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Showing posts from April, 2020

जैविक खेती - जानिए किसान कैसे बना सकते है घर पर मटका खाद

जैविक खेती - जानिए किसान कैसे बना सकते है घर पर मटका खाद                            आवश्यक सामग्री ■ देशी गाय का 10  लीटर गौमूत्र , ■ 10 किलोग्राम ताजा गोबर,  ■ 01 किलोग्राम  गुड    ■आधा किलो चने का बेसन ■ 10 किलोग्राम गोबर ■ 1/2 किलोग्राम मिट्टी मटका खाद बनाने की विधि  सभी को मिलाकर 1 बड़े मटके में भरकर 5-7 दिन तक सडाएं इससे उत्तम जीवाणु कल्चर तैयार होता है। मटका खाद को 200 लीटर पानी में घोलकर किसी भी फसल में गीली या नमीयुक्त जमीन में फसलों की कतारों के बीच में अच्छी तरह से प्रति एकड़ छिडकाव करें . हर 15 दिन बाद इस क्रिया को दोहराएं।इस तरह फसल भी अच्छी होगी , पैदावार भी बढ़ेगी,जमीन भी सुधरेगी और किसी भी तरह के खाद की आवश्यकता नहीं पड़ेगी . इस तरह से किसान आत्मनिर्भर होकर बाजार मुक्त खेती कर सकता है और जहरमुक्त , रसायन मुक्त स्वादिष्ट और पौष्टिक फसल तैयार कर सकता है  ऐसे उपयोग करे  इस मटका खाद को सिंचाई जल के साथ सीधे भूमि उप अथवा टपक (ड्रिप) सिंचाई से भी दिया जा सकता है (1...

जैविक खेती - जानिए कैसे किसान स्वयं बना सकते है नीम से जैविक कीटनाशक

किसान स्वयं बनायें नीम से कीटनाशक नीम जैविक खेती का महत्वपूर्ण घटक है। यह प्रकृति का अनमोल उपहार है। नीम के वृक्ष का हर भाग औषधीय उपयोगिता रखता है। नीम से तैयार किये गए उत्पादों की कीट नियंत्रण शैली अनोखी है, जिसके कारण नीम से तैयार दवा विश्व की सबसे अच्छी कीट नियंत्रण दवा मानी जा रही है। किसान घर पर भी नीम से कीटनाशक बना सकते हैं। ऐसे करें तैयार 01. निम्बोली एकत्र करना – निम्बोलियाँ पककर पीली होने लगे तो इन्हें वृक्ष पर ही तोड़ लेना सबसे उत्तम रहता है, इस स्थिति में अजाडिरेक्टिन की मात्रा सर्वाधिक होती है। चूँकि सभी निम्बोलियाँ एक साथ न पककर धीरे-धीरे पकती रहती हैं। अतः आर्थिक दृष्टि से जमीन पर टूटकर पड़ी हुई निम्बोलियों को बीनना उत्तम रहता है। झाड़ू लगाकर निम्बोली एकत्र करना उचित नहीं है क्योंकि इससे बीच में हानिकारक कवकों व जीवाणुओं के संक्रमण का खतरा रहता है जो बाद में चलकर बीज और इसके तेल को खराब करते हैं। अतः चार से सात दिन में एक बार निम्बोलियों की बिनाई कर लेनी चाहिए। 02. छिलका या गुदा छुड़ाना – पूरे फल को सुखाकर संग्रह करना अधिक लाभप्रद है किंतु वर्षा में गूदे युक्त...

जैविक खेती:-जानिए कैसे बनता है पांच पत्ती का काढ़ा

जैविक खेती - जानिए कैसे बनता है पांच पत्ती का काढ़ा निर्माण विधि एक मिट्टी के घड़े में नीचे लिखी चीजों को मिला कर उबालें ! ■20 लीटर मूत्र ( गाय का, बैल का, या भैंस का ) ■2 से 3 किलो नीम के पत्ते या निम्बोली पिस कर मिलाएं ! ■2 से 3 किलो सीताफल के पत्ते पिस कर मिलाएं ! ■2 से 3 किलो आकड़ा ( आक, अकौवा, अर्क मदार ) के पत्ते को पिस कर मिलाएं ! ■2 से 3 किलो धतुरे के पत्ते को पिस कर मिलाएं ! ■2 से 3 किलो बेल पत्र के पत्ते को पिस कर मिलाएं ! ■और इसमे खूब लाल तीखी मिर्च डाल दो 300 -400 ग्राम ! आधा किलो लहसुन डाल दो !  और एक मोटी सी बात याद रखे जिन जिन पत्तों को गाय नहीं खाते और आपके गाँव मे उपलब्ध है वो सब इसमे डाल दे !! अब इस घोल को 20 लीटर देशी गाय के मूत्र मे डाल कर उबाले ! खूब उबल जाये तो इसे ठंढा करके छान लें ! अब इसे बोतल में या किसी और बर्तन में रख लें !   ऐसे करे इस्तेमाल अब जब भी इसका इस्तेमाल करना हो तो इसमें 200 लीटर पानी मिला कर किसी भी फसल पर छिड़के ! छिड़कने के दिन के अंदर सभी कीट मर जायेंगे ! एक भी पैसे का खर्चा नहीं होगा बाजार से कुछ नहीं लाना पड़ता !! ...

