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Showing posts from September, 2025
फॉस्फोरस और जिंक सल्फेट को साथ में क्यों नहीं मिला सकते, साथ मिलने से घोल फट जाता हे , तत्व स्थिर हो जाता हे जिसका पौधे उपयोग नहीं कर पाते , तत्वों को पुनः उपलब्ध अवस्था में लाने के लिए ऑर्गेनिक कार्बन का उपयोग करते हे * जैसे एग्री सर्च इंडिया प्रा ली का एग्रीप्लेस ओ ए (Agriplex-OA) *। * एग्रीप्लेस ओ ए में 27% ऑर्गेनिक कार्बन, ओर कैल्शियम 5.5% होता हे । * जो मृदा को सुधारने के साथ ही सूक्ष्म जगत एवं पौधे के लिए भोजन का कार्य करता हे। * जितने भी तत्व मिट्टी में उपलब्ध हे उन्हें पुनः गतिशील बनाता हे, * जिससे मिट्टी में दिए गए खाद एवं उर्वरक की उपयोगिता बढ़ती हे। 📌अतः किसान भाई जिंक एवं फास्फेटिक उर्वरक जैसे 12,32,16 या डी ए पी 12,61,00 &,00,52,34 & नैनो डी ए पी & 19,19,19 का उपयोग साथ में न करे। फास्फेटिक उर्वरक के साथ जी सिर्फ जिंक सल्फेट नि नहीं बल्कि फेरस सल्फेट, कैल्शियम नाइट्रेट, कुछ सल्फेटिक उर्वरकों को छोड़कर किसी भी सल्फेट फॉर्मूलेशन वाले सल्फेटिक उर्वरक को फॉस्फोरस के साथ नहीं देना हे। 📌फॉस्फोरस के साथ आप चिलीटेड(EDTA) फर्टिलाइजर का उपयोग कर ...

हाइब्रिड बीज के बारे में सम्पूर्ण जानें:

  हाइब्रिड बीज के बारे में सम्पूर्ण जानें हाइब्रिड फसल विकास एक ऐसी तकनीक है, जिसमें दो अलग-अलग लेकिन मिलने-जुलने वाले पौधों को आपस में मिलाया जाता है। ताकि उनकी संतान में दोनों पौधों के अच्छे गुण आएं। ये #हाइब्रिड फसलें आमतौर पर अपने माता-पिता (जनक पौधों) से बेहतर होती हैं, जैसे कि ज्यादा फसल देना, बीमारियों से बचना या सूखा सहन करना। इसे आसान शब्दों में कहें तो, यह दो अच्छे पौधों के गुणों को मिलाकर एक सुपर पौधा बनाने की प्रक्रिया है! हाइब्रिड बीज कैसे बनते है:- 1. दो अच्छे पौधों का चयन      वैज्ञानिक या बीज विशेषज्ञ दो ऐसे पौधों को चुनते हैं जिनमें अलग-अलग अच्छे गुण हों। जैसे, एक पौधा ज्यादा फसल देता हो और दूसरा बीमारियों से लड़े। इन दोनों को मिलाकर एक नया पौधा बनाया जाता है। 2. पर-परागण (क्रॉस-पॉलिनेशन)      एक पौधे के पराग (फूल का नर हिस्सा) को दूसरे पौधे के मादा हिस्से में डाला जाता है। यह काम हाथ से या खास तकनीकों से किया जाता है। ताकि सही मिश्रण हो। 3. संकर बीज बनाना      इस मिलन से जो बीज बनते हैं, वे हाइब्रिड (संकर...

अगर आप धान की खेती में MOP डाले तो उसके फायदे:

💁🏼‍♀️अगर आप धान की खेती में MOP डाले तो उसके फायदे:  1. जड़ और तनों की मजबूती —  पोटाश पौधों की जड़ों को मजबूत करता है और तने को मोटा व सीधा खड़ा रहने में मदद करता है।  इससे धान की फसल गिरने (lodging) से बचती है।  2. बीमारी और कीट प्रतिरोधक क्षमता —  पोटाश पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।  धान को झुलसा, धब्बा रोग, ब्लास्ट जैसी बीमारियों और कीटों के हमले से बचाने में सहायक है।  3. धान की बालियों और दानों की गुणवत्ता —  पोटाश डालने से दाने भरपूर और अच्छे आकार के होते हैं।  दाने में चमक व वजन बढ़ता है, जिससे मंडी में अच्छा भाव मिलता है।  4. धान की उपज में वृद्धि —  पोटाश पौधे में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया को तेज करता है।   इससे पौधे में अधिक ऊर्जा बनती है और उपज में 15-20% तक बढ़ोतरी हो सकती है।  5. पानी और पोषक तत्वों का संतुलन —  धान की फसल लगातार पानी में रहती है, पोटाश पौधे के अंदर पानी का संतुलन बनाए रखता है।  इससे सूखे या ज्यादा पानी की स्थिति में पौधे को सहनशीलता मिलती है। 💁🏼‍♀️धान में MOP (पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ —  • 20–30 किलो MOP (पोटाश) प्रत...