थानांतरित टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला के द्वारा केला, गन्ना एवं अन्य पौधों का उत्पादन वर्ष 2016-17 से किया जा रहा ...
किसान क्रेडिट कार्ड बनाने हेतु शिविर का आयोजन । विकासखंड-फिंगेश्वर में प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजनान्तर्गत अंचल के कृषको के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने हेतु दिनांक 13.03.2020 को प्राथमिक कृषि शाख सहकारी समिति फिंगेश्वर में शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी श्री सेवक राम साहू श्री खिलेश्वर साहू ,के. आर वर्मा ,हरिशंकर सुमेर ,श्रीमती ममता  एवं प्राथमिक कृषि शाख सहकारी समिति के प्रबंधक श्री मनोज कुमार साहू  एवं कृषक सेवा सहकारी समिति अध्यक्ष श्री नथ्थू कश्यप ,महेंद्र ठाकुर एवं कृषक  उपस्थित थे।
ग्राम खुडियाडीह एवम ग्राम सरगोड़ में मनाया गया स्वाइल हेल्थ कार्ड दिवस फिंगेश्व्वर- 19-02-2020 को ग्राम खुडियाडीह एवम सरगोड़ में उप संचालक कृषि गरियाबंद श्री एफ. आर.कश्यप के निर्देशानुसार एवम श्री बी.आर साहू वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के मार्गदर्शन में  स्वाइल हेल्थ कार्ड दिवस का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में कृषको को मिट्टी नमूना लेने की विधि बताई गई कि v आकार का गढ्ढा खोदकर 15 सेंटीमीटर की मिट्टी नमूना हेतु संग्रहण किया जाता है क्योंकि धान की फसल की जड़ 15 सेंटीमीटर तक  ही होती है। मिट्टी नमूना लेते समय कुछ सावधानियों की जरूरत होती है जैसे जिस जगह पर खाद का ढेर हो, मेड़ के किनारे की मिट्टी, छायादार जगह से मिट्टी नमूना नही लेना है। कृषक को एक एकड़ से लगभग 10 जगह से मिट्टी नमूना लेना चाहिए एवम अच्छी तरह मिश्रित कर आधा किलोग्राम मिट्टी नमूना पत्रक भर कर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को देना चाहिए जिसे ग्रा.कृ.वि. अ. द्वारा मृदा परीक्षण प्रयोगशाला गरियाबंद  भेज जाता है। परिक्षण उपरांत प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर अनुसंशित मात्रा में ही खाद व उर्वरको का प्रयोग करना चाह...
गुण्डरदेही जलाशय के जल का उपयोग कर किसानों ने की गेंहू की खेती । विकासखण्ड -फिंगेश्वर के ग्राम गुण्डरदेही के कृषको ने उप संचालक कृषि गरियाबंद श्री एफ. आर.कश्यप के निर्देशन में एवं वरिष्ठ कृषि अधिकारी श्री बी आर साहू के मार्गदर्शन में पहली बार रबी वर्ष 2019-20 में गेंहूँ की खेती की। श्री के.के.साहू कृषि विकास अधिकारी ने बताया कि हर वर्ष यह संशय का विषय रहता था कि गुंडरदेही जलाशय का पानी सिंचाई हेतु मिलेगा कि नहीं , कारण वश रबी की फसल ग्राम में नहीं ली जा रही थी परंतु इस वर्ष कृषि विभाग ने जल संसाधन  विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया एवं कृषकों को तैयार कर गुंडरदेही जलाशय से सिंचाई हेतु पानी की मांग की फल स्वरुप आज गुंडरदेही ग्राम में हरित क्रांति विस्तार योजनाअंतर्गत 50.00 हेक्टेयर में गेहूं  का प्रदर्शन कृषि विभाग द्वारा आयोजित किया गया है। आज दिनांक 8- 3- 2020 को उप संचालक कृषि द्वारा ग्राम गुंडरदेही में दौरा किया गया एवं गेहूं की फसल का निरीक्षण किया गया निरीक्षण के समय क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री तरुण कुमार साहू कृषि विकास अधिकारी श्री सेवक ...
धान बीज उपचार फिंगेश्वर क्षेत्र के किसानों ने घरेलू विधि से बीजोपचार करने की प्रक्रिया सीखी। कृषि विभाग के कर्मचारियों ने इस विधि का प्रदर्शन शिविर में उपस्थित किसानों के सहयोग से किया। धान की बुआई या थरहा तैयार करने से पूर्व यदि धान के बीज का उपचार कर लिया जाए तो अ'छे एवं उत्पादक बीज की प्राप्ति हो सकती है, और फसल भी अच्छी प्राप्त होती है।नमक के घोल में बीज डालकर उपचारित करने की प्रक्रिया में दस लीटर पानी में 17 प्रतिशत अर्थात एक किलो सात सौ ग्राम नमक को घोल लिया जाता है। इस घोल में 10 किलो तक धान के बीज, जिससे पौधे तैयार किए जाने है कि सफाई कर डूबो दिया जाता है। बीज को नमक में घोल में डुबोने के पश्चात अ'छी तरह से हिला कर पांच मिनट तक ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। कुछ देर के बाद अ'छे और भरे हुए बीज बर्जन के नीचे बैठ जाते हैं और पोचुआ व अनुत्पादक बीज ऊपर तैरने लगते हैं।  इन बीजों को हटाकर नीचे बैठे बीजों को धूप में सुखाकर थरहा तैयार करने अथवा बुआई के लिए इन बीजों का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के बाद प्राप्त बीजों की उत्पादक क्षमता सही होती है व किसान को किसी ...

कटहल के पेड़ में कीट व रोग नियंत्रण ऐसे करे।

कटहल के पेड़ में कीट व रोग नियंत्रण ऐसे करे। तना वेधक इस कीट के नवजात पिल्लू कटहल के मोटे तने एवं डालियों में छेद बनाकर नुकसान पहुँचाते हैं। उग्रता की अवस्था में मोटी-मोटी शाखायें सूख जाती हैं एवं फसल को प्रभावित करती है। इसके नियंत्रण के लिए छिद्र को किसी पतले तार से साफ़ करके नुवाक्रान का घोल (10 मि.ली./ली.) अथवा पेट्रोल या किरोसिन तेल के चार-पाँच बूंद रुई में डालकर गीली चिकनी मिट्टी से बंद कर दें। इस प्रकार वाष्पीकृत गंध के प्रभाव से पिल्लू मर जातें हैं एवं तने में बने छिद्र धीरे-धीरे भर जाते है। गुलाबी धब्बा इस रोग में पत्तियों को निचली सतह पर गुलाबी रंग का धब्बा बन जाता है जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है और फल विकास सुचारू रूप से नहीं हो पाता। इसके नियंत्रण के लिए कॉपर जनित फफूंद नाशी जैसे कॉपर आक्सीक्लोराइड या ब्लू कॉपर के 0.3: घोल का पणीय छिड़काव करना चाहिए। फल सड़न रोग यह रोग राइजोपस आर्टोकार्पी नामक फफूंद के कारण होता है जिसमें नवजात फल डंठल के पास से धीरे-धीरे सड़ने लगते हैं। कभी-कभी विकसित फल को भी सड़ते हुए देखा गया है। इसके नियंत्रण के लिए फल लगने...
चले फिर से प्रकृति की ओर