जैविक खेती :-यूरिया का विकल्प है अमृत जल

अमृत जल अमृत जल तैयार करने के लिए आवष्यक सामग्री क्या है ? अमृत जल तैयार करने के लिए निम्न सामग्री की आवष्यकता होती है- १ एक लीटर भारतीय नस्ल की गाय का गोमूत्र। २ एक किलो ताजा गोबर। ३ दस (10) लीटर पानी। ४ काला या देशी गुड़ 50 ग्राम या गुड की जगह 12 अति पके हुए केले या 6 अमरुद के फल या कटहल की 12 कली या 500 मिलीलीटर गन्ना का रस या काजू के 12 फल इनमें से जो भी उपलब्ध हो। विशेष- यह गोबर, गौ-मूत्र और गुड को मिला कर बनया गया एक ऐसा घोल है जिसमें अवात जीवी सूक्ष्मजीवों की संख्या और विविधता बहुत अधिक होती है। इसमें मौजूद रासायनिक तत्व मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं और सूक्ष्मजीव मिट्टी के भौतिक और रासानिक गुणों को बढ़ाते हैं। देशी गाय के गोमूत्र और गोबर की गुणवत्ता अच्छी होती है। अतः इसके उपयोग को प्राथमिकता दें। गोमूत्र जितना पुराना होगा उसकी गुणवत्ता उतनी अच्छी होगी। गोबर का ताजा होना बहुत जरुरी है, क्योंकि ताजे गोबर में ही सूक्ष्मजीवों की संख्या ज्यादा होती है। काले गुड़ के उपयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि इसमें रसायन का इस्तेमाल नहीं होता। आवष्यकता के अनुसार अमृत जल तै...

देशी जुगाड़- जानिए कैसे करे प्याज का भंडारण

  देशी जुगाड़- जानिए कैसे करे प्याज का भंडारण                   मध्य प्रदेश के धार जिले के रहने वाले रवि पटेल ने किसानों के फायदे के लिए देसी तकनीक बनाई है। उनकी इस तकनीक से प्याज लंबे समय तक भी सड़ नहीं सकते। इस तकनीक को वेे अपनाकर दो साल से प्याज को खेत से निकालते ही 2 से 3 रुपए किलो के भाव पर बेचने के बजाय बारिश बाद 30 से 35 रुपए किलो में बेच कर लाभ कमा रहे हैं। तीसरे साल भी उन्होंने प्याज का इसी तकनीक से स्टोरेज किया है।  ये है तकनीक दरअसल, रवि बंद कमरे में लोहे की जाली को जमीन से 8 इंच ऊंचा बिछाते हैं। ऐसा करने के लिए कुछ-कुछ दूरी पर दो-दो ईंटें रखते हैं। उसके ऊपर प्याज का स्टोरेज करते हैं। लगभग 100 स्क्वेयर फीट की दूरी पर एक बिना पैंदे की कोठी रखते हैं। ड्रम के ऊपरी हिस्से में एक्जास्ट पंखे लगा देते हैं। पंखे की हवा जाली के नीचे से प्याजों के निचले हिस्से से उठ कर ऊपर तक आती है। इससे पूरे प्याजों में ठंडक रहती है। दोपहर में हवा गर्म होती है, इसलिए दिन की बजाय रातभर पंखे चलाते हैं। पटेल ने इस तकनीक से 1000 क्विंटल प्...

