🌾 फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकों की जानकारी के अभाव एवं कुछ किसान जानकारी होते हुए भी अनभिज्ञ बनकर फसल अवशेषों को जला रहे हैं। अवशेष प्रबंध्न फसल अवशेषों का प्रबंधन हमारे देश में उचित तरीके से नहीं किया जाता है। इसलिए यह हमारे लिए बहुत ही गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह कहना भी सही होगा कि इसका उपयोग मृदा में जीवांश पदार्थों के रूप में न करके अधिकतर भाग को जलाकर नष्ट कर दिया जाता है या दूसरे घरेलू कार्यों में उपयोग कर लिया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार फसल के अवशेषों का सिर्पफ 22 प्रतिशत ही इस्तेमाल होता है, शेष जला दिया जाता है। धान फसल की पराली के प्रबंधन के लिए दिये गये उपाय करने चाहिएः पूसा डीकम्पोजर का उपयोग यह भाकृअनपु-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया एक ऐसा छोटा कैप्सूल है, जो फसल अवशेषों को लाभदायक कृषि अपशिष्ट खाद में बदल देता है। एक कैप्सूल की कीमत सिर्पफ 4-5 रुपये है और एक एकड़ खेत के अवशेष को उपयोगी खाद में बदलने के लिए केवल 4 कैप्सूल की आवश्यकता होती है। मिश्रण को तैयार और उपयोग करने की विधि सबसे पहले 150 ग्राम पुराना गुड़ मिश्रण को तैयार और
हम कृषको तक तकनीक पहुंचाते हैं।