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Showing posts from November, 2021

सूरजमुखी - तेल की बढ़ती कीमतों को देख किसानों का रुझान सूरजमुखी की खेती की ओर काफी बढ़ रहा है।

  सूरजमुखी - तेल की बढ़ती कीमतों को देख किसानों का रुझान सूरजमुखी की खेती की ओर काफी बढ़ रहा है। सूरजमुखी की खेती  देश में पहली बार साल 1969 में उत्तराखंड के पंतनगर में की गई थी। यह एक ऐसी तिलहनी फसल है, जिस पर प्रकाश का कोई असर नहीं पड़ता, यानी यह फोटोइनसेंसिटिव है। हम इसे खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों में उगा सकते हैं। इसके बीजों में 45-50 फीसदी तक तेल पाया जाता है। सूरजमुखी मूल रूप से अमेरीका का पौधा है।पर आज भारत समेत अन्य कई प्रमुख देशों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। इसका नाम सूरजमुखी इस कारण पड़ा कि यह सूर्य और ओर झुकता रहता है, हालाँकि प्राय: सभी पेड़ पौधे सूर्य प्रकाश के लिए सूर्य की ओर कुछ न कुछ झुकते हैं। सूरजमुखी का सूर्य की ओर झुकना आँखों से देखा जा सकता है। सूरजमुखी का हर भाग बेहद उपयोगी माना गया हैं। यह एक प्रमुख तिलहन फसल होने के साथ-साथ आयुर्वेद उपचार में भी लाभकारी माना जाता है। सूरजमुखी की खेती करने का समय नज़दीक आ गया है. इसकी खेती खरीफ, रबी और ज़ायद, तीनों सीजन में होती है, लेकिन ज़ायद सीजन में सूरजमुखी की खेती से अच्छी उपज मिलती है, क्य़ोंकि खरीफ़ सीजन मे

कृषि विभाग फिंगेश्वर द्वारा जनपद उपाध्यक्ष योगेश साहू की उपस्थिति में देवरी के किसानों को वितरण किया उन्नत किस्म (RVG-202) का चना बीज

कृषि विभाग द्वारा जनपद उपाध्यक्ष योगेश साहू की उपस्थिति में देवरी के किसानों को वितरण किया उन्नत किस्म (RVG-202) का चना बीज आज दिनांक 22-11-2021को कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड फिंगेश्वर के द्वारा ग्राम देवरी विकासखंड - फिंगेश्वर के किसानों को टरफा योजनांतर्गत चना बीज का वितरण किया गया। गौरतलब है कि छ.ग. शासन कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल चक्र अपनाने एवं ग्रीष्म कालीन धान के बदले दलहन -तिलहन एवं मक्का फसल हेतु प्रेरित किया जा रहा है जिससे अंचल में रबी फसल में दलहन तिलहन व मक्का फसल के रकबे का विस्तार होगा। जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। श्री शहजाद हुसैन ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकरी ने बताया कि एग्रीकल्चर कॉलेज सीहोर ने चने की दो नई वैरायटी आरवीजी 202 (90-120 दिन) और 203 (90-125 दिन) इजात की है। यह रिसर्च कॉलेज के वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद यासिन ने किया है। यह दोनों ही किस्म नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में बो सकते हैं। आर वी जी 202 एक अच्छी उपज देने वाली किस्म है जिसका वितरण आज किसानों की ग्राम देवरी में किया जा रहा है। यह निश्चित ही कृष