सफलता की कहानी गुंडरदेही के किसानों की जुबानी

सफलता की कहानी गुंडरदेही के किसानों की जुबानी विकासखंड फिंगेश्वर के ग्राम गुंडरदेही के किसानों ने रबी वर्ष 2019-20 में कुछ हटकर गेंहूँ की  सामूहिक खेती करने का निर्णय लिया। परन्तु ग्राम में सिंचाई सुविधा ना होंने के कारण गेंहूँ की खेती पर किसानों का रुझान कम था। ग्राम के कृषको ने ग्राम चौपाल का आयोजन किया एवम उस चौपाल में कृषि विभाग के अधिकारियो को भी बुलाया। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों के बीच अपनी सामूहिक गेंहू की खेती करने के विचार के बारे में बताया। कृषि विकास अधिकारी श्री खिलेश्वर साहू ने सिंचाई की व्यवस्था हेतु गुण्डरदेही जलाशय के जल का उपयोग कर हरित क्रांति विस्तार योजना अंतर्गत गेंहू प्रदर्शन का आयोजन करने हेतू कृषको को सलाह दिया। ततपश्चात जल संसाधन विभाग फिंगेश्वर  के अधिकारियों से सामंजस्य स्थापित कर कृषको को गुण्डरदेही जलाशय का पानी उपलब्ध कराया गया एवम हरित क्रांति विस्तार योजना अंतर्गत 50 कृषको को 50.00 हेक्टेयर में गेंहू प्रदर्शन हेतु बीज एवं सहायक आदान सामग्री जैसे  जैविक कीटनाशक एवम सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान किया गया। कृषि विभाग के उप संच...

सुराजी गांव योजना से जुड़कर , वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण कर कवर्धा की महिलाएं हो रही है आत्मनिर्भर

सुराजी गांव योजना से जुड़कर महिलाएं हो रही है आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और लोगों के जीवन मे सकारात्मक बदलाव लाने बनाई गई सुराजी गांव योजना इस राष्ट्रव्यापी वैश्विक महामारी कोविड-19 के रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन में मददगार साबित हो रही है। महज साल भर पहले कबीरधाम जिले के ग्राम घोंघा में सुराजी गांव योजना के तहत मॉडल गौठान की नींव रखी गई थी। इस गौठान  से मिलने वाली गाय की गोबर से वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने के लिए गांव की ही रविदास महिला स्व सहायता समूह को जिम्मेदारी दी गई थी। इस समूह में वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाते समय यह सभी भी नही सोचा था कि इस देश मे कभी ऐसी महामारी के संकट के बादल मंडराएगा, जिसकी वजह से पूरा देश के विकास का रफ्तार थम सा जाएगा, और उस घड़ी में उनके द्वारा तैयार की गई खाद उनके जीवन में बदलाव के लिए संजीवनी की तरह काम मे आएगा। सच में ऐसा ही हुआ। आज देश में चीन से निकली कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण के बचाब के लिए पूरा देश लाकडाउन है। ऐसी आर्थिक संकट की घड़ी में इस समूह में गौठान में बनाया 56 क्विंटल खाद की बिक्री कर 48 हजार 686 रुपए क...

बलरामपुर जिले में रागी की खेती की शुरुआत।

कृषि की अपार संभावनाओं को मूर्त रूप देने तथा कृषि में नवाचारों को विस्तार देते हुए छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में रागी की खेती की शुरुआत की गयी है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए उन्हें रागी की खेती से जोड़ने की पहल की गई है। महिलाओं के अथक परिश्रम और प्रशासन के सहयोग से रागी की फसल अच्छी हुई, जिससे महिलाओं को 4 लाख 50 हजार रूपये की आय प्राप्त हुई है। कृषि कार्यों में महिलाओं की सफलता उनके लिए नये रास्ते खोल रही है। सुदूर क्षेत्र की इन महिलाओं ने पड़ती भूमि को उपजाऊ में तब्दील कर उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। विकासखण्ड रामचन्द्रपुर के विजयनगर में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की 19 स्व-सहायता समूह की महिलाओं को 188 एकड़ पड़ती भूमि खेती के लिए प्रदाय किया गया था। जिसमें से 40 हेक्टेयर भूमि में लगे रागी का बीज उत्पादन कार्यक्रम में पंजीयन कराया गया है। समूह की महिलाओं ने कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों से आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त कर रागी की खेती प्रारम्भ की और अपने परिश्रम से खेतों को हरा-भरा कर दिया। कृषि विभाग द्वारा महिलाओं को बीज तथा अन्य आवश्यक सामग्र...

