सफेद मूसली: हजार रुपए प्रति किलो बिकने वाले सफेद मूसली की एक हेक्टेयर खेती से होती है दस लाख की आमदनी!
भारत प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक धरोहर के साथ जड़ी-बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। यहां विभिन्न औषधीय पौधे पाए जाते हैं। इसी लिये यहां विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों जैसे, आयुर्वेद, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा आदि प्राचीन काल से ही न केवल चलन में हैं बल्कि विज्ञान और तकनीक के विकास के बाद भी इनकी प्राथमिकता कम नहीं हुई है। सफेद मूसली भी ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है, जो शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिये काफी मशहूर है। आयुर्वेद में इसे 100 से भी अधिक दवाइयां बनाई जाती है। सफेद मूसली एक कंदयुक्त पौधा होता है. जिसकी ऊंचाई अधिकतम डेढ़ फुट तक होती है. इसके भीतर सफेद छोटे फूल मौजूद होते है. यह बहुत सी बीमारियों के इलाज में काफी सहायक होती है. वैसे तो देश में सफेद मूसली की कई तरह की प्रजातियां पाई जाती है परंतु व्यावसायिक रूप से कोलोरफाइटम बोरिभिलियम व्यवसाय के लिए यह काफी फायेदमंद होती है. सफेद मूसली की कई तरह की प्रजातियां हमारे यहां पाई जाती है जैसे कि क्लोरोफाइटम, अरून्डीशियम, क्लोरोफाइटम, एटेनुएम, लक्ष्म और वोरिविलिएनम आदि है. इनमें से कई प्रजातियां झारखंड के साल के जंगलों में पाई जाती है. कई तरह क