सूरजमुखी - तेल की बढ़ती कीमतों को देख किसानों का रुझान सूरजमुखी की खेती की ओर काफी बढ़ रहा है। सूरजमुखी की खेती देश में पहली बार साल 1969 में उत्तराखंड के पंतनगर में की गई थी। यह एक ऐसी तिलहनी फसल है, जिस पर प्रकाश का कोई असर नहीं पड़ता, यानी यह फोटोइनसेंसिटिव है। हम इसे खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों में उगा सकते हैं। इसके बीजों में 45-50 फीसदी तक तेल पाया जाता है। सूरजमुखी मूल रूप से अमेरीका का पौधा है।पर आज भारत समेत अन्य कई प्रमुख देशों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। इसका नाम सूरजमुखी इस कारण पड़ा कि यह सूर्य और ओर झुकता रहता है, हालाँकि प्राय: सभी पेड़ पौधे सूर्य प्रकाश के लिए सूर्य की ओर कुछ न कुछ झुकते हैं। सूरजमुखी का सूर्य की ओर झुकना आँखों से देखा जा सकता है। सूरजमुखी का हर भाग बेहद उपयोगी माना गया हैं। यह एक प्रमुख तिलहन फसल होने के साथ-साथ आयुर्वेद उपचार में भी लाभकारी माना जाता है। सूरजमुखी की खेती करने का समय नज़दीक आ गया है. इसकी खेती खरीफ, रबी और ज़ायद, तीनों सीजन में होती है, लेकिन ज़ायद सीजन में सूरजमुखी की खेती से अच्छी उपज मिलती है, क्य़ोंकि खरीफ़ सीजन मे
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