फल-सब्‍ज़ी ऑन लाइन डिलीवरी वेबसाइट का माननीय मुख्‍य मंत्री जी द्वारा शुभारंभ

फल-सब्‍ज़ी ऑन लाइन डिलीवरी वेबसाइट का माननीय मुख्‍य मंत्री जी व्दारा प्रारंभ कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण के रोकने के लिए पूरे देश में लॉक-डाउन को 3 मई तक के लिये बढ़ा दिया गया है. यद्यपि लॉकडाउन की अवधि में फल-सब्‍ज़ी आदि की दुकाने खुली रखने की अनुमति दी गई है फिर भी फिज़‍िकल डिसटेंसिंग बनाए रखने के लिये यह अच्‍छा होगा कि फल एवं सब्‍ज़ी की घर पहुंच सेवा ऑन-लाइन आर्डर करने पर लोगों को मिल सके. इसके लिए छत्‍तीसगढ़ शासन की एजेंसी चिप्‍स व्दारा फल एवं सब्‍ज़ी घर बैठे ऑन लाइन आर्डर करने और फल तथा सब्‍ज़ी की घर पहुंच सेवा देने के लिए एक ऑन लाइन पोर्टल बनाया है जो http://cghaat.in/ पर उपलब्‍ध है. इस पोर्टल का शुभारंभ आज प्रदेश के माननीय मुख्‍यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी व्दारा किया गया. वर्तमान में इसकी सेवाएं रायपुर शहर में उपलब्‍ध हैं, परन्‍तु 1-2 दिन के भीतर प्रदेश के सभी बड़े शहरों में इसी सुविधा उपलब्‍ध करा दी जायेगी. जो फल-सब्‍ज़ी वेंडर इस पोर्टल के माध्‍यम से सेवा देना चाहते हैं वे इस पर ऑन लाइन अपना पंजीयन कर सकते हैं. कलेक्‍टर व्दारा उनका अनुमोदन होते ही वे इस पोर्टल के म...

कोरोना संकट:- उप संचालक कृषि गरियाबंद पहुंचे फिंगेश्वर, जमीनी स्तर पर व्यस्थाओं का भी जायजा लिया

फिंगेश्वर- आज दिनांक 3 अप्रैल 2020 को उप संचालक कृषि गरियाबन्द श्री एफ आर कश्यप द्वारा फिंगेश्वर विकासखंड का दौरा किया गया उपसंचालक कृषि गरियाबन्द द्वारा ग्राम चरौदा छुइहा,खैरझिटी, गुण्डरदेही में होम आइशोलेशन में रहने वाले व्यक्तियों को घर पर ही रहने की सलाह दी, एवम जन प्रतिनिधियों से मिलकर ग्राम में दान किये गए चावल एवं दान किये गए राशि की जानकारी ली ।  ग्राम में समाज सेवी संस्थाओं को कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन की  दशा में किसी प्रकार की असुविधा ग्राम में  न हो इस हेतु दान करने की अपील की,एवं स्थानीय व्यवथाओ का जायजा लिया

अम्बिका फाउडेशन के द्वारा ग्राम पंचायत मेडेसरा धमधा में जरूरतमंद लोगो के लिए चावल सब्जी एवं राशन समान वितरण किया गया

अम्बिका फाउडेशन के द्वारा ग्राम पंचायत मेडेसरा धमधा में जरूरतमंद लोगो के लिए चावल सब्जी एवं राशन समान वितरण किया गया कबीरदास मानिकपुरी (अमर स्तम्भ)/ अंबिका फाउंडेशन  दुर्ग जिला के अंतर्गत मेंडेसर तहसील धमधा में महासमुंद से आये हुए मजदूर लॉक डाउन के वजह से घर जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है मौके पर ही तहसीलदार रामकुमार सोनकर के द्वारा अम्बिका फाउडेशन के सौजन्य योगेश कुमार सोनकर एवं आदित्य नेचर वाल के द्वारा राशन सामग्री वितरण किया गया आज पूरे विश्व मे कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाए गए लॉक डाउन से उपजे हालातों में कई लोगो के सामने रहने और खाने की समस्या आ रही है ।लोगो की इन  समस्याओं को  को दूर करने तहसीलदार रामकुमार सोनकर मार्गदर्शन से  सौजन्य योगेश कुमार सोनकर,अध्यक्ष अम्बिका फाउंडेशन आदित्य डायरेक्टर नेचर वाल,एवं गाँव के सरपंच और जनपद सदस्य भी मौजूद रहे  जो शहर में ऐसे लोगों को चिन्हांकित कर उनके रुकने और खाने पीने के लिए आवश्यक प्रबन्ध करवा रहे हैं,  सामग्री चावल, प्याज,आलू,मिर्च,भिंडी,लौकी,देश ब्यापि लॉक डाउन के चलते वर्तमान में ट्...