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Showing posts from June, 2023

मंत्रिमंडल ने वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने हेतु पी.एम. -प्रणाम योजना को मंजूरी दी।

मंत्रिमंडल ने वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने हेतु पी.एम-प्रणाम योजना को मंजूरी दी। केंद्र सरकार ने वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम करने के मकसद से राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए 28 मई 2023 को एक नई योजना पीएम-प्रणाम को मंजूरी दी। साथ ही 3.68 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मौजूदा यूरिया सब्सिडी योजना को मार्च 2025 तक जारी रखने का भी फैसला किया। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने जैविक खाद को बढ़ावा देने हेतु 1,451 करोड़ रुपये की सब्सिडी के परिव्यय को मंजूरी दी। इससे कुल पैकेज 3.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।   सीसीईए ने मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने के लिए पहली बार देश में सल्फर-लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) पेश करने का भी निर्णय लिया। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सीसीईए ने पीएम-प्रणाम (धरती की पुनर्स्थापना, जागरूकता, सृजन, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम) योजना को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि पीएम-प्रणाम का उद्देश्य मि...

विभिन्न रसायनिक उर्वरक जो बाजार में उपलब्ध है आइये जाने की क्या काम करते है ये उर्वरक

*19:19:19*:- फसल की जोरदार वृद्धि के लिए *12:61:00*:- ज्यादा फटने के लिए *18:46:00*:- फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए *१२:३२:१६*:- फूल बढ़ाने के लिए, फल सेट बढ़ाने के लिए *10:26:26*:- फल का आकार बढ़ाने के लिए, फल की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए *००:५२:३४*:- वृक्षों की वृद्धि को रोकने के लिए तथा फूलों और फलों को जोर से उगाने के लिए, फलों का आकार बढ़ाने के लिए *00:00:50*:- फलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए फलों का वजन घुलनशील उर्वरकों का कार्य... *19:19:19, 20:20:20 * इन उर्वरकों को स्टार्टर ग्रेड कहा जाता है। इनमें नाइट्रोजन एमाइड, अमोनिक और नाइट्रेट होते हैं। इन उर्वरकों का उपयोग मुख्य रूप से फसल वृद्धि के शुरुआती चरणों में वनस्पति विकास के लिए किया जाता है। *12:61:0* इस उर्वरक को मोनो अमोनियम फॉस्फेट कहा जाता है। यह अमोनिक नाइट्रोजन में कम और पानी में घुलनशील फास्फोरस में उच्च होता है। इस उर्वरक का उपयोग नई जड़ों और जोरदार वनस्पति विकास के साथ-साथ फूलों की उचित वृद्धि और प्रजनन के लिए किया जाता है। *0:52:34* इस उर्वरक को मोनो पोटेशियम फॉस्फेट कहा जाता है यह...
भारत में धान की खेती और पैदावार दोनों बड़े पैमाने पर की जाती है. इसका मुख्य कारण यह है कि भारत के कई इलाकों में धान की खपत बहुत ज्यादा है. ऐसे में घान की खेती इन इलाकों में बहुतायत में की जाती है. धान की खेती को चावल की खेती के रूप में भी जाना जाता है. पूरे देश में यह व्यापक रूप से प्रचलित है और देश में सबसे महत्वपूर्ण कृषि फसलों में से एक है. चावल की खेती करने वाले राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और असम शामिल है. ये राज्य मिलकर भारत में धान की अधिकांश खेती में अपना अहम योगदान देते हैं.  हालांकि, चावल भारत के अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में भी उगाया जाता है. भारत में धान की खेती का विशिष्ट स्थान और सीमा जलवायु, मिट्टी के प्रकार, पानी की उपलब्धता और अन्य स्थानीय परिस्थितियों जैसे कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। 1. अपने क्षेत्र के अनुसार करें किस्म का चयन धान की किस्म को क्षेत्र के हिसाब से विकसित किया गया है। किसानों को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र और प्रदेश...

गडमल:- शायद आपने इस फसल का नाम ही पहली बार सुना होगा, वैज्ञानिक इस नई दलहनी फसल को पहचान दिलाने में जुटे हुए है।

गडमल:- शायद आपने इस फसल का नाम ही पहली बार सुना होगा, वैज्ञानिक इस नई दलहनी फसल को पहचान दिलाने में जुटे हुए है। आप जो चित्र में फसल के बीज देख रहे है इसे एक नजर में देखे तो हमारे उड़द की फसल जैसा यह प्रतीत होता है परंतु यह उडद नही है इस फसल का नाम है " गडमल " यह फसल मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के ग्रामीण अंचल में गडमल नई दलहनी फसल के रूप में पाई गई है। इसकी जीआई टैगिंग कराई जाएगी। राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संस्थान ब्यूरो ने ऐसे नई फसल के रूप में चयनित किया है। मध्य प्रदेश के बैतूल में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों द्वारा एक नई फसल को लेकर विभिन्न परीक्षण किए जा रहे हैं। दरअसल बैतूल जिले के भीमपुर विकासखंड के गांव में एक नई दलहनी फसल की पहचान की गई है। उड़द जैसी दिखाई देने वाली इस फसल का स्थानीय नाम गडमल है, लेकिन वैज्ञानिकों की जांच में इसके जीन उड़द से बिल्कुल अलग पाए गए हैं। इस फसल की खास बात यह है कि ये प्रोटीन से भरपूर है।  इसका उपयोग आदिवासी रोटी और दाल बनाने में करते हैं। साल 2020 से गडमल की फसल पर विभिन्न प्रयोग किए जा रहे हैं, लेकिन अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिष...